छत्तीसगढ़ कोयला घोटाला: नवनीत तिवारी को सुप्रीम कोर्ट से मिली जमानत, 570 करोड़ के स्कैम में शामिल

बहुचर्चित कोयला घोटाला मामले में सुप्रीम कोर्ट से बड़ी खबर आई है। मुख्य न्यायाधीश की पीठ ने घोटाले के मास्टरमाइंड सूर्यकांत तिवारी के रिश्तेदार नवनीत तिवारी को जमानत प्रदान कर दी है। नवनीत तिवारी को अवैध कोल लेवी सिंडिकेट का सक्रिय सदस्य बताया गया था।

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Harrison Masih
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Raipur. छत्तीसगढ़ के 570 करोड़ रूपए के बहुचर्चित कोयला घोटाले में एक बड़ा घटनाक्रम सामने आया है। घोटाले के मास्टरमाइंड सूर्यकांत तिवारी के रिश्तेदार और सिंडिकेट के सक्रिय सदस्य नवनीत तिवारी को सुप्रीम कोर्ट ने जमानत दे दी है। मुख्य न्यायाधीश (CJI) की अगुवाई वाली पीठ ने उनकी जमानत याचिका स्वीकार करते हुए उन्हें रायपुर सेंट्रल जेल से रिहा करने का आदेश दिया। नवनीत तिवारी पिछले चार महीने से जेल में बंद था।

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कौन हैं नवनीत तिवारी?

नवनीत तिवारी, मनी लॉन्ड्रिंग और भ्रष्टाचार के आरोपों में जेल में बंद कारोबारी सूर्यकांत तिवारी के रिश्ते के भाई हैं। जांच एजेंसियों ने उसे इस पूरे सिंडिकेट का मुख्य फील्ड ऑपरेटर बताया है। प्रवर्तन निदेशालय (ED) और आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो (EOW) की जांच में नवनीत को अवैध कोल लेवी सिंडिकेट का सक्रिय सदस्य बताया गया है।

उन पर रायगढ़ जिले में कोल व्यवसायियों और ट्रांसपोर्टरों से करोड़ों रूपए की अवैध वसूली करने का आरोप है। यह वसूली गई रकम नियमित रूप से रायपुर तक पहुंचाई जाती थी। एजेंसियों का दावा है कि नवनीत तिवारी ने सूर्यकांत तिवारी की बेनामी संपत्तियों के प्रबंधन में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

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गिरफ्तारी और न्यायिक प्रक्रिया

नवनीत तिवारी 2022 में आरोपी बनने के बाद से ही लगातार फरार था और अन्य आरोपियों के साथ भूमिगत हो गए था। वह 2022 से फरार था, जिसके बाद EOW ने उसे जुलाई 2025 में गिरफ्तार किया। सुप्रीम कोर्ट में बचाव पक्ष की ओर से अधिवक्ता शशांक मिश्रा ने तर्क दिया कि नवनीत की गिरफ्तारी केवल परिस्थितियों पर आधारित थी, और वह जांच में पूरी तरह सहयोग करने के लिए तैयार हैं। इन दलीलों को सुनने के बाद कोर्ट ने उसे जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया।

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570 करोड़ का छत्तीसगढ़ कोयला घोटाला

यह पूरा घोटाला छत्तीसगढ़ में एक सुनियोजित अवैध वसूली नेटवर्क से जुड़ा है। 15 जुलाई 2020 को खनिज विभाग के तत्कालीन संचालक (IAS समीर विश्नोई) द्वारा कोयला परिवहन के ऑनलाइन परमिट को ऑफलाइन करने का आदेश जारी किया गया।  इस बदलाव के बाद रायगढ़, कोरबा और आसपास के क्षेत्रों में कोल ट्रांसपोर्टरों से 25 रूपए प्रति टन की दर से अवैध वसूली शुरू हो गई।

जांच एजेंसियों का आरोप है कि इस अवैध लेवी से 570 करोड़ रूपए से अधिक की ब्लैक मनी इकट्ठा की गई, जिसका उपयोग संपत्तियों के अधिग्रहण और राजनीतिक फंडिंग में किया गया। ED ने कोल कारोबारी सूर्यकांत तिवारी को इस पूरे वसूली नेटवर्क का मास्टरमाइंड (किंगपिन) बताया है।

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आगे क्या?

नवनीत तिवारी को जमानत मिलने के बावजूद, मामला अभी ट्रायल चरण में है। उन्हें कोर्ट द्वारा तय की गई कई शर्तों का पालन करना होगा। ED और EOW दोनों एजेंसियाँ मामले में अपनी जाँच और आरोपों की पुष्टि जारी रखेंगी।

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