छत्तीसगढ़ में धर्मांतरण, ऑटो में भगवा झंडा लेकिन ईसाई धर्म का प्रचार

 धर्मांतरण का जब जिक्र होता है तो सबसे पहले बस्तर और फिर सरगुजा याद आता है, थोड़ा और पीछे जाएँगे तो आपको नारायणपुर की कुछ धुंधली हो चुकी तस्वीरे याद आ जाएँगी साथ ही गाँव में बवाल भी।

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Arun Tiwari
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 धर्मांतरण का जब जिक्र होता है तो सबसे पहले बस्तर और फिर सरगुजा याद आता है, थोड़ा और पीछे जाएँगे तो आपको नारायणपुर की कुछ धुंधली हो चुकी तस्वीरे याद आ जाएँगी साथ ही गाँव में बवाल भी।  पर चर्चा आज इसलिए फिर शुरू हुई क्योंकि रायपुर से कुछ किलोमीटर दूर मैदानी इलाके में भी धर्मांतरण कराये जाने के आरोप लग रहे हैं।  

जी हाँ ये पूरा मामला बस्तर और सरगुजा से नहीं बल्कि छत्तीसगढ़ की राजधानी से सटे ग्राम पंचायत पथरी का हैं। जहाँ वाहन में भगवा झंडा लगा कर धर्मांतरण कराने की कोशिशें तेज़ी से हो रही हैं। पम्पलेट बना कर घर-घर बांटा जा रहा है। लोगों से धर्म बदलने की अपील की जा रही है।  ऐसे कई गांवों में इस तरह के पर्चे बांटे जा रहे हैं। देखिए द सूत्र की पड़ताल। 

आपको बताते है कि, एक ऑटो जिसमें भगवा झंडा लगा है,लेकिन इसके अंदर रखा है ईसाई साहित्य। भगवा झंडा लगाकर गांव के लोगों को ईसाई साहित्य बांटा जा रहा है। लोगों को एक परचा दिया जा रहा है जिसमें लिखा है कि मन फिराओ स्वर्ग का राज्य निकट है। मैं अपना ह्रदय आपके लिए खोलता हूं। इस प्रार्थना को प्रभु यीशु के नाम पर मांगता हूं।

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इस संदेश से आप समझ गए होंगे कि यह सीधा धर्मांतरण का संदेश है। यह दृश्य पथरी का है। पथरी रायपुर के पास का ही एक गांव है। इस गांव के दृश्य देखकर आप अंदाजा लगा सकते हैं कि यह दूर दराज का विशुद्ध गांव ही है। हम यह इसलिए बता रहे हैं क्योंकि ऐसे ही गांव वालों को टारगेट किया जा रहा है। यह मामला अकेले पथरी का नहीं है बल्कि दूर दराज के कई गांवों में यह अभियान चल रहा है। 

आपको बताते है कि, राज्य की करीब 32 प्रतिशत आबादी आदिवासी है। इनमें सरगुजा, बस्तर के ग्रामीण इलाकों में रहने वाले आदिवासियों के लिए धर्मांतरण बहुत बड़ा मुद्दा है। 2011 की जनगणना के अनुसार छत्तीसगढ़ की कुल आबादी 2.55 करोड़ है। जिनमें इसाइयों की संख्या 4.90 लाख है। यानी ईसाई कुल आबादी के 1.92 फ़ीसदी हैं। राज्य में रोमन कैथोलिक वर्ग की जनसंख्या 2.25 लाख और मेनलाइन चर्च, जिसमें चर्च ऑफ़ नार्थ इंडिया, मेनोनाइट्स, ईएलसी, लुथरन  शामिल हैं, इनकी जनसंख्या 1.5 लाख है।

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धर्मांतरण के मुद्दे की अहमियत को समझने पर आप साफ तौर पर समझ सकेंगे कि बीजेपी के केंद्रीय नेताओं से लेकर स्थानीय नेता भी पिछली कांग्रेस की सरकार को बुरी तरह घेरते रहे हैं । अब विधानसभा चुनाव में सरकार बदल गई थी। अब सत्ता में बीजेपी है और मुख्यमंत्री भी आदिवासी चेहरे के रूप में विष्णुदेव साय हैं। लेकिन धर्मांतरण की आग अब भी छत्तीसगढ़ के तमाम इलाकों में धधक रही है। अब इस तरह के ऑटो धर्मांतरण के लिए गांव गांव में घूम रहे हैं। 

 

धर्मांतरण रोकने नया कानून ला रही सरकार

छत्तीसगढ़ सरकार एक बार फिर घर वापसी अभियान शुरु करने जा रही है। पहले ये अभियान बीजेपी के वरिष्ठ नेता दिलीप सिंह जूदेव ने शुरु किया था। छत्तीसगढ़ में धर्मांतरण एक बड़ा मुद्दा रहा है। बीजेपी इस बात को हमेशा से कहती आई है कि प्रदेश में बड़े पैमाने पर धर्मांतरण हो रहा है। आदिवासियों को पैसे का लालच देकर धर्म परिवर्तन कराया जा रहा है। इसको रोकने के लिए नया और कड़ा कानून भी लाया जा रहा है। सरकार जल्द ही नए कानून के ड्राफ्ट को अमलीजामा पहनाएगी। 

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ये है नए कानून का ड्राफ्ट



  • सूत्रों के मुताबिक नए कानून में ये प्रावधान रहेगा कि जो व्यक्ति धर्म परिवर्तन करना चाहता है वो एक फॉर्म भरकर जिला मजिस्ट्रेट के पास जमा कराएगा, मजिस्ट्रेट पुलिस को इसके कारण,वास्तविक इरादे और मकसद के बारे में पूरी जांच करने को कहेंगे। पुलिस की जांच में यदि कुछ संदिग्ध निकला तो धर्म परिवर्तन नहीं कराया जा सकता। 
  • अनुचित प्रभाव, जोर जबरदस्ती, प्रलोभन, विवाद प्रस्ताव या कपटपूर्ण तरीके से धर्म परिवर्तन नहीं किया जा सकेगा। यदि इसमें से कोई एक भी कारण सामने आता है तो धर्मांतरण अवैध माना जाएगा। इसमें एक और प्रावधान किया जा रहा है कि धर्म परिवर्तन के बाद व्यक्ति को एक डिक्लेरेशन फॉर्म भरकर खुद डीम के सामने पेश होना होगा। ऐसा नहीं किया तो भी धर्मांतरण अवैध माना जाएगा। 
  • वैरीफिकेशन पूरा होने तक डिक्लेरेशन फॉर्म की एक प्रति नोटिस बोर्ड पर चस्पा की जाएगी। डीएम धर्म परिवर्तन करने वाले की रजिस्ट्री भी अपने पास जमा कराएंगे।
  • धर्म परिवरर्तन करने वाले के परिवार वालों को यदि इसमें आपत्ति है तो वे एफआईआर दर्ज करा सकेंगे। ये मामला गैर जमानती होगा और इसकी सुनवाई सेशन कोर्ट में होगी। इसमें दो से दस साल तक जेल हो सकती है और पच्चीस हजार रुपए तक जुर्माना लगाया जाएगा। 
  • अवैध तरीके से धर्म परिवर्तन कराए जाने पर तीन साल से दस साल तक की सजा होगी और पचास हजार रुपए तक जुर्माना लगेगा। कोर्ट धर्म परिवर्तन के पीड़ित को पांच लाख रुपए तक मुआवजा भी मंजूर कर सकता है।
  • धर्म परिवर्तन अवैध नहीं है यह साबित करने की जिम्मेदारी धर्म परिवर्तन कराने वालों पर होगी।  उन पर नहीं जो अपने वास्तविक धर्म में लौटना चाहते हैं।  

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धर्मांतरण पर सख्त सरकार


धर्मांतरण पर पहले से कानून है लेकिन सरकार अब और सख्त कानून बनाने जा रही है। इसका ड्राफ्ट तैयार किया जा रहा है। बीजेपी कहती है कि पिछले पांच साल में बड़े पैमाने पर धर्मांतरण हुआ है।अब ये धर्मांतरण आदिवासियों से आगे बढ़कर ओबीसी और सवर्ण समाज में भी होने लगा है। सरकारी तौर पर तो पिछले पांच सालों में इसकी करीब साढ़े तीन हजार शिकायतें आई थीं लेकिन सरकार से जुड़े सूत्र बताते हैं कि धर्मांतरण की संख्या लाखों में है जो सरकारी कागज पर नहीं आ पाती। इसी धर्मांतरण को रोकने के लिए सरकार नया और सख्त कानून ला रही है।

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