Raipur : मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय छत्तीसगढ़ में सुशासन का मॉडल स्थापित करना चाहते हैं लेकिन उनकी नौकरशाही ही साख पर बट्टा लगा रही है। सरकार ने सुशासन पखवाड़े के तहत अफसरों को नगरीय निकायों के हर वॉर्ड में भेजा। फरमान था कि लोगों की समस्याओं और शिकायतों का मौके पर ही तत्काल निराकरण हो। चार दिन में 184 नगरीय निकायों में लोगों की 26 हजार दिक्कतें और उनसे जुड़ी शिकायतें सामने आईं। लेकिन अफसर सरकार के इस सुशासन मॉडल में थर्ड डिवीजन पास हुए। यानी लोगों की सिर्फ 40 फीसदी मुश्किलें ही दूर हुईं। समस्याओं के निपटारा न करने में अफसर फर्स्ट डिवीजन पास हुए। सुशासन का ये पखवाड़ा 15 दिन चलेगा। द सूत्र ने तो सुशासन पखवाड़े के पहले चार दिन की पड़ताल कर ये नब्ज टटोलने की कोशिश की है कि वाकई में ये समस्याएं दूर करने की कोशिश है या फिर सिर्फ दिखावे की रस्म अदायगी।
चुटकी भर समस्याएं,सालों से पेंडिंग
सरकार ने अपनी ब्रांडिंग करने और लोगों की समस्याएं दूर करने के लिए जनसमस्या निवारण पखवाड़ा शुरु किया है। इसमें अफसरों को हर वॉर्ड में जाकर लोगों की छोटी-छोटी समस्याओं को दूर करने का फरमान सुनाया है। छोटी समस्याएं मौके पर दूर करने के निर्देश इसलिए हैं क्योंकि सीएम के जनदर्शन में उन समस्याओं को लेकर लोग पहुंच रहे हैं जो वॉर्ड या तहसील में दूर हो सकती हैं। सीएम दो बार ही जनदर्शन कर पाए और उसमें छोटी-छोटी समस्याओं का अंबार लग गया। यही कारण है कि पिछले तीन सप्ताह से जनदर्शन टलता जा रहा है। अब सरकार ने अफसरों को ताकीद कर हर वॉर्ड में भेजा ताकि ये समस्याएं वहीं दूर हो जाएं। प्रदेश के सभी 184 नगरीय निकायों में 27 जुलाई से जनसमस्या पखवाड़ा शुरु हुआ। यह सरकारी कार्यक्रम 10 अगस्त तक चलेगा।
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इन समस्याओं को दूर करने का फरमान
समस्याएं इतनी छोटी छोटी हैं जो अफसर चाहें तो चुटकियों में दूर हो सकती हैं। समस्याओं में नल कलेक्शन, राशन कार्ड, राष्ट्रीय परिवार सहायता, वृद्धावस्था पेंशन, सामाजिक सुरक्षा पेंशन, जन्म-मृत्यु प्रमाण पत्र, भवन निर्माण अनुमति, नोड्यूज सर्टिफिकेट, नामांतरण, स्वरोजगार के प्रकरण जैसे छोटे छोटे काम हैं। इनका हल तत्काल हो सकता है। इनके अलावा वॉटर सप्लाई में लीकेज, नलों में पानी न आना, नालियों व गलियों की सफाई, सार्वजनिक नलों के प्लेटफार्म से पानी बहना, कचरे की सफाई व परिवहन, टूटी-फूटी नालियों की मरम्मत, सड़कों के गड्ढे पाटना, स्ट्रीट लाइट्स का बंद रहना जैसी समस्याएं भी हैं।
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समस्याएं दूर करने में अफसरों की थर्ड डिवीजन
यह समस्याएं इतनी छोटी हैं कि एक पार्षद भी इनको ठीक कर सकता है। लेकिन इनको दूर करने के लिए सरकार ने अफसरों की फौज खड़ी कर दी है। लेकिन सुशासन का मॉडल बनाने में लगी सरकार के ये अफसर इनको भी दूर नहीं कर पा रहे। कहा तो ये जा रहा है कि इस दौरान नगर निगमों, नगर पालिकाओं और नगर पंचायतों में वार्डवार शिविरों का आयोजन कर लोगों की समस्याओं को तत्काल दूर किया जाएगा। इन शिविरों में स्थानीय प्रशासन में लंबित शिकायतों का तत्काल निदान किया जाएगा और नागरिकों को जरूरी सुविधाएं मुहैया कराई जाएंगी। द सूत्र ने इस फरमान और उसकी हकीकत की पड़ताल की।
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ये है सुशासन पखवाड़े की हकीकत
1. पहले चार दिनों में इन अफसरों को 26 हजार 85 आवेदन मिले।
2. इनमें 23 हजार 141 लोगों की मांगों से संबंधित थे।
3. इनमें 2942 लोगों की शिकायतें थीं।
4. इनमें से 10 हजार 90 शिकायतों का निपटारा हुआ।
5. यानी 40 फीसदी समस्याएं ही दूर हो पाईं।
6. फरमान था 100 फीसदी समस्याओं को दूर करने का लेकिन 60 फीसदी समस्याएं जस की तस रहीं।
7. सुशासन की इस परीक्षा में अफसर थर्ड डिवीजन ही पास हो पाए।
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समस्या निवारण या रस्म अदायगी
अफसरों की इस परफॉर्मेंस से ये सवाल जरुर खड़ा हो रहा है कि यह जन समस्या निवारण है या फिर रस्म अदायगी। समस्याएं इतनी छोटी हैं फिर भी 40 फीसदी ही मौके पर दूर हो पाईं। माना कि जन समस्याओं का कोई अंत नहीं होता लेकिन कम से कम अपनी नाक बचाने के लिए प्रशासन उन छोटी मुश्किल जो आम आदमी के लिए बड़ी परेशानी का कारण बनती हैं,उनको तो दूर कर सकता है। वे भी ऐसी मुश्किलें जिनमें न अलग से बजट लगना और न ही बड़ी प्लानिंग या अनुमति की जरुरत। यहां पर सवाल तो उठता है कि क्या यही है नई सरकार का सुशासन मॉडल।