धर्मांतरण कानूनों को लेकर छत्तीसगढ़ समेत 8 राज्यों को सुप्रीम कोर्ट का नोटिस,पूर्व विधायक ने किया विरोध

सुप्रीम कोर्ट ने धर्मांतरण से जुड़े कानूनों पर छत्तीसगढ़ समेत 8 राज्यों को नोटिस जारी किया है और 4 हफ्ते में जवाब दाखिल करने का आदेश दिया है। इस आदेश के बाद रायपुर पश्चिम के पूर्व विधायक ने बीजेपी पर निशाना साधा है।

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Harrison Masih
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Supreme Court notices 8 states: सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को धर्मांतरण से जुड़े कानूनों को लेकर छत्तीसगढ़ समेत 8 राज्यों को नोटिस जारी किया है, और 4 हफ्ते में जवाब दाखिल करने का आदेश दिया है। इन कानूनों पर याचिकाएं दायर की गई हैं, जिनमें छत्तीसगढ़ के धर्मांतरण कानून को भी चुनौती दी गई है। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट की अगली सुनवाई 6 हफ्ते बाद होगी।

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छत्तीसगढ़ पर खास ध्यान

छत्तीसगढ़ में भी धर्मांतरण से संबंधित कानून लागू है, जिसे राज्य सरकार ने 2021 में पेश किया था। राज्य सरकार ने इसे धार्मिक स्वतंत्रता सुनिश्चित करने और समाज में असमानता व हिंसा को रोकने के लिए जरूरी कदम बताया था। लेकिन सुप्रीम कोर्ट के आदेश ने छत्तीसगढ़ के इस कानून के भविष्य पर सवाल खड़े कर दिए हैं।

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पूर्व विधायक विकास उपाध्याय की टिप्पणी

रायपुर पश्चिम के पूर्व विधायक विकास उपाध्याय ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद बीजेपी सरकार पर हमला बोला। उन्होंने कहा कि बीजेपी ने केंद्र और राज्य स्तर पर धर्मांतरण को चुनावी मुद्दा बना लिया है, जो सिर्फ राजनीतिक फायदा लेने के लिए किया जा रहा है। विकास उपाध्याय ने कहा, "बीजेपी धर्म और जाति के नाम पर समाज को बांटकर अपनी राजनीतिक साख बढ़ाने की कोशिश कर रही है।"

विकास उपाध्याय ने यह भी आरोप लगाया कि बीजेपी के लिए धर्मांतरण एक राजनीतिक टूल बन चुका है, जिसका इस्तेमाल चुनावी लाभ के लिए किया जा रहा है। उनका कहना था, "धर्मांतरण पर कानून बना कर बीजेपी लोगों के मौलिक अधिकारों को छिनना चाहती है और समाज में तनाव पैदा कर रही है।"

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याचिकाकर्ताओं का आरोप

सुप्रीम कोर्ट में याचिकाकर्ताओं ने यह कहा कि धर्मांतरण पर बने इन कानूनों का उद्देश्य अल्पसंख्यकों की धार्मिक स्वतंत्रता पर रोक लगाना है। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि इन कानूनों का उद्देश्य इंटर-रिलिजन मैरिज और धार्मिक रीति-रिवाजों पर अंकुश लगाना है, जो संविधान द्वारा दिए गए अधिकारों के खिलाफ है।

उत्तर प्रदेश और अन्य राज्यों में सख्ती

याचिकाकर्ताओं ने विशेष रूप से उत्तर प्रदेश का उदाहरण दिया, जहां 2024 में धर्मांतरण कानून में संशोधन कर सजा को बढ़ाकर 20 साल से आजीवन कारावास तक कर दिया गया है। इसके साथ ही जमानत की शर्तें भी कड़ी कर दी गई हैं। इस कानून के लागू होने के बाद, धर्मांतरण से जुड़े मामलों में चर्चों की प्रार्थनाओं और इंटरफेथ मैरिज में शामिल लोगों को उत्पीड़न का सामना करना पड़ा है।

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छत्तीसगढ़ के कानून पर ध्यान

छत्तीसगढ़ में धर्मांतरण पर कानून लागू करने के बाद से राज्य सरकार ने इसे धार्मिक स्वतंत्रता और सामाजिक सौहार्द बनाए रखने के लिए जरूरी कदम बताया था। हालांकि, विपक्षी पार्टियां इस कानून को अल्पसंख्यकों के अधिकारों का उल्लंघन मानती हैं और इसे बीजेपी द्वारा चुनावी मुद्दा बनाने का आरोप लगाती हैं।

सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद, छत्तीसगढ़ में इस कानून की संवैधानिक वैधता पर सवाल उठने लगे हैं, और इस मुद्दे पर राजनीति तेज हो गई है।

आगे की सुनवाई

सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की अगली सुनवाई छह हफ्ते बाद तय की है। अदालत ने राज्य सरकारों से इन कानूनों पर अपने पक्ष को प्रस्तुत करने के लिए समय दिया है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या सुप्रीम कोर्ट इन कानूनों को संवैधानिक मानता है या फिर इन्हें रद्द कर देता है।

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