छत्तीसगढ़ में नक्सलवाद पर सबसे बड़ा प्रहार: बीजापुर में 103 नक्सलियों का सरेंडर, 1 करोड़ से अधिक का था इनाम

छत्तीसगढ़ में शांति की दिशा में ऐतिहासिक कदम। बीजापुर में 103 माओवादियों ने हथियार डालकर आत्मसमर्पण किया, जिन पर 1 करोड़ 6 लाख से अधिक का इनाम था। यह नक्सलवाद विरोधी लड़ाई में बड़ी सफलता है।

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Sanjay Dhiman
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Photograph: (the sootr)

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बीजापुर.छत्तीसगढ़ के इतिहास में नक्सलवाद विरोधी अभियान को एक अभूतपूर्व सफलता मिली है। बीजापुर जिले में एक ही दिन में 103 माओवादियों ने आत्मसमर्पण कर समाज की मुख्यधारा में लौटने का फैसला किया है। इस बड़े घटनाक्रम को छत्तीसगढ़ के इतिहास का अब तक का सबसे बड़ा माओवादी आत्मसमर्पण माना जा रहा है, जो राज्य में शांति और विकास की नई इबारत लिखता है।

यह आत्मसमर्पण न केवल संख्या के लिहाज़ से महत्वपूर्ण है, बल्कि इसमें शामिल नक्सली नेताओं के कद को देखते हुए भी इसे नक्सल संगठन के लिए एक बड़ा झटका माना जा रहा है। इन सभी माओवादियों पर संयुक्त रूप से कुल 1 करोड़ 6 लाख 30 हजार रुपये का इनाम घोषित था, जो इनकी आपराधिक गतिविधियों और संगठन में इनकी महत्ता को दर्शाता है। छत्तीसगढ़ सरकार की पुनर्वास नीति के तहत, आत्मसमर्पण कर मुख्यधारा में शामिल होने वाले सभी माओवादियों को प्रोत्साहन स्वरूप 50 हजार रुपए का चेक प्रदान किया गया। 

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वरिष्ठ नेताओं का समर्पण: संगठन की रीढ़ टूटी

इस विशाल आत्मसमर्पण (Surrender) समूह में नक्सल संगठन के कई वरिष्ठ नेता और महत्वपूर्ण कैडर शामिल हैं। इनकी मौजूदगी यह बताती है कि अब नक्सल संगठन के भीतर से ही संगठन की विचारधारा और नेतृत्व के प्रति असंतोष चरम पर है।

आत्मसमर्पण (Surrender) करने वालों में शामिल प्रमुख कैडरों की सूची इस प्रकार है:

  • डीव्हीसीएम (DVCM) -  01

  • पीपीसीएम (PPCM) -    04

  • एसीएम (ACM) -           04

  • मिलिशिया कमांडर/डिप्टी कमांडर - 05

  • जनताना सरकार अध्यक्ष  - 04

  • जनताना सरकार सदस्य - 22

  • पीएलजीए सदस्य - 01

  • मिलिशिया प्लाटून सदस्य - 23

कुल 106.30 लाख रुपए के इनाम वाले 49 माओवादियों समेत 103 माओवादियों के आत्मसमर्पण से नक्सल संगठन को ज़बरदस्त क्षति पहुंची है। सुरक्षा बलों और प्रशासन की समन्वित रणनीति के चलते ही यह सफलता संभव हो पाई है। 

नक्सल विरोधी अभियान में बड़ी सफलता के आंकड़े

छत्तीसगढ़ में नक्सलवाद पर नियंत्रण के लिए चलाए जा रहे अभियान लगातार प्रभावी साबित हो रहे हैं। आंकड़ों पर नज़र डालें तो इस वर्ष (01 जनवरी 2025 से अब तक) माओवादियों को भारी नुकसान उठाना पड़ा है:

  • गिरफ्तार माओवादी: 421

  • आत्मसमर्पित माओवादी: 410

  • मुठभेड़ में मारे गए माओवादी: 137

पिछले वर्ष (01 जनवरी 2024 से अब तक) के विस्तृत आंकड़ेनक्सली संगठन (Naxal Organization) के कमजोर होने की कहानी कहते हैं:

  • गिरफ्तार माओवादी: 924

  • आत्मसमर्पित माओवादी: 599

  • मुठभेड़ में मारे गए माओवादी: 195

ये आंकड़े साफ दर्शाते हैं कि सुरक्षा बलों की सक्रियता और सरकार की पुनर्वास नीति के संयुक्त प्रयासों से नक्सल संगठन पर लगातार दबाव बना हुआ है, जिससे कैडर और नेता मुख्यधारा में लौटने को मजबूर हो रहे हैं।

आत्मसमर्पण के प्रमुख कारण

माओवादियों (Maoists) के आत्मसमर्पण (Surrender) के पीछे कई महत्वपूर्ण कारक हैं जिन्होंने उन्हें हिंसा का रास्ता छोड़ने के लिए प्रेरित किया है। ये कारण न केवल संगठन की आंतरिक कमज़ोरियों को उजागर करते हैं, बल्कि सरकारी प्रयासों की सफलता को भी दर्शाते हैं। 

संगठन से मोहभंग और आंतरिक कलह 

नक्सल संगठन के भीतर अपेक्षित बदलाव न आना, आंतरिक कलह, मतभेद और नेतृत्व पर विश्वास की कमी जैसे कारणों ने कई माओवादियों (Maoists) को आत्ममंथन के लिए बाध्य किया है। संगठन में मौजूद शोषण (Exploitation) और क्रूर व्यवहार से त्रस्त होकर भी कैडर बाहर निकलना चाहते हैं।

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शीर्ष नेतृत्व का समर्पण और सफाया

संगठन के शीर्ष नेतृत्वकर्ता माओवादियों का लगातार आत्मसमर्पण करना और मुठभेड़ों में वरिष्ठ नेताओं का मारा जाना, संगठन की नैतिक और रणनीतिक रीढ़ को तोड़ रहा है। इससे निचले स्तर के कैडरों में अनिश्चित भविष्य की चिंता बढ़ी है।

छत्तीसगढ़ पुनर्वास नीति: नई आशा की किरण

छत्तीसगढ़ सरकार की नवीन पुनर्वास नीति माओवादियों के लिए नई आशा की किरण साबित हो रही है। यह नीति आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों को एक सम्मानजनक जीवन का अवसर प्रदान करती है।

पुनर्वास नीति की मुख्य विशेषताएं

प्रोत्साहन राशि: प्रत्येक आत्मसमर्पित माओवादी को शुरुआत में ₹50,000 की प्रोत्साहन राशि प्रदान की जाती है।
सामाजिक पुनर्स्थापन:रोजगार , शिक्षा और आवास जैसी मूलभूत सुविधाओं से जोड़कर उन्हें सामाजिक पुनर्स्थापन में मदद की जाती है।
सुरक्षा और सम्मान:छत्तीसगढ़ माओवादी आत्मसमर्पण करने वालों को सुरक्षा प्रदान की जाती है और उन्हें समाज की मुख्यधारा में सम्मान (Respect) के साथ शामिल होने का अवसर मिलता है।
पेशेवर प्रशिक्षण: उनकी क्षमताओं के अनुरूप उन्हें व्यावसायिक प्रशिक्षण दिया जाता है ताकि वे एक स्थिर आय अर्जित कर सकें।

बीजापुर पुलिस अधीक्षक डॉ. जितेंद्र कुमार यादव  भी माओवादियों से पुनर्वास नीति का लाभ उठाकर शांतिपूर्ण और सम्मानजनक जीवन की ओर अग्रसर होने की अपील की है। उनका कहना है कि पुनर्वास नीति की सफलता से आत्मसमर्पण करने वाले माओवादियों के परिजन भी खुश हैं और चाहते हैं कि उनके प्रियजन सामान्य जीवन जिएँ।

यह ऐतिहासिक आत्मसमर्पण छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में एक निर्णायक मोड़ है। यह दिखाता है कि हिंसा और भ्रामक विचारधारा को त्याग कर विकास और शांति का मार्ग ही सही और स्थायी समाधान है।

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