छत्तीसगढ़ में गायब धान खोजने में विभाग नहीं ले रहा इंट्रेस्ट, शिकायत पर खाद्य मंत्री को भी मतलब नहीं

छत्तीसगढ़ के बालोद जिले में सरकारी धान की बड़ी मात्रा गायब हो गई है। इसकी शिकायत स्थानीय विधायक संगीता सिन्हा ने की है। मंत्री और विभागीय अधिकारी इस मामले में कोई कार्रवाई नहीं कर रहे हैं। विधायक ने मामला विधानसभा में उठाने की धमकी दी है।

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VINAY VERMA
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Photograph: (the sootr)

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RAIPUR. छत्तीसगढ़ के बालोद जिले से 184 करोड़ 27 करोड़ 32 लाख रुपए का धान गायब है। यह धान खरीफ विपणन वर्ष 2024-25 का है। लेकिन विभाग इसे खोजने में कोई इंट्रेस्ट नहीं ले रहा। आंकड़ों की जानकारी जब स्थानीय विधायक को हुई तो उन्होंने इसकी शिकायत विभागीय मंत्री से की। लेकिन उन्होने भी इस पर ध्यान नहीं दिया। स्थानीय विधायक संगीता सिन्हा अब इस मामले को आगामी विधानसभा में उठाएंगी।

48 हजार मीट्रिक टन का हिसाब नहीं

पिछले साल छत्तीसगढ़ सरकार ने प्रदेश के किसानों से करीब 150 लाख मीट्रिक टन धान खरीदा। इसमें बालोद जिले में 2 लाख 58 हजार 454 मीट्रिक टन धान खरीदी हुई। जब जून में इसका मिलान हुआ तो धान खरीदी सरकारी आंकड़े के मुताबिक 2 लाख 9 हजार टन मिली। इसे धान मिलिंग के लिए भेजा जाना बताया गया। ऐसे में सवाल उठने लगा कि 48 हजार 492 मीट्रिक टन धान कहां गया? मामले की जानकारी स्थानीय विधायक को हुई तो सरकारी डेटा के आधार पर जानकारी जुटाई। 

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छत्तीसगढ़ में गायब हुआ धान के मामले को ऐसे समझें 

Dhan Kharidi Last Date 2025 Chhattisgarh

  • छत्तीसगढ़ के बालोद जिले से 48 हजार 492 मीट्रिक टन धान गायब, जिसकी कीमत लगभग 184 करोड़ 27 लाख 32 हजार रुपए है।
  • पिछले साल 2024 में बालोद जिले में 2 लाख 58 हजार 454 मीट्रिक टन धान खरीदी गई थी, लेकिन मिलान के दौरान 48 हजार टन का हिसाब नहीं मिला।
  • विभागीय मंत्री दयाल दास और अधिकारियों ने इस मामले पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं की, जिससे मामला और उलझा हुआ है।
  • स्थानीय विधायक संगीता सिंहा ने शिकायत की, लेकिन मंत्री द्वारा अलग-अलग आंकड़े पेश किए गए, और उन्होंने मामले की जांच की मांग की।
  • विधायक संगीता सिंहा ने चेतावनी दी है कि अगर कार्रवाई नहीं की गई, तो वे इसे विधानसभा में उठाएंगी।

विभागीय मंत्री का ध्यान नहीं

दरअसल बालोद जिले में 4 उपार्जन केंद्र हैं। जहां धान खरीदी होती है और यहीं से मिलर्स को धान मीलिंग के लिए जाता है। इसकी जानकारी विभागीय साइट पर अपलोड होती है। लेकिन सरकारी डेटा में आंकड़ों में कुल खरीदी, मिलर्स को उठाव और बचे धान के आंकड़े मैच नहीं कर रहें। शिकायत में इसकी भौतिक सत्यापन की मांग की जा रही है। जिससे जिम्मेदारी तय हो।

विभाग का ध्यान नहीं

पिछले विपणन वर्ष में लगातार धान के गायब होने की खबरें आई हैं। सूखत और बारिश के नाम पर भी धान खरीदी से गायब हो जाता है। चिंता है कि कहीं गायब धान इसी श्रेणी में डालकर छुपा न दिया जाए। अगर ऐसा हुआ तो सरकारी खजाने को 184 करोड़ का नुकसान होगा। इससे सरकार को कुल $27.32$ लाख रुपये की हानि होने का डर है।

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मामले को विधानसभा में उठाउंगी

संजारी बालोद की विधायक संगीता सिंहा ने शिकायत दर्ज कराई है। उन्होंने विभागीय मंत्री दयाल दास को पूरे आंकड़े दिए थे। लेकिन मंत्री अलग-अलग आंकड़े देकर बरगलाने की कोशिश कर रहे हैं। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक 48 हजार मीट्रिक टन धान गायब है। इस धान का हिसाब अब तक नहीं मिल पाया है, उन्होंने कहा। अगर कार्रवाई नहीं हुई तो यह मुद्दा विधानसभा में उठाया जाएगा।

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