असिस्टेंट प्रोफेसर की भर्ती को लेकर कुल में मची कलह,2 महीने से राजभवन में अटकी फाइल,500 मीटर की दूरी तय करने में लगा एक महीना

छत्तीसगढ़ में असिस्टेंट प्रोफेसर की भर्ती में लगातार विवाद सामने आ रहे हैं। एक तरफ कुल में कलह मची हुई है जिससे एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी में भर्ती नहीं हो पा रही है। यह फाइल दो महीने से राजभवन में अटकी हुई है।

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Arun Tiwari
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Raipur.छत्तीसगढ़ में असिस्टेंट प्रोफेसर की भर्ती में लगातार विवाद सामने आ रहे हैं। एक तरफ कुल में कलह मची हुई है जिससे एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी में भर्ती नहीं हो पा रही है। यह फाइल दो महीने से राजभवन में अटकी हुई है। दूसरी तरफ असिस्टेंट प्रोफेसर की भर्ती की एक और फाइल संचालनालय में अटकी हुई है। महानदी से इंद्रावती तक की 500 मीटर की दूरी तय करने में इस फाइल को एक महीना लग गया और अब वो फाइल संचालनालय में धूल खा रही है। मामला यहीं तक नहीं है। गुरु घासीदास यूनिवर्सिटी में भी हुई भर्तियों पर भी सवाल खड़े हो गए हैं।     

कुल में कलह : 

इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय में 60 से अधिक पदों की भर्ती प्रक्रिया पर लगी रोक को दो महीने से ज्यादा का वक्त बीत गया है। राजभवन और विश्विविद्यालय के बीच चल रहा नहीं थमा है। अभ्यर्थी उम्मीद लगाए हैं लेकिन इंटरव्यू फिर से शुरु होने के संकेत दिखाई नहीं दे रहे हैं। यूनिवर्सिटी में 22 सितंबर तक विषयवार साक्षात्कार चलने थे। इससे पहले राजभवन ने विश्वविद्यालय को पत्र भेजकर साक्षात्कार प्रक्रिया को स्थगित करने का निर्देश दे दिया। इससे पूरी प्रक्रिया रुक गई।

यूनिवर्सिटी में 18 असिस्टेंट प्रोफेसर समेत, 37 विषय विशेषज्ञ, 8 फॉर्म मैनेजर,7 प्रोग्राम असिस्टेंट समेत कंप्यूटर ऑपरेटर,ड्राइवर और प्यून समेत 60 से अधिक पदों पर साक्षात्कार 22 सितंबर को प्रस्तावित था। वहीं बैकलॉग श्रेणी के 12 और खाद्य के लिए 6 पद भी इस प्रक्रिया में शामिल थे। इनके लिए 19 सितंबर से साक्षात्कर होने थे लेकिन राजभवन ने इसे रुकवा दिया। 

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यह विवाद की वजह :    

राजभवन को इस भर्ती प्रक्रिया में लेनदेन की शिकायतें मिलीं। इन शिकायतों के कुछ प्रमाण भी राजभवन के सामने आए। इन शिकायतों को देखते हुए राजभवन ने इस प्रक्रिया को रुकवा दिया। विवाद की एक और वजह सामने आई है। सूत्रों के अनुसार राजभवन चाहता था कि उसके प्रतिनिधि साक्षात्कार बोर्ड में शामिल हों। विश्वविद्यालय प्रशासन ने इससे इनकार कर दिया। प्रशासन ने कहा कि ऐसा कोई प्रावधान नियमों में नहीं है। इसी मुद्दे पर विवाद बढ़ने के कुलपति को राजभवन तलब किया गया लेकिन विवाद नहीं सुलझा और यह प्रक्रिया रुक गई। लंबे समय से तैयारी कर रहे उम्मीदवार अब असमंजस की स्थिति में हैं। प्रक्रिया बार-बार टलने से उनका धैर्य टूटने लगा है। उन्हें यह भी नहीं बताया गया कि आगे की नई तिथि कब जारी होगी। कुलपति डॉ गिरीश चंदेल कहते हैं कि हमसे जो भी जानकारी मांगी गई है, वह उपलब्ध करा दी गई है। उम्मीद है कि जल्द ही प्रक्रिया आगे बढ़ेगी और नई तिथियाँ जारी की जाएंगी।

सरकारी सिस्टम की सुस्त : 

इसके अलावा एक और उदाहरण हम आपको बताते हैँ जिसके पेंच में कुछ और प्रोफेसरों की भर्ती फंसी हुई है।  सरकारी सिस्टम की धीमी रफ्तार एक बार फिर सवालों के घेरे में है। असिस्टेंट प्रोफेसर भर्ती से जुड़ी एक फाइल को मंत्रालय से संचालनालय तक पहुंचने में पूरे एक महीने लग गए, जबकि दोनों के बीच की दूरी मात्र 500 मीटर है। इतना ही नहीं, अब एक महीने बाद यह फाइल संचाललय में अटकी है। इससे पता चलता है कि भर्ती आने में अभी देरी होगी। इस देरी से अभ्यर्थियों का कहना है कि वित्त से अनुमोदन मिलने के बाद मंत्रालय से संचाललय के बीच फाइल आने में महीनों का समय लगना, विभागीय कामकाज की सुस्ती का उदाहरण है। 

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यह है मामला : 

प्रदेश के सरकारी कॉलेजों के लिए साल 2019 में भर्ती निकली थी। 14 सितंबर 2025 को यानी छह साल बाद राज्य में असिस्टेंट प्रोफेसर भर्ती की घोषणा की गई। इसमें यह बताया गया कि 625 पदों पर असिस्टेंट प्रोफेसर, 25 पद पर क्रीडा अधिकारी और 50 पदों पर ग्रंथपाल की भर्ती होगी। घोषणा होने के बाद यह माना जा रहा था कि जल्द ही भर्ती के लिए सीजीपीएससी को प्रस्ताव जाएगा। और फिर विज्ञापन निकलेगा। लेकिन भर्ती को लेकर प्रस्ताव अभी संचालनालय में अटका है। भर्ती को लेकर उच्च शिक्षा के प्रभारी आयुक्त डीएस जगत का कहना है कि हमारी कोशिश है कि भर्ती के लिए फाइलें समय पर भेज दी जाएं। कॉलेज स्तर से आवश्यक दस्तावेज लेकर तैयारी चल रही है। जानकारी कहते हैं कि यदि असिस्टेंट प्रोफेसर भर्ती के लिए वित्त से दो महीने पहले मंजूरी मिल चुकी है, तो देरी होना उचित नहीं है। देरी लोगों में शंकाओं को जन्म देती है। प्रक्रिया में देरी प्रशासनिक दक्षता पर प्रश्नचिन्ह और भ्रष्टाचार की आशंका भी बढ़ाता है। इसलिए यदि भर्ती के लिए स्वीकृतियां मिल गई हैं तो अनावश्यक देरी न करें।

छत्तीसगढ़ केंद्रीय विश्वविद्यालय में भर्ती पर सवाल : 

छत्तीसगढ़ के एकमात्र केंद्रीय विश्वविद्यालय गुरु घासीदास विश्वविद्यालय (GGU), बिलासपुर में भी भर्ती प्रक्रिया सवालों के घेरे में आ गई है। GGU में गैर-शैक्षणिक पदों पर हुई भर्ती परीक्षा में अनियमितता के आरोप लग रहे हैं। सवाल यह हैं कि उपस्थित किसी भी अभ्यर्थी का प्राप्तांक यानी नंबर सार्वजनिक नहीं किए गए। कोई मेरिट सूची जारी नहीं की गई, सीधे चयन सूची जारी की गई। कोई वेटिंग लिस्ट नहीं रखी गई, जो कि सामान्य प्रक्रिया का उल्लंघन है। 14 नवंबर 2025 को बनी सूची को 17 नवंबर को वेबसाइट पर अपलोड किया गया, लेकिन इस लिस्ट में चयनित उम्मीदवारों का रोल नंबर, पिता का नाम या जन्मतिथि जैसी बुनियादी जानकारी भी नहीं है। युवाओं ने मांग की है कि GGU इस भर्ती की पूरी प्रक्रिया सार्वजनिक करे। सभी अभ्यर्थियों के प्राप्तांक और मेरिट सूची तुरंत जारी हो। इस भर्ती में हुए घोटाले की उच्च स्तरीय जाँच हो और दोषियों पर सख्त कार्रवाई हो!

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