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सुप्रीम कोर्ट के हालिया फैसले ने छत्तीसगढ़ के 70,000 से अधिक शिक्षकों की नौकरी और पदोन्नति पर संकट खड़ा कर दिया है। शिक्षक संगठनों ने राज्य सरकार से अपील की है कि वह उत्तर प्रदेश, तमिलनाडु और केरल की तरह पुनर्विचार याचिका दायर करे। सुप्रीम कोर्ट द्वारा शिक्षक पात्रता परीक्षा (Teacher Eligibility Test-TET) को लेकर दिए गए हालिया आदेश के बाद प्रदेश के हजारों शिक्षक मानसिक तनाव में हैं।
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क्या लिखा है आदेश में...
आदेश के अनुसार, सभी
शिक्षकों के लिए टीईटी पास करना अनिवार्य होगा, अन्यथा उनकी नियुक्ति और पदोन्नति पर खतरा बन सकता है। इसे देखते हुए शिक्षक संगठनों ने छत्तीसगढ़ सरकार से मांग की है कि वह तत्काल सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दायर करे।
कानूनी पहलू पर जोर...
संगठन ने 23 अगस्त 2010 की छब्ज्म् अधिसूचना का हवाला दिया है, जिसमें स्पष्ट उल्लेख है कि टीईटी का प्रावधान त्ज्म् अधिनियम 2009 के लागू होने से पहले नियुक्त शिक्षकों पर लागू नहीं होगा। ऐसे में यह फैसला शिक्षकों के अधिकारों का उल्लंघन है।
शिक्षकों पर बढ़ेगा दबाव..
संगठन का कहना है कि पहले से ही स्कूलों में युक्तिकरण की प्रक्रिया के कारण शिक्षकों की संख्या कम हो चुकी है। यदि अब नियुक्त शिक्षकों को नौकरी से हटाया जाता है या पदोन्नति रोकी जाती है तो विद्यार्थियों की पढ़ाई प्रभावित होगी। संगठन ने यह भी कहा कि यह स्थिति शिक्षा के स्तर में भारी गिरावट ला सकती है।
राज्य के 2011 से पहले नियुक्त
छत्तीसगढ़ सहायक शिक्षक समग्र शिक्षक फेडरेशन के जिला अध्यक्ष रविंद्र कुमार राठौर और उनकी टीम के तकनीकी साथियों ने सरकार को सलाह दी है कि उत्तर प्रदेश, तमिलनाडु और केरल सरकारों की तरह पुनर्विचार याचिका दायर करने की घोषणा की जाए। उनका कहना है कि यह फैसला राज्य के 2011 से पहले नियुक्त हुए लगभग 70,000 शिक्षकों को प्रभावित करेगा। यदि यह फैसला सीधे लागू हो गया तो बड़े पैमाने पर शिक्षक परेशानी में पड़ जाएंगे और प्रदेश की शिक्षा व्यवस्था पर नकारात्मक असर होगा।
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टीईटी आयोजित करे सरकार
शिक्षकों की मांग शिक्षक संगठन ने राज्य सरकार से अपील की है कि वह तत्काल पुनर्विचार याचिका दायर करे ताकि शिक्षकों को मानसिक दबाव से बाहर लाया जा सके। संगठन ने यह भी सुझाव दिया कि जिस प्रकार पूर्व में बी.एड. शिक्षकों के लिए 20 दिन का ब्रिज कोर्स और नॉन-डीएड/बी.एड. शिक्षकों के लिए विभागीय डीएड कराया गया था, उसी प्रकार शासन को टीईटी आयोजित कराना चाहिए।