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Raipur. छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने कोयला परिवहन में अवैध वसूली से जुड़े चर्चित कोल लेवी केस में अहम फैसला सुनाया है। अदालत ने पूर्व कलेक्टर रानू साहू के करीबी और आरोपी नवनीत तिवारी की जमानत याचिका को खारिज कर दिया।
कोर्ट ने कहा- आर्थिक अपराधों को हल्के में नहीं लिया जा सकता
न्यायमूर्ति नरेंद्र कुमार व्यास की एकलपीठ ने सुनवाई के दौरान कहा कि आर्थिक अपराध व्यक्तिगत लाभ के लिए ठंडे दिमाग से किए जाते हैं, जिनका सीधा असर देश की अर्थव्यवस्था और राष्ट्रीय हित पर पड़ता है।
कोर्ट ने टिप्पणी की- "हत्या भावनाओं में की जा सकती है, लेकिन आर्थिक अपराध पूरी योजना के साथ किए जाते हैं। ऐसे अपराध समाज और न्याय व्यवस्था दोनों के लिए घातक हैं।"
सुप्रीम कोर्ट के फैसलों का हवाला
हाईकोर्ट ने अपने आदेश में सुप्रीम कोर्ट के कई फैसलों का हवाला दिया, जिनमें पी. चिदंबरम बनाम निदेशालय प्रवर्तन का मामला भी शामिल है। अदालत ने कहा कि व्हाइट कॉलर क्राइम को हल्के में नहीं लिया जा सकता, क्योंकि ये अपराध न केवल आर्थिक नुकसान पहुंचाते हैं बल्कि सरकार की नीतियों और जनता के विश्वास को भी कमजोर करते हैं।
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ट्रायल में देरी का कोई सबूत नहीं
कोर्ट ने कहा कि आरोपी ने यह साबित करने के लिए कोई ठोस साक्ष्य प्रस्तुत नहीं किया कि मुकदमे में देरी अभियोजन पक्ष की वजह से हो रही है। जांच एजेंसी एसीबी और ईओडब्ल्यू ने अदालत में जो सबूत पेश किए, उन्हें देखते हुए कोर्ट ने माना कि नवनीत तिवारी की संलिप्तता और अवैध वसूली में भूमिका स्पष्ट रूप से साबित होती है।
सिंडिकेट बनाकर अवैध वसूली का आरोप
इस केस में एसीबी/ईओडब्ल्यू ने जनवरी 2024 में एफआईआर दर्ज की थी। जांच में खुलासा हुआ था कि एक संगठित सिंडिकेट ने नीतियों में बदलाव कर ऑनलाइन परमिट सिस्टम को मैनुअल में बदलवाया, जिससे कोयला परिवहन के दौरान अवैध कोल लेवी वसूली शुरू हो गई। आरोप है कि यह पूरा नेटवर्क रायगढ़ की तत्कालीन कलेक्टर रानू साहू और उनके करीबी सहयोगियों के समर्थन से संचालित हो रहा था। सूत्रों के अनुसार, इस सिंडिकेट ने प्रति टन कोयले पर 25 रुपये तक वसूले, जिससे करोड़ों रुपये की अवैध कमाई की गई।
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कोर्ट ने कहा- आर्थिक अपराध हिंसक अपराध जितने ही गंभीर
हाईकोर्ट ने कहा कि आर्थिक अपराध केवल पैसों से जुड़े नहीं होते, बल्कि ये जनविश्वास, नीतिगत स्थिरता और शासन की पारदर्शिता को भी चोट पहुंचाते हैं। ऐसे मामलों में जमानत देना न्याय की भावना के विपरीत होगा। अदालत ने अपने आदेश में कहा- “आर्थिक अपराधों के आरोपी को जमानत देना न्याय के साथ समझौता करने जैसा है। ये अपराध देश के आर्थिक ढांचे को कमजोर करते हैं।”
जमानत याचिका खारिज
अंत में, अदालत ने यह मानते हुए कि एसीबी और ईओडब्ल्यू ने पर्याप्त साक्ष्य जुटाए हैं, नवनीत तिवारी की जमानत याचिका को खारिज कर दिया। अदालत ने जांच एजेंसी को आगे की कार्रवाई जारी रखने की अनुमति दी।
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