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CG News: तीन दिवसीय गुजरात प्रवास से लौटे छत्तीसगढ़ के स्कूल शिक्षा मंत्री गजेंद्र यादव ने कहा कि शिक्षा में गुजरात के मॉडल को लागू किया जाएगा। ऐसा सुनते ही शिक्षा के क्षेत्र में सवाल उठने लगे हैं क्योंकि हकीकत में शिक्षा के क्षेत्र में गुजरात, छग से कहीं पीछे है। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या नए नवेले स्कूल शिक्षा मंत्री गजेंद्र यादव शिक्षा के क्षेत्र में छत्तीसगढ़ को और पीछे ले जाना चाहते हैं।
मंत्री ने किया महसूस...
गुजरात दौरे के दौरान स्कूल शिक्षा मंत्री गजेंद्र यादव ने महसूस किया कि गुजरात में शिक्षा व्यवस्था को मजबूत करने के लिए तकनीक का प्रभावी उपयोग किया जा रहा है। शिक्षा से जुड़े नवाचारों और अत्याधुनिक तकनीकों के प्रयोग ने सीखने और पढ़ाने की प्रक्रिया को अधिक सरल और प्रभावी बना दिया है। ऐेसे में गुजरात मॉडल का अध्ययन कर छत्तीसगढ़ में भी इसे लागू करने की संभावनाओं पर गंभीरता से विचार करेंगे। लेकिन सरकारी आंकड़ें तो कुछ और ही बयां कर रहे।
हकीकत में क्या है मामला
शिक्षा के सूचकांक में गुजरात का स्कोर 58 है जबकि केरल 82 स्कोर के साथ पहले स्थान पर आता है। छत्तीसगढ़ भी इस मामले में गुजरात से बेहतर है। शिक्षा सूचकांक में छत्तीसगढ़ का स्कोर नीति आयोग की रिपोर्ट के अनुसार कक्षा 9वी से दसवीं तक पहुंचने में ही गुजरात के 17.9 प्रतिशत बच्चे ड्रॉप आउट कर जाते हैं, यानी पढ़ाई छोड़ देते हैं।
छत्तीसगढ़ में 9.7 प्रतिशत बच्चे ड्रॉप आउट करते हैं। इस तरह माध्यमिक स्कूल में छत्तीसगढ़ की तुलना में लगभग 2 गुना बच्चे स्कूल छोड़ देते हैं। इसी तरह हायर सेकेंडरी यानी 11वीं 12वीं में गुजरात में नामांकन अनुपात 48.2 फीसदी भी रह जाता है जबकि छत्तीसगढ़ में गुजरात की तुलना में कहीं ज्यादा यानी 68.80 नामांकन दर है।
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छात्र शिक्षकों का अनुपात भी बेहतर
छात्र शिक्षक अनुपात के मामले में भी छत्तीसगढ़ गुजरात के मुकाबले से ही स्थिति में है। छत्तीसगढ़ में जहां 15 छात्रों पर एक शिक्षक उपलब्ध है तो वहीं गुजरात में उनके छात्रों पर एक शिक्षक हैं।
लाइब्रेरी मामले में भी फिसड्डी
गुजरात मॉडल में बिना लाइब्रेरी के 16.4ः स्कूल संचालित हो रहे हैं जबकि 28.2 फीस भी ऐसी लाइब्रेरी है जो उपयोग में ही नहीं है। छत्तीसगढ़ के स्कूल शिक्षा मंत्री गजेंद्र यादव का कहना है कि गुजरात में शिक्षा व्यवस्था को मजबूत करने के लिए तकनीकी का इस्तेमाल किया जा रहा है। लेकिन छात्रों के तकनीकी ज्ञान का असर यह है कि गुजरात की 25.40 स्कूलों में कंप्यूटर ही नहीं है और 34.6 फीस भी ऐसे स्कूल है जिनमें कंप्यूटर तो है लेकिन उसका उपयोग छात्र नहीं कर पा रहे हैं। कुल मिलाकर 60 प्रतिशत स्कूलों के बच्चे अपनी की तकनीकी शिक्षा से वंचित है।
जोड़-घटाना भी नहीं आता
आंकड़ों के मुताबिक गुजरात स्कूलों के 32.6 प्रतिशत बच्चे 99 या उससे अधिक तक की संख्या नहीं पहचान पाते। कक्षा आठवीं के केवल 26.9 प्रतिशत बच्चे अंको को घटना जानते हैं। वही केवल 30.5 प्रतिशत बच्चे भाग कर सकते हैं।
शिक्षा का बजट भी घटा दिया
गुजरात में 24-25 में शिक्षा के लिए कुल बजट का 15.1 प्रतिशत निर्धारित था। जबकि 2025-26 में इसे घटाकर कुल बजट का 14.8 प्रतिशत कर दिया गया। इससे लगता है कि गुजरात सरकार का ध्यान सरकारी स्कूलों को बढ़ाने में नहीं है। संसाधनों की कमी के चलते वहां प्राइवेट स्कूल जमकर फल-फूल रहे हैं।
ऑन लाइन अटेंडेंस मामले में छग आगे
छत्तीसगढ़ शिक्षा विभाग शिक्षा व्यवस्था को अधिक पारदर्शी, अनुशासित और तकनीकी रूप से उन्नत बनाने के उद्देश्य से ‘विद्या समीक्षा एप्प’ लॉन्च किया गया है। इससे शिक्षकों की 100 फीसदी उपस्थिति सुनिश्चित करने का लक्ष्य है। जबकि गुजरात में इस पर केवल विचार ही जारी है। हालांकि इसके लागू होने के बाद प्रदेश सरकार को शिक्षकों का बड़ा विरोध झेलना पड़ रहा है। शिक्षकों ने निजी मोबाइल में एप डाउनलोड करने को अपनी निजता का हनन बताया है।