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Tendu Leaf Bonus Scam: छत्तीसगढ़ के बस्तर संभाग में आदिवासियों की आजीविका से जुड़े तेंदूपत्ता बोनस घोटाले में आर्थिक अपराध अन्वेषण शाखा (EOW) ने बड़ी कार्रवाई की है। ईओडब्ल्यू ने 14 आरोपियों के खिलाफ करीब 4500 पन्नों का विस्तृत चालान विशेष न्यायालय दंतेवाड़ा में पेश किया है।
इस घोटाले में मुख्य आरोपी तत्कालीन वनमंडलाधिकारी (DFO) अशोक कुमार पटेल हैं, जिन पर लगभग 7 करोड़ रूपए के सरकारी धन की बंदरबांट का आरोप है।
तेंदूपत्ता बोनस घोटाला: करोड़ों के गबन मामले में समिति प्रबंधक राजशेखर पुराणिक गिरफ्तार
क्या है पूरा मामला?
जांच में सामने आया है कि वर्ष 2021-22 में तेंदूपत्ता संग्राहकों को दिए जाने वाले प्रोत्साहन पारिश्रमिक (बोनस) में गंभीर भ्रष्टाचार हुआ। DFO अशोक कुमार पटेल ने अपने पद का दुरुपयोग करते हुए, वन विभाग के अन्य अधिकारियों और प्राथमिक लघुवनोपज समितियों के प्रबंधकों के साथ मिलकर तेंदूपत्ता बोनस की राशि में बड़े पैमाने पर हेराफेरी की। इस बंदरबांट में आदिवासी संग्राहकों को मिलने वाली राशि का बड़ा हिस्सा अफसरों और समिति प्रबंधकों ने आपस में बांट लिया।
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अब तक की कार्रवाई
ईओडब्ल्यू की ओर से अब तक कुल 14 आरोपियों को गिरफ्तार किया जा चुका है, जिनमें शामिल हैं:
- 1 वनमंडलाधिकारी: अशोक कुमार पटेल
- 4 पोषक अधिकारी / वनकर्मी: चैतूराम बघेल, देवनाथ भारद्वाज, मनीष कुमार बारसे,पोड़ियामी इड़िमा उर्फ हिडमा
- 9 समिति प्रबंधक: पायम सत्यनारायण उर्फ शत्रु, मोहम्मद शरीफ, सीएच रमना (चिट्टूरी), सुनील नुप्पो, रवि कुमार (गुप्ता), आयतू कोरसा, मनोज कवासी, राजशेखर पुराणिक उर्फ राजू, बी. संजय रेड्डी
इन सभी के खिलाफ EOW ने दंतेवाड़ा कोर्ट में 4500 पेज का चालान दायर किया है।
अब तक कितना नुकसान?
अब तक की विवेचना में 17 समितियों में से 8 दूरस्थ समितियों की जांच हुई है, जिसमें लगभग 3.92 करोड़ रूपए के गबन का खुलासा हुआ है।
यह आर्थिक नुकसान सीधे राज्य शासन को हुआ, जबकि आदिवासी संग्राहक अपने वाजिब हक से वंचित रह गए।
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कहां-कहां हुई जांच?
इस घोटाले की जांच के लिए ईओडब्ल्यू की टीमों ने बस्तर के नक्सल-प्रभावित और अति-संवेदनशील क्षेत्रों का दौरा किया।
जिन इलाकों में जांच की गई, उनमें शामिल हैं:
- मड़ईगुड़ा
- गोलापल्ली
- किस्टाराम
- जगरगुंडा
- चिंतलनार
- चिंतागुफा
- भेज्जी
- कोंटा
- पोलमपल्ली
ग्रामीणों से पूछताछ में सामने आया कि वे बोनस योजना के बारे में पूरी तरह अनभिज्ञ थे और उन्हें कभी पारिश्रमिक नहीं मिला। इन ग्रामीणों ने कई महत्वपूर्ण साक्ष्य भी दिए, जिससे जांच को मजबूती मिली।
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आगे की कार्रवाई
अब भी बाकी की 09 समितियों की जांच प्रक्रिया जारी है। ईओडब्ल्यू ने संकेत दिए हैं कि आगे और गिरफ्तारियां हो सकती हैं और घोटाले की राशि बढ़ भी सकती है।
यह मामला सिर्फ आर्थिक घोटाले का नहीं, बल्कि आदिवासी समाज के शोषण और उनके अधिकारों के हनन का भी है। तेंदूपत्ता, जो बस्तर के हजारों परिवारों की जीविका का स्रोत है, उस पर हुए इस घोटाले ने न केवल प्रशासन की लापरवाही उजागर की है, बल्कि सिस्टम में गहराई तक फैले भ्रष्टाचार की भी पोल खोल दी है।
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