कांग्रेस का आरोप- आदिवासी बच्चों के हक पर डाका, सरकार ने 51 लाख में खरीदे मात्र 160 जग

छत्तीसगढ़ के आदिवासी छात्रावासों के लिए जग खरीदी का अजीबोगरीब मामला सामने आया है। जहां आदिवासी विकास विभाग ने 51 लाख रुपए में मात्र 160 स्टील के जग खरीदे हैं।

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Sanjeet kumar dhurwey
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CG News: छत्तीसगढ़ के आदिवासी छात्रावासों के लिए जग खरीदी का अजीबोगरीब मामला सामने आया है। यहां आदिवासी विकास विभाग ने 51 लाख रुपए में मात्र 160 स्टील के जग खरीदे हैं। जेम पोर्टल के माध्यम से 32 हजार रुपए में एक जग खरीदा गया है। 

छत्तीसगढ़ कांग्रेस ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट जारी कर छत्तीसगढ़ सरकार पर गंभीर आरोप लगाए हैं। प्रदेश अध्यक्ष दीपक बैज ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने आरोप लगाया भाजपा सरकार में भ्रष्टाचार चरम पर हैं। एक स्टील जग की कीमत 32,000 रुपए है। इस तरह की खरीदी से आदिवासी छात्रों के पैसे की बर्बादी हो रही है। 

इसी मामले में आदिवासी विकास विभाग के सहायक आयुक्त ने इसे भ्रामक और असत्य बताया है। इस मामले में विभाग का कहना है कि ये खरीदे ही नहीं गए हैं।

प्रदेश अध्यक्ष दीपक बैज ने क्या कहा? 

कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष दीपक बैज ने इस मामले को लेकर सोशल मीडिया पर पोस्ट की है। उन्होंने कहा "यह वर्ल्ड कप नहीं, विष्णुदेव का ‘स्टील जग’ है।" उन्होंने आरोप लगाया कि आदिवासी बच्चों के पैसे को भी नहीं छोड़ा गया है। 

बैज ने आगे कहा, "क्या 32 हजार रुपए में एक जग खरीदा जा रहा है, क्या यह कोई जादुई जग है? सोने या तांबे का जग है? यह भ्रष्टाचार की चरम सीमा है।" कांग्रेस ने प्रदेश में आदिवासी छात्रावासों की जांच की मांग की है। 

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5 पॉइंट्स में समझें पूरी खबर 

51 लाख रुपए में स्टील जग की खरीदी का मामला: छत्तीसगढ़ में आदिवासी छात्रावासों के लिए जेम पोर्टल के माध्यम से 51 लाख रुपए में 160 स्टील जग खरीदने का मामला सामने आया है। कांग्रेस ने इसे भ्रष्टाचार का एक उदाहरण बताया है, क्योंकि एक स्टील जग की कीमत 32,000 रुपये रखी गई है।

कांग्रेस का आरोप: कांग्रेस ने इस मुद्दे पर तीखी प्रतिक्रिया दी है और भाजपा सरकार पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाया है। प्रदेश अध्यक्ष दीपक बैज ने इसे आदिवासी बच्चों के पैसे की बर्बादी बताया है और उच्च स्तरीय जांच की मांग की है।

आदिवासी विकास विभाग का खंडन: आदिवासी विकास विभाग ने इस पूरे मामले का खंडन किया है। विभाग का कहना है कि इस तरह की स्टील जग की खरीदी नहीं की गई है और यह पूरी तरह से भ्रामक जानकारी है।

सहायक आयुक्त का बयान: सहायक आयुक्त सूरजदास मानिकपुरी ने बताया कि तत्कालीन सहायक आयुक्त संजय कुर्रे द्वारा 160 स्टील जग की खरीदी का प्रस्ताव जेम पोर्टल के माध्यम से दिया गया था, लेकिन कीमत अधिक होने के कारण इस प्रस्ताव को फरवरी 2025 में निरस्त कर दिया गया था।

सोशल मीडिया पर गलत जानकारी: आदिवासी विकास विभाग ने इस मामले से जुड़ी सोशल मीडिया पर प्रसारित जानकारी को असत्य और भ्रामक बताया है। विभाग ने यह भी स्पष्ट किया कि इस मामले में कोई धनराशि का लेन-देन नहीं हुआ है।

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सहायक आयुक्त ने क्या कहा? 

इस मामले में आदिवासी विकास विभाग ने खंडन जारी किया है। उन्होंने कहा बलौदाबाजार जिले के छात्रावासों के लिए किसी प्रकार की स्टील जग की खरीदी नहीं की गई है। सहायक आयुक्त सूरजदास मानिकपुरी ने बताया कि यह पूरी तरह से भ्रामक जानकारी है। 

सहायक आयुक्त ने कहा कि तत्कालीन सहायक आयुक्त रहे संजय कुर्रे द्वारा जेम पोर्टल के माध्यम से 160 स्टील जग की खरीदी के लिए प्रस्तावित किया गया था। इसके बाद इनकी कीमत ज्यादा होने के कारण इस प्रस्ताव को फरवरी 2025 में निरस्त कर दिया गया था।

मानिकपुरी ने यह भी कहा कि सोशल मीडिया पर जो जानकारी प्रसारित की जा रही है, वह असत्य और भ्रामक है। विभाग ने इस मामले में कोई खरीदी नहीं की है। इसके संबंध में किसी भी प्रकार की धनराशि का लेन-देन नहीं हुआ है।

भ्रष्टाचारी कांग्रेस केवल झूठ का सहारा ले रही- भाजपा 

भाजपा प्रदेश प्रवक्ता देवलाल ठाकुर ने कांग्रेस के आरोपों पर पलटवार किया है। उन्होंने 32 हजार रुपए में एक जग की खरीदी की पोस्ट पर तीखी टिप्पणी की है। उन्होंने कहा कि भ्रष्टाचारी कांग्रेस   केवल और केवल झूठ का सहारा ले रही है। 

बलौदाबाजार जिले के आदिवासी विकास विभाग द्वारा छात्रावास के लिए वाटर जग की जो खरीदी प्रस्तावित थी, उसे 23 फरवरी 2025 को ही जेम पोर्टल पर निरस्त कर दिया गया है। 32,499.50 प्रति जग की दर से 160 नग की कुल संभावित राशि 51 लाख रुपए का कोई भुगतान नहीं किया गया। यह केवल तकनीकी प्रक्रिया का हिस्सा था। 

भ्रामक पोस्ट से जनता को गुमराह कर रहे 

देवलाल ठाकुर ने कहा बिना पूरी जानकारी के एक प्रस्तावित खरीदी को आधार बनाकर झूठे दावे किए गए हैं। यह जनता की भावनाओं के साथ खिलवाड़ है और निंदनीय है।

शासन एवं प्रशासन जेम पोर्टल जैसे पारदर्शी प्लेटफॉर्म के माध्यम से हर प्रक्रिया को सार्वजनिक एवं सत्यापन योग्य बनाता है। इस मामले में भी पारदर्शिता बरती गई है।

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