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Photograph: (the sootr)
रायगढ़ जिले के तमनार ब्लॉक में सेक्टर 2 कोल खनन परियोजना के तहत 5000 से अधिक पेड़ों की कटाई का काम जारी है। करीब 14 गांव के ग्रामीण इसका विरोध लगातार कर रहे हैं, इसके बावजूद पेड़ों की कटाई नहीं रोकी गई है।
बता दें कि कोल खनन के बाद जो बिजली बनेगी उसे महाराष्ट्र में सप्लाई किया जाएगा। ऐसे में ग्रामीणों को यह भी डर सता रहा है कि जमीन और उनका अधिकार छिन रहा है, लेकिन उनको कुछ भी नहीं मिलने वाला है। वहीं सरकार के द्वारा विकास के जो वादे किए गए हैं, उनके भी पूरे होने की उम्मीद उनको दिखती नजर नहीं आ रही है, इसके चलते उनका विरोध लगातार जारी है।
बिजली का होगा उत्पादन
मीडिया रिपोट्स के अनुसार कोल खनन शुरू होने के बाद यहां जो बिजली उत्पादन होगा, उसे महाराष्ट्र भेजा जाएगा। इधर रायगढ़ जिले के स्थानीय नागरिकों को इस प्रोजेक्ट से कोई खास लाभ होने की उम्मीद नहीं दिख रही है।
वहीं ग्रामीणों का कहना है कि कोल खनन के बाद जो बिजली बनेगी उसे भी महाराष्ट्र को भेज दिया जाएगा। ऐसे में छत्तीसगढ़ को क्या मिलने वाला है। जबकि स्थानीय ग्रामीणों की जमीन, उनके अधिकार खतरे में पड़ गए हैं।
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कोल खनन से कितने गांव होंगे प्रभावित
यह परियोजना 2500 हेक्टेयर में फैलेगी, जिसमें 215 हेक्टेयर वन भूमि है। इस परियोजना के कारण करीब 14 गांव प्रभावित हो रहे हैं। परियोजना का संचालन महाराष्ट्र पावर जेनरेशन कंपनी और अडानी ग्रुप मिलकर करेंगे।
हालांकि, इसके लाभ महाराष्ट्र को होंगे, लेकिन छत्तीसगढ़ के स्थानीय लोगों पर इसका विपरीत असर पड़ सकता है, उन्हें कई गंभीर बीमारियों के होने का भी खतरा है। पेड़ कटाई के लिए लड़ाई जारी है।
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पर्यावरणीय खतरे और ग्रामीणों का विरोध
कोल खनन परियोजना से पर्यावरण को नुकसान के खतरे और ज्यादा बढ़ गए हैं। इसी के साथ-साथ स्थानीय समुदाय भी इससे प्रभावित हो रहे हैं। ग्रामीणों का आरोप है कि इस परियोजना के तहत पेड़ों की कटाई बिना उनकी सहमति के की जा रही है। उनका कहना है कि ग्राम सभा से कोई अनुमति नहीं ली गई थी और बिना सूचना के पेड़ों की कटाई शुरू कर दी गई। यह आरोप भारतीय वन नियमों और पेशा कानून का उल्लंघन करते हैं, जो कि आदिवासी क्षेत्रों में लागू होते हैं।
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प्रशासन को प्रोजेक्ट की नहीं जानकारी
ग्रामीणों के विरोध के बावजूद, रायगढ़ जिले की तमनार तहसील एसडीएम ने इस परियोजना के तहत पेड़ काटने की प्रक्रिया को नियमों के अनुसार बताया है। हालांकि, एसडीएम ने कोल ब्लॉक के बारे में कोई जानकारी नहीं दी, जिससे सवाल उठ रहे हैं कि क्या यह सब प्रशासन की मंजूरी से हो रहा है या नहीं।
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एनजीटी ने किया रद्द, केंद्र से मंजूरी
इस परियोजना के लिए 2024 में एनजीटी (नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल) ने पर्यावरणीय क्लीयरेंस को कुछ प्रक्रियागत कमी के कारण रद्द कर दिया था। लेकिन अगस्त 2024 में केंद्रीय सरकार ने बिना इन कमीं को ठीक किए इसे फिर से मंजूरी दे दी, जिससे यह मामला और भी विवादास्पद हो गया।
ग्रामीणों को क्यों सता रही चिंता?
ग्रामीणों का कहना है कि बड़े कोल खनन समूहों जिन्होंने प्रदेश में अलग-अलग हिस्सों में विकास के वादे किए थे, जैसे स्कूल, अस्पताल और अन्य सुविधाएं, लेकिन अब तक ऐसा कुछ नहीं हुआ। इस विश्वासघात से वे और भी ज्यादा नाराज हैं, और इस कारण उनका विरोध बढ़ता जा रहा है। ग्रामीणों का मानना है कि उनके जीवन और पर्यावरण के लिए यह परियोजना खतरनाक साबित हो सकती है।
5 पॉइंट में समझें पूरी खबर
पेड़ों की कटाई और विरोध: 5000 से अधिक पेड़ों की कटाई हो रही है, जिसका 14 गांव के ग्रामीण विरोध कर रहे हैं।
बिजली उत्पादन: परियोजना से बनने वाली बिजली महाराष्ट्र को जाएगी, छत्तीसगढ़ को कोई लाभ नहीं मिलेगा।
प्रभावित क्षेत्र: 2500 हेक्टेयर में से 215 हेक्टेयर वन भूमि है, 14 गांव प्रभावित हो रहे हैं।
कानूनी उल्लंघन: पेड़ काटने की अनुमति ग्राम सभा से नहीं ली गई, वन नियमों और पेशा कानून का उल्लंघन हुआ।
प्रशासन की चुप्पी: एसडीएम ने प्रक्रिया को सही बताया, लेकिन केंद्रीय सरकार ने बिना सुधार के पर्यावरणीय क्लीयरेंस दे दिया।
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