Chhattisgarh : 3 घंटे में ऐसा क्या हुआ कि सीएम को करना पड़ा कलेक्टर-एसपी को सस्पेंड करने का फैसला

छत्तीसगढ़ के बलौदाबाजार में हुई हिंसा के बाद सीएम विष्णुदेव साय ने कलेक्टर और एसपी को निलंबित कर दिया था। प्रदेश में ऐसा पहली बार हुआ जब सीएम को इतना सख्त फैसला लेना पड़ा। आइए आपको बताते हैं इस मामले की इनसाइड स्टोरी।

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Arun tiwari
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Chhattisgarh Balodabazar violence collector SP suspension inside story
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RAIPUR.  बलौदाबाजार में हुए बवाल के बाद सीएम ने छत्तीसगढ़ बनने के 24 साल का सबसे बड़ा फैसला लिया। छत्तीसगढ़ में ऐसा पहली बार हुआ जब किसी बड़ी घटना के बाद आईएएस-आईपीएस के अफसरों को सस्पेंड किया गया हो। हालांकि इससे पहले भी इस रैक के अफसरों को निलंबित किया गया है लेकिन उसके कारण कुछ और थे। कुछ को भ्रष्टाचार के कारण तो कुछ को सिविल सेवा नियमों के उल्लंघन पर सस्पेंड किया गया। आखिर ऐसा क्या हुआ कि सीएम को इतना सख्त फैसला लेना पड़ा। आइए आपको बताते हैं इस मामले की इनसाइड स्टोरी।

क्या है पूरा मामला

छत्तीसगढ़ के बलौदा बाजार जिले में 10 जून को हिंसा भड़क गई थी। यहां धार्मिक स्थल में तोड़फोड़ से नाराज सतनामी समाज के लोग प्रदर्शन के दौरान उग्र हो गए। उन्होंने पहले जिला कलेक्ट्रेट और एसपी ऑफिस में पत्थरबाजी की और फिर आग लगा दी। गुस्साए लोगों ने 100 से ज्यादा गाड़ियों को भी आग के हवाले कर दिया। इस हिंसक प्रदर्शन में 25 से ज्यादा पुलिसकर्मी घायल हो गए। वहीं हिंसा को देखते हुए बाजार की सभी दुकानें बंद कर दी गई और पुलिस ने धारा 144 लगाकर भीड़ पर कंट्रोल किया । इस दौरान पुलिस ने 60 से ज्यादा लोगों को हिरासत में लिया। 

अमर गुफा के जैतखांभ को किया था क्षतिग्रस्त

मामला करीब एक महीने पहले हुई घटना से जुड़ा है। 15 मई की रात गिरौदपुरी में सतनामी समाज के तीर्थ स्थल अमर गुफा के जैतखांभ को किसी ने क्षतिग्रस्त कर दिया था। पुलिस ने इस मामले में कुछ लोगों को गिरफ्तार भी किया था। हालांकि नाराज प्रदर्शनकारियों का कहना था कि पुलिस ने असली आरोपियों को नहीं पकड़ा है और वो दोषियों को बचा रही है। इसको लेकर 8 जून को कलेक्टर और समाज के लोगों के बीच बैठक हुई। उसके बाद 9 जून को गृहमंत्री विजय शर्मा की ओर से घटना के न्यायिक जांच के आदेश दिए गए थे। इसके बाद समाज के लोगों ने 10 जून को दशहरा मैदान में प्रदर्शन की अनुमति मांगी, लेकिन प्रदर्शन के दौरान लोग पुलिस के रवैये से उग्र हो गए थे, जिससे हालात बिगड़ गए।

ये है पूरी कहानी

छत्तीसगढ़ के बलौदा बाजार हिंसा मामले में सरकार ने बड़ा एक्शन लिया है। दो दिन पहले जिले के कलेक्टर और एसपी को पद से हटाने के बाद अब दोनों को सस्पेंड कर दिया गया है। सरकार ने बलौदा बाजार के तत्कालीन कलेक्टर केएल चौहान और एसपी सदानंद कुमार पर एक्शन लिया है। बता दें कि 12 जून को दोनों को उनके पद से हटाकर दीपक सोनी को नया कलेक्टर और विजय अग्रवाल को नया एसपी बनाया गया था। दोनों पर लापरवाही बरतने को लेकर कार्रवाई की गई है। यहां पर सवाल उठता है कि आखिर जब पद से हटा दिया गया था तो फिर एक दो दिन बाद ऐसी नौबत क्यों आई कि दोनों को सस्पेंड करना पड़ा।

दरअसल, इसके पीछे बड़ी वजह है। सतनामी समाज को साधने के लिए सीएम को ऐसा करना पड़ा। सतनामी समाज के दबाव में दोनों अधिकारियों को सस्पेंड किया गया। गुरुवार यानी 13 जून को सतनामी समाज का एक प्रतिनिधिमंडल सीएम विष्णुदेव साय से मिला। रात करीब आठ बजे सीएम हाउस में इनकी मुलाकात हुई। इस प्रतिनिधि मंडल ने सीएम से अधिकारियों पर कड़ी कार्रवाई करने की मांग की। कलेक्टर और एसपी को पद से हटाने पर ये लोग संतुष्ट नहीं थे और बड़ी कार्रवाई चाहते थे।

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दोषियों पर होगी कड़ी कार्रवाई : सीएम

इस मौके पर सीएम विष्णुदेव साय ने कहा कि बलौदाबाजार जिले की घटना बहुत ही निंदनीय है। इसमें दोषियों के खिलाफ कड़ी से कड़ी कार्रवाई होगी। उन्होंने इस दौरान समाज के लोगों को आश्वस्त किया कि निर्दोष लोगों को किसी भी तरह से प्रताड़ित नहीं किया जाएगा। उन्होंने समाज के लोगों को भरोसा दिलाया कि शासन- प्रशासन द्वारा की जाने वाली कार्रवाई पूर्णतः न्यायसंगत होगी। सीएम ने इस संबंध में मंत्रियों और अफसरों से बातचीत की। इस मुलाकात के तीन घंटे बाद यानी रात साढ़े 11 बजे दो ऑर्डर आए जिसमें तत्कालीन कलेक्टर केएल चौहान और एसपी सदानंद कुमार को निलंबित कर दिया गया। ऑर्डर में लिखा था कि इन अधिकारियों ने मौके पर उचित कार्रवाई नहीं की, इसलिए इनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाती है।

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सतनामी समाज को साधना क्यों जरुरी

जाहिर है अफसरों के खिलाफ इतना बड़ा फैसला सतनामी समाज के दबाव में ही लिया गया। दरअसल बीजेपी ये अच्छी तरह जानती है कि सूबे की राजनीति में सतनामी समाज को अनदेखा नहीं किया जा सकता। छत्तीसगढ़ की राजनीति की धुरी सतनामी समाज के इर्द गिर्द ही घूमती है। अकेले राजनीति ही नहीं सतनामी समाज, सामाजिक तानेबाने पर भी असर डालता है। सतनामी समाज ने जिसका साथ दिया उसको ताज मिलना तय है। इस समाज का प्रभाव छत्तीसगढ़ की तीस से ज्यादा विधानसभा सीटों और पांच लोकसभा सीटों पर है। आबादी के हिसाब से देखें तो ओबीसी के बाद सबसे ज्यादा सतनामी समाज के लोग ही हैं। यही कारण है कि सतनामी समाज की अनदेखी कर कोई भी पार्टी सियासत में कामयाब नहीं हो सकती। छत्तीसगढ़ में सतनामी समाज की आबादी करीब चालीस लाख है।

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20 से ज्यादा सीटों पर सतनामी समाज का प्रभाव

सतनामी समाज में खासतौर पर अनुसूचित जाति के लोगों को माना जाता है। राजनीतिक तौर पर देखें तो प्रदेश की नब्बे विधानसभा सीटों में से दस सीटें तो सीधे तौर पर एससी के लिए आरक्षित हैं। लेकिन यह समाज इन दस सीटों के अलावा अन्य बीस से पच्चीस विधानसभा सीटों पर असर डालता है। यानी इन सीटों की जीत हार इसी समाज के लोग तय करते हैं। बीजेपी हो या कांग्रेस कोई भी राजनीतिक दल इनकी अनदेखी नहीं कर सकता। 

साल 2018 में सतनामी समाज के धर्मगुरु बालदास महाराज कांग्रेस के साथ आए। इसका असर यह हुआ कि कांग्रेस को विधानसभा चुनाव में बड़ी कामयाबी हासिल हुई। कांग्रेस ने एससी के लिए आरक्षित दस सीटों में से ज्यादातर सीटें जीत लीं। लेकिन जब बालदास महाराज कांग्रेस से अलग होकर बीजेपी में शामिल हुए तो सियासत ही बदल गई। साल 2023 के विधानसभा चुनाव से पहले बालदास महाराज ने बीजेपी का रुख किया। उन्होंने अपने पुत्र के लिए भी टिकट मांगा। पुत्र की भी जीत हुई और प्रदेश में 54 सीटों के साथ बीजेपी की सरकार बन गई। एससी की अधिकांश सीटें बीजेपी के पाले में चली गईं।

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