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छत्तीसगढ़ सरकार का एक चर्चित कार्पोरेशन है जो प्रिंटिंग का काम करता है और अपनी हरकतों के चलते पूरे समय सुर्ख़ियों में भी बना रहता है। यहां हर साल करोड़ों रुपए के ठेके निकलते हैं और करोड़ों के ही वारे - न्यारे हो जाते हैं। मलाईदार निगम है इसलिए इसका अध्यक्ष बनने के लिए छोटे बड़े नेता इतना तड़पते हैं जितना मछली पानी के बिना नहीं तड़पती। जब प्रदेश में भाजपा की सरकार बनी तो कई छोटे और मझोले नेता इस निगम में घुसने के लिए जुगत लगाने लगे लेकिन लाटरी लगी बिलासपुर संभाग के एक नेता जी की।
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नेताजी ने धूम धाम से इस निगम में अपनी आमद भी दर्ज करा दी लेकिन उनका दुःख उस वक्त बढ़ गया जब उन्हें पता चला कि उनके आने के पहले ही ठेकों की मलाई तो बंट गई है और उनके लिए तो अब खुरचन भी नहीं बची। बस उस दिन से अध्यक्ष महोदय अपने आईएएस प्रबंध संचालक पर चढ़त बनाये हुए हैं। अध्यक्ष जी अब हर फाइल देखने की जिद करते हैं और हर फाइल में मलाई खोजते हैं।
अध्यक्ष जी को लगता है कि निगम के अधिकारी उन्हें गुमराह कर रहे हैं जबकि उन्हें यह बता भी दिया गया है कि अगले साल फिर ठेकों की कढ़ाई चढ़ेगी और उनके हिस्से में पर्याप्त मलाई आएगी लेकिन अध्यक्षजी सब्र रखने को तैयार नहीं।अब उन्होंने अपने ही निगम के अधिकारियों को कसने के लिए मात्र एक हजार रुपये की किताबों की चोरी की शिकायत कर दी वह भी थाने में।अब निगम के अधिकारी अपने अध्यक्ष की इस करतूत को रफा दफा करने में लगे हैं।अध्यक्षजी के मलाई प्रेम ने पूरे अमले को चिंता में डाल दिया हैऔर चिंता होनी भी चाहिए क्योंकि भाजपा के इस नेता का आगाज इतना भयानक है तो अंत कैसा होगा।
बैज-बघेल ने हाथ मिलाया लेकिन दिल मिले क्या??
राज्य में डेढ़ दशक के वनवास के बाद सत्ता में आई कांग्रेस ने महज पांच साल में ही सत्ता गंवा दी जिसका न कोई चिंतन हो रहा न मनन। अगर कुछ दिख भी रहा है तो केवल गुटबाजी जो कांग्रेस का मूल चरित्र माना जाता है। सत्ता जाने के बाद कांग्रेस अब एक बार फिर अपने बिखरे स्वरुप में सामने आ गई है। उसके चारों बड़े नेता अलग अलग दिशाओं में अपना अपना मलखंभ गाड़ कर बैठे हैं और इन सबकी नजर प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष की कुर्सी पर है। कोई इस पद पर खुद बैठना चाहता है तो कोई अपने ख़ास को बिठाना चाहता है।
वहीं मौजूदा अध्यक्ष दीपक बैज अपनी कुर्सी बचाने की कवायद में लगे हैं। दीपक बैज को हटाने के पीछे बहुत मजबूत तर्क हैं। क्योंकि इनके मार्गदर्शन में कांग्रेस विधानसभा, लोकसभा और नगरीय निकायों का चुनाव बुरी तरह से हारी लेकिन आलाकमान ने इनके विरुद्ध कोई एक्शन नहीं लिया। अब सवाल ये है कि दीपक बैज की जगह कौन ?? प्रदेश के दिग्गज कांग्रेसी और नेता प्रतिपक्ष चरणदास महंत का आलाकमान पर प्रभाव और तेज दोनों ही है लेकिन वे इस पद पर खुद की बजाय अपने किसी ख़ास की ताजपोशी चाहते हैं। कुछ ऐसी ही कोशिश में पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल भी हैं। खबर ये है कि पिछली कांग्रेस सरकार के उपमुख्यमंत्री टीएस सिंहदेव (बाबा) इस रेस में सबसे आगे चल रहे हैं।
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कांग्रेस के सूत्रों की मानें तो टीएस बाबा के रथ को रोकने के लिए एक दूसरे से खफा खफा चल रहे बैज और बघेल ने हाथ मिला लिया है। कुछ समय पहले तक आलम ये था कि बैज और बघेल के बीच दुआ सलाम तक बंद थी। भूपेश बघेल बस्तर में दौरा कर रहे थे तो बैज बस्तर में रहकर भी उनके कार्यक्रमों में शामिल नहीं हुए। कहते हैं ना कि राजनीती में कुछ भी स्थाई नहीं होता। बताया जा रहा कि अब बाबा को रोकने बैज और बघेल एक हो गए हैं लेकिन उनके दिल एक हुए या नहीं यह अलग मसला है।
राज्य में सत्ता में आने के बाद भारतीय जनता पार्टी ने एक आदिवासी को मुख्यमंत्री बनाया इसलिए कांग्रेस भी अपने संगठन का मुखिया किसी आदिवासी को बनाना चाहती है।आदिवासी कार्ड खेलकर बैज और बघेल, पूर्व मंत्री अमरजीत भगत का नाम आगे कर रहे हैं जो टीएस बाबा को फूटी आंख नहीं सुहाते। अमरजीत का नाम आगे आया तो टीएस बाबा की सारी ऊर्जा उन्हें रोकने में खर्च हो जाएगी और बैज हो सकता है कि पद पर यथावत बने रहें।
लेकिन यह बघेल और बैज की जोड़ी के दबाव से ही संभव हो सकता है। वैसे भी दीपक बैज प्रदेश में भाजपा सरकार की नीतियों के खिलाफ आधा दर्जन यात्रा निकाल चुके हैं और खुद राहुल गांधी ने उनकी पत्र लिखकर तारीफ़ की है। ऐसे में संगठन पर प्रभुत्व ज़माने और भूपेश बघेल से पुराना हिसाब चुकता करने की टीएस बाबा की योजना और बैज - बघेल का गठबंधन कितना कारगर होगा ये वक्त बताएगा।
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मैडम का एमडी वाला रुतबा
छत्तीसगढ़ में पुलिस का काम केवल कानून व्यवस्था के सुचारु संचालन का ही नहीं है बल्कि यह विभाग अपने कर्मचारियों के जीवन स्तर को सुधारने के लिए आवास सुविधा देने का काम भी करता है जिसके लिए बाकायदा एक कार्पोरेशन काम कर रहा है। जिसने पूरे राज्य में बड़े हाऊसिंग प्रोजेक्ट बनाए। यहाँ एम डी के पद पर डी जी स्तर के अधिकारियों की नियुक्ति की जाती है। इन दिनों पुलिस विभाग की यह संस्था अपनी इंजीनियर मैडम के रुतबे को लेकर चर्चा में है।
सब इंजीनियर के पद पर भर्ती होने वाली यह मोहतरमा अपने संस्थान के दूसरे पात्र इंजीनियरों को पछाड़कर उनसे ऊंचे पद पर विराजमान हो गई हैं। मैडम का जलवा ऐसा है कि उनके पास सरगुजा, बिलासपुर और दुर्ग संभाग के साथ साथ मुख्यालय का भी प्रभार है। किसी को कार्य का आदेश निकलवाना हो, बिल पास करवाना हो या जीएसटी बिल निकलवाना हो बिना मैडम की मंजूरी के पत्ता नहीं सरकता।
विभाग के आलावा यहां सेवा देने वाले अन्य लोग बताते हैं कि मैडम को न ड्राइंग समझ में आती है ना ही इस्टीमेट, फिर भी इनका जलवा कायम है। जानकारों की मानें तो उनकी महंगी और इलीट लाइफ स्टाइल पिछली सरकार की एक ताकतवर मैडम की याद दिलाती है, जो कुछ दिन पहले ही दो साल की जेलयात्रा के बाद बाहर निकली हैं। बताते हैं मैडम ने शहर की पॉश कालोनी में करोड़ों की लागत वाला बंगला भी ले रखा है।
मैडम ही नहीं यहां एक आर्किटेक्ट सज्जन भी शेडो एमडी कहलाते हैं। छत्तीसगढ़ में इस संस्था को कोई आर्किटेक्ट नहीं मिला इसलिए दूसरे राज्य से इन महानुभाव को आयात किया गया। निर्माण कार्य में कौन सा मटेरियल इस्तेमाल होगा सब यही साहब निर्धारित करते हैं। ऐसे में ठेकेदार की मजाल जो इनका कहना ना माने।
विधायक जी ने खुद की आलोचना के लिए रखा नौकर
दुर्ग जिले के एक युवा भाजपा विधायक ने तो कमाल ही कर दिया है। इन्होने सोशल मीडिया पर अपनी खुद की आलोचना करने के लिए बाकायदा एक व्यक्ति की नियुक्ति कर रखी है। विधायक जी का यह बंदा उनसे पैसे लेकर सोशल मीडिया पर विधायक जी के खिलाफ माहौल बनाता है।
फिर विधायक जी अपने चेले चपाटों से अपने ही खिलाफ चल रही खबरों पर कमेंट करवाते हैं। विधायक जी ऐसा क्यों करते हैं ये तो वही जानें लेकिन इस घटना में दिलचस्प मोड़ तब आया जब इनके तनखैया विरोधी ने पैसा न मिलने पर विधायक जी के सामने बवाल काट दिया।
बताते हैं कि पैसा न मिलने से नाराज इनके इस तनखैया विरोधी ने विधायक जी की शिकायत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से कर दी है। जानकार बता रहे हैं कि विधायक जी के इस तनखैया विरोधी से अच्छे संबंध रहे हैं इसलिए मामला सार्वजनिक नहीं हुआ लेकिन उम्मीद है कि लेनदेन का निपटारा नहीं सुलझा तो जल्द ही सब कुछ सोशल मीडिया पर दिखाई देगा।
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