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छत्तीसगढ़ की जमीन पर तैयारी हुई झारखंड में 38.44 करोड़ रुपये से अधिक के बहुचर्चित शराब घोटाले की जांच में भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (ACB) ने बड़ी कार्रवाई की है। इस मामले में ACB ने छत्तीसगढ़ के प्रमुख शराब कारोबारी सिद्धार्थ सिंघानिया को गिरफ्तार किया है। यह गिरफ्तारी मंगलवार (17 जून 2025) की देर रात छत्तीसगढ़ में की गई, जिसके बाद उन्हें रांची लाया गया। इस कार्रवाई ने न केवल झारखंड बल्कि छत्तीसगढ़ के शराब कारोबार से जुड़े सिंडिकेट की गहरी सांठगांठ को उजागर किया है।
घोटाले में सिद्धार्थ सिंघानिया की भूमिका
झारखंड शराब घोटाला मामले में ACB की जांच ने पिछले कुछ महीनों में तेजी पकड़ी है। यह घोटाला शराब की बिक्री, लाइसेंसिंग, सप्लाई और बिलिंग में बड़े पैमाने पर अनियमितताओं से जुड़ा है, जिसके कारण झारखंड सरकार को करोड़ों रुपये का नुकसान हुआ। जांच में पाया गया कि शराब नीति को लागू करने में छत्तीसगढ़ के कारोबारियों का एक सिंडिकेट सक्रिय था, जिसमें सिद्धार्थ सिंघानिया की कथित रूप से महत्वपूर्ण भूमिका थी।
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छापेमारी में बरामद हुई थी डायरी
सिद्धार्थ सिंघानिया, जो छत्तीसगढ़ की प्लेसमेंट एजेंसी 'सुमित फैसिलिटी' से जुड़े हैं, पर आरोप है कि उन्होंने झारखंड में शराब नीति को प्रभावित करने और अनियमितताओं को अंजाम देने में अहम भूमिका निभाई। प्रवर्तन निदेशालय (ED) की अक्टूबर 2024 में छत्तीसगढ़ शराब घोटाले की जांच के दौरान सिद्धार्थ के ठिकानों पर छापेमारी की गई थी, जहां एक डायरी बरामद हुई। इस डायरी में झारखंड के शराब कारोबार से जुड़े कई महत्वपूर्ण सुराग मिले, जिसमें सिद्धार्थ की बिचौलिए की भूमिका स्पष्ट हुई।
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ACB की कार्रवाई और गिरफ्तारी
ACB ने सिद्धार्थ सिंघानिया को 11 जून 2025 को पूछताछ के लिए नोटिस जारी किया था, जिसमें उन्हें रांची स्थित ACB मुख्यालय में उपस्थित होने का निर्देश दिया गया था। हालांकि, सिद्धार्थ ने इस समन का पालन नहीं किया, जिसके बाद ACB की विशेष अदालत ने 12 जून 2025 को उनके खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी किया। 17 जून की रात को ACB की टीम ने छत्तीसगढ़ में सिद्धार्थ को हिरासत में लिया और रांची लाया। सूत्रों के अनुसार, उनकी गिरफ्तारी के बाद उनसे गहन पूछताछ की जा रही है, जिसमें शराब नीति में हेरफेर, फर्जी बैंक गारंटी, और प्लेसमेंट एजेंसियों के जरिए राजस्व की हानि से जुड़े सवाल शामिल हैं।
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जांच में अब तक की प्रगति
इस मामले में ACB ने अब तक कुल छह लोगों को गिरफ्तार किया है, जिनमें पूर्व उत्पाद आयुक्त और झारखंड स्टेट बेवरेज कॉरपोरेशन लिमिटेड (JSBCL) के पूर्व एमडी अमित प्रकाश भी शामिल हैं। अमित प्रकाश की गिरफ्तारी 17 जून 2025 को हुई थी, और उन पर 12 करोड़ रुपये की अनियमितता का आरोप है। जांच में पाया गया कि उनके कार्यकाल में शराब बिक्री से राजस्व में 70 करोड़ रुपये की भारी गिरावट आई, और फर्जी बैंक गारंटी के जरिए सरकारी खजाने को नुकसान पहुंचाया गया। इसके अलावा, 20 मई 2025 को पूर्व प्रधान सचिव विनय कुमार चौबे और संयुक्त आयुक्त गजेंद्र सिंह को भी गिरफ्तार किया गया था। ACB ने कुल 12 लोगों को नामजद आरोपी बनाया है, जिनमें से पांच पहले ही गिरफ्तार हो चुके थे। सिद्धार्थ सिंघानिया की गिरफ्तारी के साथ यह संख्या अब छह हो गई है।
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छत्तीसगढ़ कनेक्शन और ED की जांच
झारखंड और छत्तीसगढ़ के शराब घोटालों के बीच गहरा संबंध सामने आया है। ED की जांच में यह स्पष्ट हुआ कि छत्तीसगढ़ का शराब सिंडिकेट झारखंड में शराब नीति लागू करवाने की साजिश में शामिल था। इस साजिश में सिद्धार्थ के अतिरिक्त मनीष जैन और राजीव द्विवेदी को भी नोटिस जारी किए गए। उधर, छत्तीसगढ़ में भी शराब घोटाले की जांच चल रही है, जिसमें ED ने पूर्व आबकारी मंत्री कवासी लखमा और उनके बेटे की 6.15 करोड़ रुपये की संपत्ति अटैच की है। इस घोटाले का दायरा 2161 करोड़ रुपये तक बताया जा रहा है।
राजनीतिक प्रतिक्रियाएं और जनता की मांग
इस घोटाले ने झारखंड में राजनीतिक हलचल मचा दी है। विपक्षी दल, विशेष रूप से भारतीय जनता पार्टी (BJP), ने इस मामले की जांच केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) से कराने की मांग की है। स्थानीय लोगों और सामाजिक संगठनों ने भी इस घोटाले में शामिल सभी दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की है।
भविष्य में जांच और संभावनाएं
ACB का कहना है कि सिद्धार्थ सिंघानिया से पूछताछ के बाद अन्य कारोबारियों और अधिकारियों के नाम सामने आ सकते हैं। इसके अलावा, फर्जी बैंक गारंटी और प्लेसमेंट एजेंसियों के जरिए हुए घोटाले की गहराई तक पहुंचने के लिए ACB ने अपनी जांच का दायरा छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, और महाराष्ट्र तक बढ़ा दिया है। जांच अभी जारी है और आने वाले दिनों में और बड़े खुलासे हो सकते हैं।
झारखंड शराब घोटाले की जांच को नया मोड़
सिद्धार्थ सिंघानिया की गिरफ्तारी ने झारखंड शराब घोटाले की जांच को एक नया मोड़ दिया है। यह मामला न केवल सरकारी तंत्र में भ्रष्टाचार की गहरी जड़ों को उजागर करता है, बल्कि पड़ोसी राज्यों के कारोबारी सिंडिकेट्स की सांठगांठ को भी सामने लाता है। ACB और ED की संयुक्त कार्रवाई से उम्मीद है कि इस घोटाले के सभी दोषियों को जल्द ही सजा मिलेगी, और सरकारी खजाने को हुए नुकसान की भरपाई हो सकेगी।
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