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रायपुर: छत्तीसगढ़ की नई शराब पॉलिसी (cg new liquor policy) में ठेका सिस्टम लागू नहीं होगा। यानी शराब ठेके पर नहीं बेची जाएगी और इसका जो सरकारी सिस्टम है ये जारी रहेगा। उच्च पदस्थ सूत्रों की मानें तो मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय इस बात के लिए राजी नहीं हैं कि शराब को निजी ठेकेदारों के हवाले कर दिया जाए।
द सूत्र ने इस खबर को प्रमुखता से उठाया था। हमने बताया था कि यदि ठेका सिस्टम लागू हो गया तो किस तरह अधिकारी और ठेकेदारों का गठबंधन बनेगा। वहीं इसमें मोटा मुनाफा और कमीशन का खेल भी चलने लगेगा।
इस खबर के बाद सीएम ने अफसरों को साफ कर दिया कि छत्तीसगढ़ में फिर से ठेका सिस्टम नहीं आएगा। सरकार शराब नीति 2026-27 में बदलाव करेगी लेकिन ठेका प्रणाली लागू नहीं की जाएगी।
सीएम के सुशासन मॉडल में शराब की ठेका प्रणाली फिट नहीं बैठती है। इसीलिए उन्होंने नई शराब नीति में इस बदलाव की मनाही कर दी है।
इसलिए नहीं चाहिए ठेका प्रणाली
छत्तीसगढ़ में शराब एक बड़ा मुद्दा है। इससे बड़ा राजस्व भी सरकार के पास आता है। इसलिए इस मुद्दे को सरकारें संवेदनशीलता से लेती रही हैं। छत्तीसगढ़ में अवैध शराब, नकली शराब और शराब तस्करी जैसी बड़ी चुनौतियां भी हैं।
इसीलिए साल 2017 में तत्कालीन डॉ. रमन सरकार ने शराब का सरकारी सिस्टम बनाया था ताकि सारी व्यवस्थाएं सरकारी हाथों में और नियंत्रण में रहें। ठेका सिस्टम में बुराइयां ज्यादा हैं। ठेकेदारों के हाथों में जब शराब की बिक्री थी तो गांव-गांव में शराब बेची जाने लगी थी। ठेकेदार गांवों में जाकर शराब बिकवाते थे। इसमें नकली शराब की खपत भी बहुत ज्यादा थी।
शराब बेचने वाले ठेकेदारों के लठैतों के बीच मुठभेड़ भी किसी गैंगवार से कम नहीं थीं। इसके अलावा ठेकेदारों का मुनाफा मोटे कमीशन के तौर पर अधिकारियों की जेब में जाता था। इसीलिए अधिकारी भी शराब के ठेके देने में कमीशनबाजी का समीकरण मिलाते थे और उसकी नीति में बदलाव भी ठेकेदारों के हिसाब का होता था।
सुशासन का दावा करने वाली सरकार के मुखिया सीएम यह सब फिर से नहीं चाहते। इसलिए ठेका सिस्टम की तरफ बढ़ने से रोक लगा दी गई है।
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बेहतरी के लिए सरकार ने मांगे सुझाव
सरकार चाहती है कि शराब से होने वाली कमाई में इजाफा हो लेकिन व्यवस्थागत और संतुलित तरीके से। शराब का पूरा कारोबार सरकार के नियंत्रण में हो ताकि लोगों को सस्ती और अच्छी शराब मिले।
दूसरे राज्यों खासकर मध्यप्रदेश से आने वाली अवैध और नकली शराब पर रोक लगाई जा सके और न ही लोगों की जान के साथ खिलवाड़ हो। इसी व्यवस्था को दुरुस्त करने के लिए सीएम ने विभागीय अधिकारियों से शराब कारोबारी, डिस्टलर्स, ट्रांसपोर्ट समेत अन्य लोगों से सुझाव मांगे हैं।
इन सुझावों के आधार पर आगे इस नीति में बदलाव किया जाएगा। इसकी प्रक्रिया तेजी से चल रही है। अधिकारी चाहते थे कि शराब नीति में इस तरह बदलाव हो ताकि प्रदेश में ठेका सिस्टम फिर से शुरू हो जाए लेकिन सीएम ने इसके लिए साफ इनकार कर दिया है।
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2017 से पहले था ठेका सिस्टम
डॉ. रमन सिंह की सरकार ने साल 2017 में शराब के सिस्टम का सरकारीकरण किया था ताकि ठेकेदारों की मनमानी और अफसरों की कमीशनबाजी को रोका जा सके।
भूपेश बघेल सरकार में सिस्टम तो नहीं बदला लेकिन नकली होलोग्राम लगाकर ढाई हजार करोड़ का शराब घोटाला जरूर हो गया। साल दर साल सरकार का शराब से राजस्व तो बढ़ रहा है।
पीने वाले लोगों में भी लगातार इजाफा हो रहा है लेकिन सरकार का कमाई का टारगेट पूरा नहीं हो रहा है। पिछले पांच सालों में शराब की आय दोगुनी हो गई है, और पीने वाले 35 फीसदी तक बढ़ गए हैं।
फिर भी आबकारी विभाग पिछले साल तय लक्ष्य से पीछे रहा है। वहीं इस साल का राजस्व का लक्ष्य पिछले साल के मुकाबले और बढ़ा दिया है। साल 2024-25 में शराब से कमाई का लक्ष्य 11 हजार करोड़ रुपए रखा गया था जबकि कमाई 8 हजार करोड़ रुपए की हुई। वहीं इस साल राजस्व में इजाफा कर 12 हजार 500 करोड़ का टारगेट तय किया गया है।
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