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RAIPUR. छत्तीसगढ़ में नए वित्तीय वर्ष में शराब पॉलिसी बदले जाने की चर्चा जोरों पर है। छह महीने पहले इसकी कवायद शुरू हुई थी। कुछ बड़ा होने वाला है। सूत्र बताते हैं कि नई पॉलिसी में ठेकेदारों और अफसरों का 'कॉकटेल' यानी गठजोड़ बनेगा। यही गठजोड़ इस नीति का नियंता होगा।
सवाल ये भी खड़ा हो रहा है कि क्या इससे किसी खास को फायदा पहुंचाया जाने वाला है। सूत्रों के अनुसार, यह काम छत्तीसगढ़ सरकार के अफसरों का है। अधिकारियों ने अपनी कमाई के बंद हुए रास्तों को फिर खोलना शुरू किया है। सीएम को यहां पर खास सतर्कता बरतने की जरूरत है, क्योंकि उन्हें तथ्य भी ऐसे ही दिखाए जाएंगे, जिससे उन्हें राजी किया जा सके।
यह कोशिश एक बार पहले भी हो चुकी है, लेकिन तब नौकरशाही अपनी मंशा में कामयाब नहीं हुई थी। कुछ इसी तरह की ठेका प्रणाली दिल्ली के तत्कालीन मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने ठेकेदारों को फायदा पहुंचाने के लिए लागू की थी। बाद में केजरीवाल समेत उनकी पूरी कैबिनेट इसका नुकसान उठाना पड़ा।
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क्यों लाया जा रहा है ठेका सिस्टम?
सूत्रों की मानें तो छत्तीसगढ़ में शराब का ठेका सिस्टम लागू करने की तैयारी दो साल से चल रही है। नई पॉलिसी के लिए छह महीने पहले से विचार मंथन शुरू हो गया था। डॉ.रमन सिंह की सरकार ने वर्ष 2017 में शराब के सिस्टम का सरकारीकरण किया था, ताकि ठेकेदारों की मनमानी और अफसरों की कमीशनबाजी को रोका जा सके।
फिर भूपेश बघेल सरकार में सिस्टम तो नहीं बदला, लेकिन नकली होलोग्राम लगाकर ढाई हजार करोड़ का शराब घोटाला जरूर हो गया। अब मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय चाहते हैं कि प्रदेश में सुशासन हो, लेकिन उन्हें अपने अफसरों से सावधान रहना होगा।
नफा और नुकसान का गणित...
छत्तीसगढ़ सरकार के अफसर ही चाहते हैं कि प्रदेश में शराब की ठेका प्रणाली लागू हो। इससे ठेकेदारों और अफसरों का गठजोड़ बनेगा और कमीशन का खुला खेल होगा। जहां कमीशन ज्यादा होगा, वहां ठेका चला जाएगा। ठेकेदार अपने हिसाब से शराब बेचेगा और मुनाफा कमाएगा। इसमें नकली शराब बेचने के खेल से इनकार नहीं किया जा सकता। इस मोटे फायदे का कमीशन अफसरों तक जाएगा।
अभी क्या व्यवस्था है?
छत्तीसगढ़ में अभी सरकार की शराब बेचती है। ऐसे में अधिकारियों के हाथ बंधे हैं। सीएम को राजी करने के लिए ये बताया जा रहा है कि ठेका सिस्टम होने से सरकार अपने राजस्व का लक्ष्य पूरा कर सकेगी। पिछले पांच सालों में सरकार की शराब से कमाई तो लगभग दोगुनी हो गई है, लेकिन टारगेट से कम है। कहा ये भी जा रहा है कि इससे मध्यप्रदेश से आने वाली अवैध शराब की बिक्री को रोका जा सकता है।
छत्तीसगढ़ में ये शराब से कमाई का आंकड़ा
साल-दर-साल सरकार का शराब से राजस्व बढ़ रहा है। पीने वाले लोगों में भी इजाफा हो रहा है, लेकिन सरकार की कमाई का टारगेट पूरा नहीं हो रहा। पिछले पांच सालों में शराब की आय दोगुनी हो गई है। पीने वाले 35 फीसदी तक बढ़ गए हैं, लेकिन फिर भी आबकारी विभाग पिछले साल तय लक्ष्य से पीछे रहा है।
वहीं इस साल का राजस्व का लक्ष्य पिछले साल के मुकाबले और बढ़ा दिया है। साल 2024-25 में शराब से कमाई का लक्ष्य 11 हजार करोड़ रुपए रखा गया था, जबकि कमाई 8 हजार करोड़ रुपए हुई। इस साल राजस्व में इजाफा कर 12 हजार 500 करोड़ का टारगट तय किया गया है। सूत्रों की मानें तो शराब से राजस्व का लक्ष्य पूरा न हो, इसके पीछे भी अधिकारियों की चाल रही है, ताकि ठेका सिस्टम लागू करवाने में यह कारण गिनाया जा सके।
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यह है पिछले पांच साल की कमाई...
- 2020-21 - 4636.9 करोड़ रुपए
- 2021-22 - 5110.15 करोड़ रुपए
- 2022-23 - 6783.81 करोड़ रुपए
- 2023-24 - 8430.5 करोड़ रुपए
- 2024-25 - 8000 करोड़ रुपए
- 2025-26 - 12500 करोड़ रुपए का लक्ष्य
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इस तरह बदला था केजरीवाल ने शराब सिस्टम
छत्तीसगढ़ में चल रही तैयारियों के मद्देनजर दिल्ली का उदाहरण जरूर समझा जाना चाहिए। दिल्ली सरकार ने 2021-22 में एक्साइज (शराब बिक्री/लाइसेंस) नीति लागू की थी। इस नीति में होलसेलर्स (थोक विक्रेता) को मुनाफा मार्जिन 5 फीसदी से बढ़ाकर 12 फीसदी करने का प्रावधान किया गया था। इसके साथ यह आरोप है कि कुछ चिन्हित शराब व्यवसायियों को फायदा पहुंचाने के लिए नीति में बदलाव किए गए। बदले में उन्हें और उनकी कंपनियों को लाभ व सरकार के पक्ष में योगदान देने संबंधी व्यवस्था हुई।
केंद्रीय एजेंसियों जैसे ईडी और सीबीआई ने दावा किया है कि केजरीवाल इस नीति को बनाने के मुख्य साजिशकर्ता हैं। उन्होंने कहा कि नीति के जरिए अनधिकृत तरीके से मुनाफा कमाना था। दावा किया गया कि लगभग 100 करोड़ की अग्रिम राशि साउथ ग्रुप से ली गई थी, जिसका इस्तेमाल पंजाब चुनाव में किया गया। केजरीवाल को 21 मार्च 2024 को ED ने गिरफ्तार किया था।
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