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CG Weather Update: छत्तीसगढ़ में मौसम एक बार फिर बदला हुआ नजर आ रहा है। मौसम विभाग ने सोमवार को राज्य के 26 जिलों के लिए यलो अलर्ट जारी किया है। विभाग ने चेतावनी दी है कि कई इलाकों में गरज-चमक के साथ बिजली गिरने और तेज आंधी चलने की संभावना है। राजधानी रायपुर समेत कई जिलों में देर रात तक हल्की बूंदाबांदी होती रही, जबकि मंगलवार सुबह के बाद तेज बारिश भी दर्ज की गई।
रायपुर से बस्तर तक बारिश का असर
रायपुर, महासमुंद, धमतरी, दुर्ग, बालोद, बस्तर, कोंडागांव, कांकेर, नारायणपुर और दंतेवाड़ा जिलों में सुबह से ही बादल छाए रहे। कई जगहों पर मौसमी आंधी और बिजली की गड़गड़ाहट के साथ झमाझम बारिश देखने को मिली। मौसम वैज्ञानिकों के मुताबिक, यह बारिश पोस्ट मानसून एक्टिविटी का हिस्सा है और अब धीरे-धीरे गतिविधियां कम होंगी।
सूरजपुर में नाव डूबी, सभी ग्रामीण सुरक्षित
तेज बारिश के बीच सूरजपुर जिले की महानदी में नाव डूबने की घटना सामने आई। नाव में सवार ग्रामीणों को स्थानीय लोगों और प्रशासन की मदद से सुरक्षित बाहर निकाल लिया गया। घटना के दौरान नदी का जलस्तर अचानक बढ़ गया था, जिससे नाव असंतुलित होकर पलट गई। बिलासपुर जिले के चचेई डैम में पिकनिक मनाने गए आकाश पटेल नामक युवक की डूबने से मौत की आशंका जताई जा रही है। बताया गया कि वह नहाने के दौरान गहरे पानी में चला गया और बाहर नहीं निकल सका। 12 घंटे बाद भी उसका कोई सुराग नहीं मिला है। गोताखोरों की टीम लगातार खोजबीन कर रही है।
सुकमा में सबसे ज्यादा बारिश
पिछले 24 घंटों के दौरान प्रदेश के कई हिस्सों में मध्यम से भारी बारिश रिकॉर्ड की गई।
- सुकमा: 49.3 मिमी
- राजनांदगांव, दुर्ग, रायगढ़: सामान्य बारिश
- बेमेतरा: सबसे कम बारिश – अब तक केवल 524.5 मिमी, जो सामान्य से 50% कम है।
- बलरामपुर: सबसे ज्यादा बारिश – 1520.9 मिमी, सामान्य से 52% अधिक।
प्रदेश में अब तक औसत 1167.4 मिमी बारिश दर्ज की गई है।
मानसून 15 अक्टूबर के बाद लौटने के आसार
मौसम विभाग का कहना है कि इस साल मानसून की वापसी में देरी हो सकती है। आम तौर पर छत्तीसगढ़ से मानसून 5 अक्टूबर के आसपास सरगुजा क्षेत्र से लौटना शुरू करता है, लेकिन इस बार 15 अक्टूबर के बाद वापसी की संभावना जताई गई है। देश के कई हिस्सों में मानसून की विदाई शुरू हो चुकी है, मगर छत्तीसगढ़ में नमी और सिस्टम एक्टिविटी के कारण देरी हो रही है।
क्यों गिरती है बिजली?
मौसम वैज्ञानिकों के अनुसार—
- बादलों में मौजूद पानी की बूंदें और बर्फ के कण आपस में रगड़ खाते हैं।
- इससे उनमें इलेक्ट्रिक चार्ज (Positive और Negative) उत्पन्न होता है।
- जब ये विपरीत चार्ज वाले बादल टकराते हैं तो बिजली बनती है।
- सामान्यतः यह बादलों के भीतर ही रहती है, लेकिन कभी-कभी यह धरती तक पहुंच जाती है।
- पेड़, पानी, बिजली के खंभे और धातु के सामान कंडक्टर की तरह काम करते हैं।
- ऐसे में यदि कोई व्यक्ति इनके संपर्क में हो, तो वह बिजली गिरने की चपेट में आ सकता है।
मौसम विभाग की सलाह
- खुले मैदान, पेड़ या बिजली के खंभों के नीचे खड़े न हों।
- आंधी-तूफान या बिजली गिरने के समय मोबाइल फोन या इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों का उपयोग न करें।
- मवेशियों को भी सुरक्षित स्थानों पर रखें।
- ग्रामीण क्षेत्रों में जलाशयों और नदियों के किनारे जाने से बचें।