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Photograph: (the sootr)
RAIPUR.छत्तीसगढ़ के 1000 करोड़ के घोटाले को लेकर नया मोड़ आया है। समाज कल्याण विभाग के अधिकारियों ने घोटाला उजागर करने वाले व्हिसलब्लोअर को ही सरकारी नौकरी दे दी है। विभाग ने उसी दिन आदेश जारी किया जिस दिन छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने सीबीआई को इसके जांच का जिम्मा सौंपा था।
अधिकारियों ने आनन-फानन में व्हिसलब्लोअर कुंदन सिंह ठाकुर को संविदा नियुक्ति दी है। माना जा रहा है इस प्रक्रिया के बाद विभागीय अधिकारी कुंदन पर दबाव बनाने की कोशिश करेंगे।
पुराने कर्मचारी हैं कुंदन
कुंदन सिंह ठाकुर पहले इसी विभाग के कर्मचारी थे। उनकी संविदा नियुक्ति साल 2014 में समाप्त कर दी गई थी। वे फिजिकल रिफरल रिहैबलिटेशन सेंटर के कर्मचारी बताए जाते थे।
घोटालेबाजों ने उनके पुराने दस्तावेज के आधार पर उनकी ज्वाइनिंग शो की थी। बाकायदा उनकी नियमित सैलरी भी निकाली जा रही थी। जबकि कुंदन को फिजिकल रिफरल रिहैबिलिटेशन सेंटर के कर्मचारी होने की जानकारी ही नहीं थी। यह संस्था केवल कागजों में संचालित थी।
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छत्तीसगढ़ का एक हजार करोड़ घोटाला और नौकरी को ऐस समझेंव्हिसलब्लोअर कुंदन सिंह ठाकुर को सरकारी नौकरी दी गई: कुंदन सिंह ठाकुर को छत्तीसगढ़ समाज कल्याण विभाग ने सरकारी नौकरी दी है। यह नियुक्ति उसी दिन हुई थी। जब छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने सीबीआई को जांच सौंप दी थी। कुंदन सिंह ठाकुर की पिछली सेवा और घोटाले का खुलासा: कुंदन पहले समाज कल्याण विभाग में कर्मचारी थे। उनकी संविदा नियुक्ति 2014 में समाप्त हो गई थी। विभाग ने उनके पुराने दस्तावेजों पर जॉइनिंग दिखा दी थी। कुंदन ने कोर्ट में आरटीआई से प्राप्त दस्तावेज पेश किए: कुंदन ने आरटीआई से दस्तावेज प्राप्त किए। इन दस्तावेजों में भ्रष्टाचार के सबूत थे। उन्होंने इन दस्तावेजों को कोर्ट में पेश किया। कोर्ट ने इसे बड़ा भ्रष्टाचार मानते हुए सीबीआई जांच का आदेश दिया। सात आईएएस और दो पूर्व मुख्य सचिव घोटाले में शामिल: इस घोटाले में पूर्व मंत्री रेणुका सिंह शामिल हैं। दो पूर्व मुख्य सचिव विवेक ढांड और सुनील कुजूर भी जांच के दायरे में हैं। सात आईएएस अधिकारियों का नाम भी सामने आया है। कुंदन सिंह ठाकुर ने दबाव में नौकरी छोड़ने की चेतावनी दी: कुंदन ने कहा कि उन्हें बिना कारण नौकरी दी गई। उन्होंने स्पष्ट किया कि दबाव बना तो वह नौकरी छोड़ देंगे। |
मामले को कोर्ट ले गए थे कुंदन
कुंदन को जब इस घोटाले की जानकारी मिली, तो उन्होंने तुरंत कोर्ट का रुख किया। आरटीआई के जरिए उन्हें केंद्र में हो रहे अन्य भ्रष्टाचार के बारे में पता चला।
इस जानकारी में यह सामने आया कि संस्था केवल कागजों पर चल रही थी। दिव्यांगों के नाम पर सालाना करोड़ों की दवाइयां और मशीनरी खरीदी का दिखावा किया जा रहा था।
इन खरीदारी के जरिए पैसा निकाला जा रहा था। कुंदन ने आरटीआई से मिले सभी दस्तावेज कोर्ट में पेश किए। लंबी कानूनी लड़ाई के बाद कोर्ट ने इसे बड़ा भ्रष्टाचार मानते हुए जांच सीबीआई को सौंप दी। मामले में सीबीआई ने कुछ लोगों के बयान भी दर्ज किए हैं।
पूर्व मंत्री से लेकर पूर्व दो सीएस तक फंसे
1000 करोड़ के घोटाले में पूर्व महिला एवं बाल विकास मंत्री रेणुका सिंह भी शामिल हैं। इसके अलावा, दो पूर्व मुख्य सचिव विवेक ढांड और सुनील कुजूर भी मामले में शामिल हैं। सात आईएएस अधिकारी भी इस घोटाले की जांच में दायरे में हैं। पूर्व मुख्य सचिव अजय सिंह की कमेटी ने जांच की थी।
कमेटी ने अनियमितताओं की जानकारी सरकार को रिपोर्ट के रूप में दी थी। इसके बाद, जांच आगे बढ़नी चाहिए थी, लेकिन कार्रवाई नहीं हुई। विभागीय जिम्मेदारों का कहना था कि मामला कोर्ट में चला गया था। इसी कारण विभागीय कार्रवाई नहीं की जा सकी। सभी आरोपियों को सेवानिवृत्ति के बाद नो ड्यूज प्रमाणपत्र और पेंशन दे दी गई।
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दबाव में नहीं आउंगा, नौकरी छोड़ दूंगा
मामले को लेकर समाज कल्याण विभाग में क्लास-3 कर्मचारी कुंदन सिंह ठाकुर से द सूत्र ने बात की है। उन्होंने बताया कि पहले वह विभाग में संविदा कर्मचारी थे। बिना किसी कारण के उनकी सेवा आगे नहीं बढ़ाई गई थी। उनके साथियों को नियमित कर दिया गया था। अब उन्हें फिर से संविदा नौकरी दी गई है। उन्होंने साफ कहा कि यदि इस नौकरी के दौरान दबाव डाला गया, तो वह नौकरी छोड़ देंगे।
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