चंगाई सभा की आड़ में धर्मांतरण का प्रयास, पास्टर के खिलाफ धर्म स्वातंत्र्य अधिनियम के तहत FIR

छत्तीसगढ़ के मुंगेली जिले के पथरिया थाना क्षेत्र में चंगाई सभा की आड़ में धर्मांतरण का एक मामला सामने आया है। हिंदू संगठनों की शिकायत के अनुसार, पास्टर सत्यम सिंह पर हिंदू समुदाय के लोगों को ईसाई धर्म अपनाने के लिए प्रलोभन देने का आरोप है।

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Krishna Kumar Sikander
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छत्तीसगढ़ के मुंगेली जिले के पथरिया थाना क्षेत्र में चंगाई सभा की आड़ में हिंदू समुदाय के लोगों को कथित तौर पर ईसाई धर्म अपनाने के लिए प्रलोभन देने का मामला सामने आया है। हिंदू संगठनों की शिकायत के बाद पुलिस ने त्वरित कार्रवाई करते हुए आरोपी पास्टर सत्यम सिंह के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) और छत्तीसगढ़ धर्म स्वातंत्र्य अधिनियम 1968 की धारा 4 के तहत मामला दर्ज किया है। यह घटना धार्मिक संवेदनशीलता और सामाजिक सौहार्द के लिए चुनौती बनकर उभरी है।

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ऐसे सामने आया मामला 

पथरिया थाना क्षेत्र के सरगांव निवासी ब्रजेश शर्मा ने 24 अगस्त 2025 को पुलिस को लिखित शिकायत दी। शिकायत में बताया गया कि उसी दिन सुबह 10 बजे पथरिया के वार्ड क्रमांक 01, लक्षनपुर में सत्यम सिंह (जिन्हें सत्यम पास्टर के नाम से जाना जाता है) के घर में एक चंगाई सभा का आयोजन किया गया। इस सभा में हिंदू समुदाय के कई परिवारों को इकट्ठा किया गया था।

शिकायत के अनुसार, सत्यम सिंह ने सभा में उपस्थित लोगों को भ्रमित करते हुए कहा, “हिंदू धर्म के देवी-देवता कुछ नहीं कर सकते, वे बेकार हैं। प्रभु यीशु ही एकमात्र कल्याणकारी मार्ग हैं। ईसाई धर्म अपनाने से जीवन की सभी समस्याएं खत्म हो जाएंगी।”

इस तरह के बयानों को हिंदू धर्म के खिलाफ अपमानजनक और धर्मांतरण के लिए प्रलोभन देने वाला माना गया। शिकायत में यह भी कहा गया कि सत्यम सिंह ने सभा में मौजूद लोगों को ईसाई धर्म स्वीकार करने के लिए दबाव बनाया और प्रलोभन दिए।

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पुलिस की त्वरित कार्रवाई

शिकायत मिलते ही मुंगेली पुलिस प्रशासन सक्रिय हो गया। पुलिस अधीक्षक भोजराम पटेल (आईपीएस) के निर्देश पर अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक नवनीत कौर छाबड़ा और एसडीओपी नवनीत पाटिल के मार्गदर्शन में पथरिया थाना प्रभारी उप निरीक्षक लक्ष्मण खुंटे ने तत्काल कार्रवाई शुरू की।

पुलिस ने सत्यम सिंह के खिलाफ छत्तीसगढ़ धर्म स्वातंत्र्य अधिनियम 1968 की धारा 4 और भारतीय न्याय संहिता की प्रासंगिक धाराओं के तहत प्राथमिकी (FIR) दर्ज की। यह अधिनियम जबरन, धोखे या प्रलोभन के जरिए धर्म परिवर्तन को प्रतिबंधित करता है और इसके उल्लंघन पर कड़ी सजा का प्रावधान करता है।

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चंगाई सभा और धर्मांतरण का विवाद

चंगाई सभाएं आमतौर पर प्रार्थना और आध्यात्मिक उपचार के लिए आयोजित की जाती हैं, लेकिन कई बार इनका उपयोग धर्मांतरण के लिए प्रलोभन देने के आरोपों में विवादों से जोड़ा जाता है। इस मामले में सत्यम सिंह पर आरोप है कि उन्होंने हिंदू धर्म की आस्था को अपमानित करते हुए लोगों को ईसाई धर्म अपनाने के लिए उकसाया। हिंदू संगठनों ने इस घटना को धार्मिक सौहार्द के लिए खतरा बताते हुए कठोर कार्रवाई की मांग की है।

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पुलिस और प्रशासन की भूमिका

मुंगेली पुलिस ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए जांच शुरू कर दी है। पुलिस अधीक्षक भोजराम पटेल ने कहा कि धर्मांतरण के किसी भी प्रयास को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा और कानून के अनुसार कार्रवाई की जाएगी। पथरिया थाना प्रभारी लक्ष्मण खुंटे ने बताया कि प्रारंभिक जांच में शिकायत के दावों की पुष्टि के लिए साक्ष्य जुटाए जा रहे हैं। सत्यम सिंह से पूछताछ और सभा में मौजूद लोगों के बयान दर्ज किए जाएंगे।

सामाजिक और कानूनी परिप्रेक्ष्य

छत्तीसगढ़ धर्म स्वातंत्र्य अधिनियम 1968 राज्य में धार्मिक स्वतंत्रता की रक्षा करता है और किसी भी व्यक्ति को जबरन या प्रलोभन देकर धर्म परिवर्तन के लिए मजबूर करने को गैरकानूनी मानता है। इस तरह की घटनाएं न केवल सामाजिक तनाव को बढ़ाती हैं, बल्कि धार्मिक सौहार्द को भी प्रभावित करती हैं। इस मामले ने स्थानीय स्तर पर चर्चा को जन्म दिया है, और कई संगठन इस तरह की गतिविधियों पर कड़ी नजर रखने की मांग कर रहे हैं।

FAQ

चंगाई सभा के दौरान पास्टर सत्यम सिंह पर क्या आरोप लगाए गए हैं?
पास्टर सत्यम सिंह पर आरोप है कि उन्होंने 24 अगस्त 2025 को आयोजित चंगाई सभा में हिंदू धर्म के देवी-देवताओं को अपमानित किया और उपस्थित लोगों को ईसाई धर्म अपनाने के लिए प्रलोभन और दबाव दिया। यह घटना छत्तीसगढ़ धर्म स्वातंत्र्य अधिनियम 1968 का उल्लंघन मानी गई।
इस घटना की शिकायत किसने की और पुलिस ने क्या कार्रवाई की?
इस घटना की लिखित शिकायत सरगांव निवासी ब्रजेश शर्मा ने पथरिया थाने में की। शिकायत मिलते ही पुलिस ने त्वरित कार्रवाई करते हुए पास्टर सत्यम सिंह के खिलाफ छत्तीसगढ़ धर्म स्वातंत्र्य अधिनियम की धारा 4 और भारतीय न्याय संहिता की धाराओं के तहत FIR दर्ज की।
छत्तीसगढ़ धर्म स्वातंत्र्य अधिनियम 1968 क्या कहता है?
छत्तीसगढ़ धर्म स्वातंत्र्य अधिनियम 1968 के अनुसार, किसी भी व्यक्ति को जबरन, धोखे या प्रलोभन देकर धर्म परिवर्तन कराने की कोशिश करना अपराध है। इस अधिनियम के अंतर्गत दोषी पाए जाने पर कड़ी सजा का प्रावधान है ताकि धार्मिक स्वतंत्रता और सामाजिक सौहार्द बना रहे।

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