बिलासपुर जिले के रतनपुर में अष्ट कमल पर विराजित हैं माता महालक्ष्मी

माता महालक्ष्मी अष्ट कमल पर विराजमान है। यह प्राचीन मंदिर करीब 800 साल से अधिक पुराना है। ये लखनी देवी मंदिर के नाम से जाना जाता है। लखनी देवी लक्ष्मी (Lakhni Devi Lakshmi ) मां का ही अपभ्रंश नाम है, जो साधारण बोलचाल की भाषा में प्रचलित हो गया है।

Advertisment
author-image
Sandeep Kumar
New Update
STYLESHEET THESOOTR - 2024-10-31T141411.927
Listen to this article
0.75x 1x 1.5x
00:00 / 00:00

छत्तीसगढ़ के बिलासपुर जिले के रतनपुर में पहला माता महालक्ष्मी मंदिर (Mata Mahalaxmi Temple ) है। जो श्रीयंत्र से निर्मित है। माता महालक्ष्मी अष्ट कमल पर विराजमान है। यह प्राचीन मंदिर करीब 800 साल से अधिक पुराना है। ये लखनी देवी मंदिर के नाम से जाना जाता है। लखनी देवी लक्ष्मी (Lakhni Devi Lakshmi ) मां का ही अपभ्रंश नाम है, जो साधारण बोलचाल की भाषा में प्रचलित हो गया है। राजा रत्नदेव के शासन काल में जब अकाल और महामारी आई। ऐसी मान्यता है कि यहां देवी मां की पूजा-अर्चना करने से धन, धान्य के साथ ही सुख समृद्धि की प्राप्ति होती है। 

दिवाली पर CM योगी ने किए श्रीरामलला के दर्शन, हनुमान जी के लगाई हाजिरी

अमावस्या पर काली पूजन आज

बिलासपुर में कार्तिक अमावस्या (Kartik Amavasya ) पर दिवाली मनाने के साथ मध्य रात्रि मां काली (Maa Kali ) की विधिविधान से पूजा की परंपरा है। बिलासपुर में 100 साल से इस परंपरा का निर्वहन किया जा रहा है। प्रारंभ में दुर्गा पंडालों में मां काली की प्रतिमा स्थापित कर पूजा-अर्चना होती थी। बाद में रेलवे परिक्षेत्र के कालीबाड़ी (Kalibari of Railway Zone ) में बंगाल की तर्ज पर पूजा होने लगी।

आज दिवाली मिलन समारोह में शामिल होंगे CM मोहन यादव

आदि शक्ति महामाया देवी मंदिर के नाम पर

बिलासपुर ( Bilaspur ) से 25 किलोमीटर दूर प्राचीन और ऐतिहासिक नगरी रतनपुर की पहचान आदि शक्ति महामाया देवी(Aadi Shakti Mahamaya Devi ) के नाम पर है, लेकिन यहां कई ऐतिहासिक और पुरातात्विक पौराणिक मान्यताएं भी जुड़ी हुई है। ऐसे ही एक प्राचीन और लखनी देवी का मंदिर भी है, जो यहां की पहाड़ी पर स्थित है।

दिवाली पर मां लक्ष्मी को प्रिय है कमल, जानें क्या है कनेक्शन

अन्नपूर्णा माता और माई की बगिया

इस मंदिर में श्रद्धालु इसे अन्नपूर्णा माता और माई की बगिया के रूप में देखते हैं। यह पहला ऐसा मंदिर है, जहां ज्वारा कलश के नाम पर रसीद काटी जाती है। माता रानी के साथ-साथ ज्वारा दर्शन के लिए यहां बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं। ज्वारा के संबंध में किसानों की मान्यता है कि जिस तरह ये बढ़ते हैं, इसी से किसान अपनी फसल का अनुमान लगाते हैं।

महालक्ष्मी की पूजा का महत्व

29 अक्टूबर को धनतेरस के साथ ही दीपोत्सव पर्व (festival of lights ) शुरू हो गया है। इस साल दीप पर्व 5 नहीं 6 दिनों का है, क्योंकि इस बार कार्तिक अमावस्या 31 अक्टूबर और 1 नवंबर दो दिन है। हालांकि, बिलासपुर समेत छत्तीसगढ़ में 31 अक्टूबर को दीपोत्सव मनाया जा रहा है। दीपावली में महालक्ष्मी (Mahalakshmi in Diwali ) की पूजा का विशेष महत्व धन-वैभव की कामना के लिए भक्त करते हैं।

देवी लक्ष्मी की विशेष पूजा-आराधना 

छत्तीसगढ़ में अगहन महीने यानी मार्गशीर्ष के हर गुरुवार को देवी लक्ष्मी की विशेष पूजा-आराधना की जाती है। हर गुरुवार को यहां देवी की विशेष पूजा होती है और दर्शन के लिए कई भक्त आते हैं। 22 नवंबर से मार्गशीर्ष महीने का आरंभ हो रहा है। इस दौरान लखनी देवी मंदिर में विशेष पूजा और अनुष्ठान का आयोजन भी होगा।

काली पूजा के भव्य पंडाल की सजावट

कालीबाड़ी और पंडालों के साथ ही सरकंडा स्थित मुक्तिधाम, विनोबा नगर, हेमू नगर सहित कई जगहों में पूजा होने लगी है। प्रमुख स्थानों पर काली पूजा के भव्य पंडाल की सजावट की गई है। यहां देर रात तक पूजा के साथ ही उत्सव की धूम मचेगी। काली पूजा में व्रतियों द्वारा पुष्पांजलि देने की परंपरा है।

thesootr links

द सूत्र की खबरें आपको कैसी लगती हैं? Google my Business पर हमें कमेंट के साथ रिव्यू दें। कमेंट करने के लिए इसी लिंक पर क्लिक करें

छत्तीसगढ़ न्यूज छत्तीसगढ़ दिवाली मां लक्ष्मी की कृपा मां लक्ष्मी करेंगी धनवर्षा मां लक्ष्मी दीपावली 2024 मां लक्ष्मी और कमल के बीच संबंध रतनपुर में अष्ट कमल