/sootr/media/media_files/2025/11/03/cg-government-new-liquor-policy-changes-revenue-target-2025-2025-11-03-16-54-46.jpg)
Raipur. छत्तीसगढ़ में धान की तरह शराब भी एक बड़ा और अहम मुद्दा है। अहम मुद्दा इसलिए है क्योंकि यह सरकार की कमाई का बड़ा जरिया है। सरकार अपनी कमाई बढ़ाने के लिए पूर्व मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह की शराब नीति को बदलने पर विचार कर रही है। यही कारण है कि नई शराब नीति लाने के लिए छह महीने पहले से ही मंथन शुरु हो गया है। पिछले साल सरकार ने जितनी कमाई का लक्ष्य रखा था वो पूरा नहीं हो पाया। नई पॉलिसी के तहत सरकारी सिस्टम से निकाल कर शराब को पहले की तरह ठेका सिस्टम पर लाया जा सकता है। सरकार को लगता है कि इससे अवैध शराब की बिक्री रुकेगी और उसकी कमाई में भी इजाफा होगा।
ये खबर भी पढ़ें... शराब नीति फिर उमा भारती ने सरकार के खिलाफ खोल दिया मोर्चा, बोलीं- चौकीदार जिंदा है
बदलेगी शराब नीति :
डॉ रमन सिंह ने मुख्यमंत्री रहते साल 2017 में शराब का सरकारी सिस्टम लागू किया था। शराब का पूरा कंट्रोल राज्य मार्केटिंग कार्पोरेशन के हवाले है। इस सिस्टम को पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की सरकार ने भी चलाया। पिछले दो साल से बीजेपी सरकार भी इसी सिस्टम को फॉलो कर रही है। हालांकि सरकार ने कमाई बढ़ाने के लिए इसमें कुछ बदलाव किए। शराब से आबकारी शुल्क हटाया जिससे की यह सस्ती हो और अवैध शराब की बिक्री रुके। इसके अलावा मनपंसद एप के जरिए शराब की होम डिलेवरी भी शुरु कर दी गई। साल दर साल सरकार का शराब से राजस्व तो बढ़ रहा है और पीने वाले लोगों में भी लगातार इजाफा हो रहा है लेकिन सरकार का कमाई का टारगेट पूरा नहीं हो रहा है।
पिछले पांच सालों में शराब की आय दोगुनी हो गई है लेकिन फिर भी आबकारी विभाग पिछले साल तय लक्ष्य से पीछे रहा है। वहीं इस साल का राजस्व का लक्ष्य पिछले साल के मुकाबले और बढ़ा दिया है। साल 2024-25 में शराब से कमाई का लक्ष्य 11 हजार करोड़ रुपए रखा गया था जबकि कमाई 8 हजार करोड़ रुपए की हुई। वहीं इस साल राजस्व में इजाफा कर 12 हजार 500 करोड़ का टारगट तय किया गया है। शराब से राजस्व का लक्ष्य पूरा करने के लिए सरकार शराब नीति में बदलाव करने पर विचार कर रही है। यही कारण है कि नई शराब नीति के बारे में छह महीने पहले से ही विचार विमर्श शुरु कर दिया गया है। छत्तीसगढ़ शराब नीति 2025
ये खबर भी पढ़ें... थर्मल पावर प्लांट से चमकेगा हजारों का भविष्य, शराब नीति पर होगा फोकस
यह है पिछले पांच साल की कमाई :
2020-21 - 4636.9 करोड़ रुपए
2021-22 - 5110.15 करोड़ रुपए
2022-23 - 6783.81 करोड़ रुपए
2023-24 - 8430.5 करोड़ रुपए
2024-25 - 8000 करोड़ रुपए
2025-26 - 12500 करोड़ रुपए का लक्ष्य
इस तरह का हो सकता है बदलाव :
सरकार शराब के सिस्टम को सरकारीकरण से हटाकर फिर से ठेका पद्धति शुरु कर सकती है। आबकारी विभाग को लगता है कि ठेका पद्धति से आपसी प्रतिस्पर्धा बढ़ती है जिससे ग्राहकों को शराब सस्ते में मिल जाती है। वहीं सरकार की कमाई लाइसेंस शुल्क से होती रहेगी। इससे अवैध शराब की बिक्री भी कम होगी। सरकार लगातार कोशिशों के बाद भी अवैध शराब की बिक्री पर रोक नहीं लगा पा रही है। छत्तीसगढ़ में सबसे ज्यादा अवैध शराब मध्यप्रदेश से ही आती है। सरकारी बिक्री में हमेशा गड़बड़ी की संभावना रहती है। कभी अधिकारी गबन कर लेते है तो कभी जिले के अधिकारियों पर लोकल ब्रांड की शराब बेचने का दबाव बनाया जाता है। सरकारी कार्पोरेशन के जरिए शराब बेचने से सरकार की बदनामी भी हुई है।
ये खबर भी पढ़ें... दिल्ली शराब नीति घोटाला में मनीष सिसोदिया की न्यायिक हिरासत 26 जुलाई तक बढ़ाई गई
पिछली सरकार में हुआ शराब घोटाला :
राज्य की पिछली भूपेश सरकार में ढाई हजार करोड़ का शराब घोटाला हो चुका है। इसके पीछे का कारण शराब का पूरा कंट्रोल मार्केटिंग कार्पोरेशन के हवाले होने को माना गया। इस शराब घोटाले में तत्कालीन मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के पुत्र चैतन्य बघेल जेल में हैं। इसके अलावा पूर्व आबकारी मंत्री कवासी लखमा, कारोबारी अनबर ढेबर समेत कई अधिकारी जेल की सींखचों के पीछे हैं। 22 अधिकारियों को शराब घोटाले में शामिल होने के आरोप में सस्पेंड कर दिया गया है। इस शराब घोटाले को अंजाम देने में कार्पोरेशन के अधिकारी एपी त्रिपाठी भी शामिल रहे हैं।
/sootr/media/agency_attachments/dJb27ZM6lvzNPboAXq48.png)
Follow Us