बिलासपुर में नक्शा, ले-आउट घोटाले पर बड़ा एक्शन, फर्जी आर्किटेक्ट ब्लैक लिस्टेड

छत्तीसगढ़ के बिलासपुर जिले में नक्शा और ले-आउट घोटाला हुआ है। विभागीय जांच में इस बात की पुष्टि होने के बाद निगम ने उस आर्किटेक्ट को ब्लैक लिस्टेड कर दिया जो फर्जी है।

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Pravesh Shukla
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बिलासपुर जिले में नक्शा और ले-आउट घोटाला हुआ है। विभागीय जांच में इस बात की पुष्टि होने के बाद निगम ने उस आर्किटेक्ट को ब्लैक लिस्टेड कर दिया जो फर्जी है। आर्किटेक्ट एसोसिएशन ने इस मामले में कहा है कि विकास सिंह नाम का कोई व्यक्ति एसोसिएशन में रजिस्टर्ड नहीं है।

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कराए गए कई अवैध निर्माण

जबकि नगर निगम और टाउन एंड कंट्री प्लानिंग (TCP) के कुछ अधिकारियों ने इसी विकास सिंह के नाम से 400 से ज्यादा नक्शा, 150 से ज्यादा ले-आउट पास किए और कई अवैध निर्माण कराए।

फर्जी आर्किटेक्ट पर कार्रवाई

सीधे तौर पर दोषी अफसरों पर कार्रवाई ना करते हुए निगम ने केवल फर्जी आर्किटेक्ट पर कार्रवाई की है। जबकि नक्शे और ले-आउट पास कराने में TCP और निगम के भवन शाखा के अफसरों की भूमिका रही है।

सब इंजीनियर का है नंबर

अफसर एक दिन में 29 फाइलें अप्रूव कर देते थे। जांच में ये भी पता चला है कि विकास सिंह का रजिस्टर्ड मोबाइल नंबर सब इंजीनियर मयूर गेमनानी का है। जो टाउन एंड कंट्री प्लानिंग में कई विवादों में रहे है।

10 साल से हो रहा था फर्जी काम

बिलासपुर निगम से इंजीनियर विकास सिंह को लाइसेंस नंबर 234 के जरिए रजिस्टर्ड कराया। जिसके बाद सुनियोजित तरीके से विकास सिंह के लाइसेंस नंबर पर मोबाइल नंबर (7415380854) रजिस्टर्ड कराया गया, जो मयूर गेमनानी नाम के शख्स का है।

आर्किटेक्ट के नाम पर फर्जीवाड़ा

जिसके माध्यम से अफसरों ने आर्किटेक्ट विकास सिंह के नाम से फर्जीवाड़े को अंजाम दिया। जांच में यह भी पता चला है कि आर्किटेक्ट विकास सिंह के नाम पर नक्शा पास कराने के काम की शुरुआत नगर निगम में 10 जुलाई 2015 से शुरू हुई, जो जून 2025 तक जारी रहा।

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नियमों की अनदेखी

नगर निगम कमिश्नर अमित कुमार के मुताबिक विकास सिंह ने पुराना बस स्टैंड के पास महक आहूजा के भवन निर्माण के लिए नक्शा तैयार किया और निर्माण के सुपरविजन की शपथ दी थी। लेकिन, निर्माण कार्य स्वीकृत नक्शे के विपरीत हुआ।

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जांच में हुआ खुलासा

निगम जांच में यह जानकारी सामने आई कि शपथ पत्र देने के बाद भी विकास सिंह ने निर्माण की निगरानी नहीं की, यह छत्तीसगढ़ भूमि विकास नियम 1984 के नियमों का उल्लंघन है।

10 साल तक चला खेल

आरोप है कि फर्जी आर्किटेक्ट के नाम से 400 से ज्यादा नक्शा, 150 से ज्यादा ले-आउट पास करवा दिया। ये खेल पिछले 10 साल से चला रहा था। उसके रजिस्ट्रेशन पर जितने भी ले-आउट और नक्शा पास हुए हैं,, उसमें से ज्यादातर में अवैध निर्माण की शिकायतें मिली।

बरती गई गंभीर लापरवाही

जब इस नाम के आर्किटेक्ट की जांच हुई तो पता चला कि विकास सिंह कभी सामने नहीं आया और न ही कोई आर्किटेक्ट भी उसे जानते हैं। जांच में यह भी पता चला कि अफसरों ने उसके नाम पर एक ही दिन में 29 फाइलों को अप्रूव कर दिया, जिसमें एक जैसी गंभीर अनियमितताएं की गई है। उसके रजिस्ट्रेशन पर जितने भी ले-आउट और नक्शा पास हुआ है, उसमें से ज्यादातर में अवैध निर्माण की शिकायतें मिली है।

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प्रशासन के खिलाफ खोला मोर्चा

नगर निगम ने अवैध निर्माण के लिए जब आर्किटेक्ट पर कार्रवाई करने की चेतावनी दी, तब एसोसिएशन ने निगम प्रशासन के खिलाफ मोर्चा खोल दिया। हालांकि, निगम आयुक्त ने पहले ही एक आर्किटेक्ट पर जिम्मेदारी तय करते हुए उसका लाइसेंस निलंबित कर दिया और उसे एक साल के लिए ब्लैक लिस्ट भी कर दिया।

अफसरों पर गंभीर आरोप

एसोसिएशन ने बताया कि उनकी जानकारी में विकास सिंह आर्किटेक्ट ही नहीं है। इसी दौरान निगम प्रशासन पर यह आरोप लगा कि फर्जी आर्किटेक्ट के लाइसेंस के नाम पर टाउन एंड कंट्री प्लानिंग और निगम के अफसरों ने मिलकर गड़बड़ी की है। मामला सामने आने पर दोषियों को बचाने के लिए प्रकरण को दबाने की कोशिश की जा रही है।

 

विवादों में रहे मयूर गेमनानी

सब इंजीनियर मयूर गेमनानी नगर और ग्राम निवेश बिलासपुर (TNCP) विभाग में वरिष्ठ योजना सहायक पद कार्यरत थे। लेकिन, उनका मूल विभाग कोई दूसरी जगह था।उन्हें 2018 में ग्रामीण यांत्रिकी सेवा विभाग से टाउन एंड कंट्री प्लानिंग में प्रतिनियुक्ति दी गई थी। अपने पदस्थापना के बाद से विवादों में आ गए। उनकी कार्य शैली को लेकर लगातार शिकायतें की जाती रही।

कलेक्टर ने लिखा था पत्र

उस समय तात्कालीन कलेक्टर अवनीश शरण ने उन्हें मूल विभाग भेजने के लिए पत्र लिखा। लेकिन, मयूर गेमनानी ने हाईकोर्ट में स्टे के लिये आवेदन लगाने से अपने मूल विभाग में नहीं गए। यह भी आरोप है कि प्रभावशाली भाजपा नेता के दबाव में उन्हें मूल विभाग में नहीं भेजा जा सका था। शिकायतों पर एक्शन लेते हुए हाईकोर्ट ने भी उनकी याचिका को खारिज कर दी। जिसके बाद 29 अप्रैल 2025 को संयुक्त संचालक नगर एवं ग्राम निवेश ने उन्हें मूल विभाग भेजने का आदेश जारी किया गया।

जांच के दिए थे आदेश

बता दें कि मयूर गेमनानी को संचालनालय की सेवा शर्तों के अनुसार नगर और ग्राम निवेश में खाली पद की भर्ती या प्रतिनियुक्ति के दो साल पूरे होने के बाद मूल विभाग लौटना था। इसके बाद भी वो पद पर बने रहे। इस दौरान तत्कालीन कलेक्टर अवनीश शरण तक उनकी लगातार गंभीर शिकायत मिल रही थी, जिस पर उन्होंने जांच के आदेश भी दिए थे।

 

 

आर्किटेक्ट को किया ब्लैकलिस्टेड

निगम कमिश्नर अमित कुमार ने जानकारी देते हुए बताया कि विकास प्राधिकरण के अंतर्गत इंजीनियर और आर्किटेक्ट दोनों को समान अधिकार दिए गए हैं। बिलासपुर नगर निगम में कुल मिलाकर 650 इंजीनियर और आर्किटेक्ट पंजीकृत हैं, जिनमें से कुछ को निलंबित किया गया है।

जांच में सामने आया फर्जीवाड़ा

 जिनका लाइसेंस निलंबित किया गया है वो इंजीनियर है न कि आर्किटेक्ट उन्होंने यह भी बताया कि समय-समय पर संपत्तियों की जांच की जाती है। तीन महीने पहले 10 संपत्तियों की जांच में यह फर्जीवाड़ा उजागर हुआ है, जिनकी प्रॉपर्टी की जांच की गई थी वो नक्शे के खिलाफ निर्माण किया गया था। इस पर विकास सिंह का लाइसेंस निरस्त कर उसे ब्लैकलिस्टेड भी किया गया है।

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