भानुप्रतापपुर में धर्मांतरण के खिलाफ ग्रामीणों का कड़ा रुख, 6 गांवों में पादरी-पास्टर की ‘नो एंट्री’

छत्तीसगढ़ के भानुप्रतापपुर क्षेत्र में कथित धर्मांतरण की गतिविधियों को लेकर ग्रामीणों में गुस्सा है। ग्राम घोटिया के निवासियों ने एक प्रस्ताव पारित कर गांव के बाहर एक नोटिस बोर्ड लगाया है। इस पर लिखा है कि पादरी और पास्टर का गांव में आना मना है।

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Krishna Kumar Sikander
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Villagers take a strong stand against religious conversion in Bhanupratappur the sootr
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छत्तीसगढ़ के भानुप्रतापपुर क्षेत्र में धर्मांतरण या मतांतरण की कथित गतिविधियों को लेकर ग्रामीणों का आक्रोश चरम पर है। ताजा मामले में ग्राम घोटिया के निवासियों ने ग्राम सभा में प्रस्ताव पारित कर गांव की सीमा पर एक नोटिस बोर्ड लगाया है, जिसमें स्पष्ट रूप से लिखा गया है कि पादरी और पास्टर का गांव में प्रवेश वर्जित है।

यह कदम क्षेत्र के पांच अन्य गांवों के बाद उठाया गया है, जहां पहले ही इसी तरह के नोटिस बोर्ड लगाए जा चुके हैं। ग्रामीणों का कहना है कि मतांतरण की गतिविधियां उनकी परंपराओं, रीति-रिवाजों और सामाजिक सौहार्द को नुकसान पहुंचा रही हैं।

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धर्मांतरण के खिलाफ ग्रामीणों की एकजुटता

भानुप्रतापपुर के ग्रामीणों का आरोप है कि भोले-भाले आदिवासी और ग्रामीण समुदायों को पैसे, नौकरी, और बीमारी ठीक करने जैसे लालच देकर धर्म परिवर्तन के लिए प्रेरित किया जा रहा है। ग्राम घोटिया में ग्राम सभा के माध्यम से यह निर्णय लिया गया कि ऐसी गतिविधियों को रोकने के लिए कड़े कदम उठाए जाएंगे।

गांव की सीमा पर लगाए गए नोटिस बोर्ड को ग्रामीण केवल एक चेतावनी नहीं, बल्कि अपनी सांस्कृतिक और धार्मिक पहचान को संरक्षित करने के संकल्प का प्रतीक मानते हैं।

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पांच गांवों से शुरू हुआ विरोध

घोटिया से पहले भानुप्रतापपुर क्षेत्र के पांच अन्य गांवों में भी ग्राम सभाओं ने इसी तरह के प्रस्ताव पारित कर पादरी और पास्टर के प्रवेश पर रोक लगाने के लिए नोटिस बोर्ड लगाए थे। इन गांवों के निवासियों का कहना है कि मतांतरण की गतिविधियां उनकी सांस्कृतिक विरासत और सामुदायिक एकता को कमजोर कर रही हैं। ग्रामीणों का मानना है कि उनकी परंपराएं और रीति-रिवाज खतरे में हैं, जिसके खिलाफ यह कदम जरूरी हो गया था।

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लालच और प्रलोभन के आरोप

ग्रामीणों ने गंभीर आरोप लगाए हैं कि मतांतरण के लिए लोगों को लालच और झूठे वादों का सहारा लिया जा रहा है। उनके अनुसार, प्रार्थना सभाओं और अन्य आयोजनों के जरिए भोले-भाले लोगों को निशाना बनाया जाता है।

खासकर आदिवासी समुदाय को बीमारी से मुक्ति, आर्थिक सहायता और नौकरी जैसे प्रलोभन देकर धर्म परिवर्तन के लिए उकसाया जाता है। ग्रामीणों का कहना है कि ऐसी गतिविधियां न केवल उनकी धार्मिक आस्था पर हमला हैं, बल्कि सामाजिक सौहार्द को भी बिगाड़ रही हैं।

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हिंदू संगठनों का भी विरोध

छत्तीसगढ़ में कई हिंदू संगठन भी इस मुद्दे पर मुखर होकर विरोध दर्ज कर रहे हैं। उनका आरोप है कि शुक्रवार और रविवार को आयोजित होने वाली प्रार्थना सभाओं में हिंदू समुदाय के लोगों को बुलाकर उन्हें प्रलोभन दिए जाते हैं।

इन सभाओं में कथित तौर पर ब्रेनवॉश कर लोगों को धर्म परिवर्तन के लिए प्रेरित किया जाता है। संगठनों का कहना है कि ऐसी गतिविधियां धार्मिक सौहार्द को बिगाड़ने का काम कर रही हैं, और इन्हें रोकने के लिए कठोर कदम उठाए जाने चाहिए।

सांस्कृतिक पहचान की रक्षा का संकल्प

भानुप्रतापपुर के ग्रामीणों का यह कदम उनकी सांस्कृतिक और धार्मिक पहचान को बचाने की दिशा में एक बड़ा प्रयास है। नोटिस बोर्ड लगाने का निर्णय ग्राम सभाओं में सामूहिक रूप से लिया गया है, जो ग्रामीणों की एकजुटता को दर्शाता है।

उनका कहना है कि वे अपनी परंपराओं और रीति-रिवाजों को संरक्षित करने के लिए किसी भी हद तक जाएंगे। यह कदम न केवल मतांतरण के खिलाफ उनके रुख को दर्शाता है, बल्कि सामुदायिक एकता और आत्मनिर्णय के प्रति उनकी प्रतिबद्धता को भी रेखांकित करता है।

प्रशासन की भूमिका पर सवाल

इस मामले ने स्थानीय प्रशासन और पुलिस की भूमिका पर भी सवाल उठाए हैं। ग्रामीणों और हिंदू संगठनों की मांग है कि मतांतरण की कथित गतिविधियों पर रोक लगाने के लिए कठोर कानूनी कार्रवाई की जाए। छत्तीसगढ़ में पहले भी मतांतरण के मामलों में पुलिस ने कार्रवाई की है, और इस मामले में भी प्रशासन से निष्पक्ष जांच और उचित कदम की उम्मीद की जा रही है।

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