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CGMSC Scam: छत्तीसगढ़ के बहुचर्चित रीएजेंट घोटाले में फंसे अधिकारियों को हाईकोर्ट से राहत नहीं मिल पाई। सोमवार को हुई सुनवाई में बिलासपुर हाईकोर्ट ने सीजीएमएससी (CGMSC) के डिप्टी डायरेक्टर डॉक्टर अनिल परसाई और असिस्टेंट ड्रग कंट्रोलर बसंत कौशिक की नियमित जमानत याचिका खारिज कर दी।
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सुप्रीम कोर्ट से भी हो चुकी है जमानत खारिज
इस घोटाले के मुख्य आरोपी मोक्षित कॉर्पोरेशन के संचालक शशांक चोपड़ा की जमानत याचिका सुप्रीम कोर्ट ने 8 सितंबर को खारिज कर दी थी। शशांक चोपड़ा समेत 6 आरोपी पहले से ही जेल में हैं।
400 करोड़ का घोटाला
यह पूरा मामला करीब 400 करोड़ रूपए के घोटाले से जुड़ा है। जांच में सामने आया है कि मार्केट में 1.50 रूपए से 8.50 रूपए तक मिलने वाला EDTA ट्यूब, अधिकारियों की मिलीभगत से 352 रूपए प्रति ट्यूब में खरीदा गया।
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अधिकारियों का पक्ष
जमानत याचिका में डॉ. अनिल परसाई की ओर से दलील दी गई कि उनके पास खरीदारी या भुगतान का अधिकार नहीं था, वे केवल वितरण कार्य देखते थे। वहीं, बसंत कौशिक के अधिवक्ता ने भी यही तर्क दिया कि खरीद प्रक्रिया उनके अधिकार क्षेत्र में नहीं आती थी।
CGMSC घोटाला क्या है?
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अदालत का रुख
कोर्ट ने कहा कि मामला बेहद गंभीर है और इसमें जमानत नहीं दी जा सकती। अदालत ने साफ किया कि आरोपी पक्ष अपने तर्क ट्रायल कोर्ट के सामने रखें। साथ ही यह भी याद दिलाया कि सुप्रीम कोर्ट पहले ही एक आरोपी की जमानत याचिका खारिज कर चुका है। यह फैसला रीएजेंट घोटालामें शामिल अन्य आरोपियों के लिए भी बड़ा संकेत माना जा रहा है कि न्यायालय इस प्रकरण को बेहद गंभीरता से देख रहा है।