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Raipur. छग का सबसे बड़ा चावल घोटाले में बलि का बकरा नहीं मिल पा रहा शायद इसी वजह से जांच अभी भी लंबित है। पिछले डेढ़ साल में 5 बैठकों के बाद भी विधानसभा समिति निर्णय तक नहीं पहुंच सकी है। इधर घोटाले के आंकड़े भी लगातार कम होते जा रहे हैं। अब तो विभाग की तरफ से यह बताया जा रहा है कि चावल के घोटाले के संबंध में कोई शिकायत ही नहीं मिली है, दुकानों की जांच में केवल 2808 टन शक्कर कम मिली है जिसकी वसूली की जा रही है।
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क्या है मामला?
पिछली कांग्रेस की सरकार के खिलाफ भाजपा ने माफियाओं के साथ मिलीभगत कर गरीबों के चावल की अफरा-तफरी का आरोप लगाया था। पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह ने इसे 600 करोड़ का छत्तीसगढ़ चावल घोटाला बताते हुए केंद्र सरकार से शिकायत की थी। राज्य में भाजपा की सरकार बनी तो 2024 के बजट सत्र में इसके जांच की मांग उठी। बताया गया कि 6 लाख 80 हजार मीट्रिक टन चावल राशन दुकानों से गायब है। जिसकी अनुमानित कीमत 216 करोड़ है। जांच के लिए विधानसभा में एक समिति बनाई गई।
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5 बार हो चुकी है बैठकें
विधानसभा में चार पूर्व खाद्य मंत्री पुन्नूलाल मोहले की नेतृत्व में 4 सदस्यों की समिति बनी। समिति का काम मामले की जांच करना था। लेकिन डेढ़ साल बीत जाने के बाद भी जांच ही पूरी नहीं हो पाई है। समिति के सदस्य बता रहे हैं कि अधिकारी चावल गायब होने का डाटा ही नहीं दे रहे। उन्हें पत्र लिखा जाता है तो जांच की बात कहकर टाल देते हैं। सदस्यों के मुताबिक हर बार अधिकारी बदलकर आते हैं जो टालमटोल कर वापस चले जाते हैं। अधिकारियेां के मनमानी की शिकायत समिति विधानसभा को कर चुकी हैं।
स्टॉक मेंटेन करने का मौखिक आदेश
राज्यभर में 216 करोड़ के चावल घोटाले की जांच के लिए बना गई विधायकों की समिति ने खाद्य संचालनालय से इसकी पूरी जानकारी मांगी जिसके बाद संचालनालय ने एक फॉर्म जारी कर सभी खाद्य निरीक्षकों से चावल स्टॉक की जानकारी मांगा। साथ में राशन दुकानदारों को खुले बाजार से चावल लाकर दुकानों में रखने का मौखिक आदेश भी दिया। क्योंकि इस खेल मे ंअधिकारियों की भी मिली भगत थी।
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सचिवालय के करीबी अधिकारी का खेल
उस दौरान खाद्य सचिव के रुप में किरण कौशल और सत्यनारायण राठौर संचालक के रुप में पदस्थ रहे थे। लेकिन सारा खेल तत्कालीन डिप्टी डायरेक्टर राजीव जायसवाल नामक अधिकारी खेल रहे थे। उन्हें मुख्यमंत्री की उप सचिव सौम्या चौरसिया और अनिल टुटेजा का करीबी बताया जाता है।
इन बिंदुओं पर होनी है जांच
पिछले तीन माह में दुकानदारों के घोषणा पत्र की जानकारी सही है या नहीं?
दुकानों में पिछले तीन माह में चावल उत्सव आयोजन की स्थिति क्या रही?
तीन माह के दौरान महीने की 5 तारीख को राशन का स्टॉक सही है या नहीं?
कॉल सेंटर के निशुल्क टेलीफोन नंबर की जानकारी दी जा रही है या नहीं?
सभी तरह के राशन कार्डों में किस तरह से और कब-कब राशन दिया गया।
दुकान नियमित रूप से खुल ही है या नहीं? निगरानी समिति बनी या नहीं?
शिकायत विधानसभा को दी है।
जांच के लिए बैठकों में अधिकारी आते हैं और चले जाते हैं, लगता है डेटा ही नहीं देना चाहते, बस टालमटोल करके चले जाते हैं। हमने इसकी शिकायत विधानसभा को दे दी है।
लखेश्वर बघेल, सदस्य, जांच समिति