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Photograph: (the sootr)
RAIPUR.छत्तीसगढ़ में ACB और EOW की टीमों ने DMF घोटाले में रविवार तड़के कई ठिकानों पर छापेमारी की। यह छापेमारी रायपुर, दुर्ग, बिलासपुर, कोंडागांव, अंबिकापुर और सरगुजा में की गई। छापेमारी का मुख्य उद्देश्य अवैध लाभ, घोटाले और आर्थिक अनियमितताओं को उजागर करना था।
मुख्य ठिकाने, जहां की गई छापेमारी
रायपुर: लॉ-विस्टा कॉलोनी में कारोबारी और सप्लायर हरपाल अरोरा के घर पर रेड जारी है।
दुर्ग: पूर्व आबकारी आयुक्त निरंजन दास के ठिकानों पर दस्तावेजों की जांच हो रही है।
धमतरी: पूर्व विधायक जया बेन दोषी के पोते के घर में भी छापेमारी की गई।
सरगुजा: पशु चिकित्सक डॉ. तनवीर अहमद और सप्लायर अमित अग्रवाल के ठिकानों पर जांच जारी है।
कोंडागांव: DMF सप्लाई से जुड़े कारोबारी कोणार्क जैन के घर और अन्य ठिकानों पर कार्रवाई की गई।
बलरामपुर: व्यवसायी मनोज अग्रवाल के घर पर भी रेड की गई।
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डीएमएफ घोटाले में ACB-EOW की कार्रवाई को ऐसे समझेंछत्तीसगढ़ में ACB और EOW की छापेमारी: ACB(Anti-Corruption Bureau) और EOW(Economic Offences Wing) ने छत्तीसगढ़ में रायपुर, दुर्ग, बिलासपुर, कोंडागांव और अंबिकापुर में DMF घोटाले को लेकर कार्रवाई की गई। पूर्व आबकारी आयुक्त और रियल एस्टेट कारोबारी के ठिकानों पर रेड: दुर्ग में निरंजन दास और धमतरी में पूर्व विधायक के पोते के घर पर छापेमारी की गई। छत्तीसगढ़ DMF घोटाला: अवैध लाभ और कमीशन का खुलासा: ठेकेदारों और अधिकारियों ने 25% से 40% तक कमीशन लिया, जिसके चलते घोटाले में बड़ा वित्तीय नुकसान हुआ। ED ने मनी लॉन्ड्रिंग की जांच शुरू की: ED की जांच में 76.50 लाख रुपये नकद, 35 लाख रुपये के बैंक खाते और कई आपत्तिजनक दस्तावेज बरामद किए गए। 23.79 करोड़ रुपये की संपत्ति कुर्क: ED ने घोटाले से जुड़ी संपत्तियां कुर्क की हैं, जिनमें निलंबित IAS अधिकारी समेत कई आरोपी शामिल हैं। |
DMF घोटाला: क्या है पूरा मामला?
DMF (District Mineral Foundation) एक ट्रस्ट है। जिसे खनन से जुड़े क्षेत्रों में लोगों को लाभ पहुंचाने के लिए बनाना गया था। लेकिन जांच में यह सामने आया है कि इस फंड से जुड़े मामलों में आर्थिक अनियमितताएं की गई हैं। अधिकारियों और ठेकेदारों ने राजनीतिक नेताओं के साथ मिलकर भारी रकम का कमीशन लिया था। यह कमीशन 25% से 40% तक था।
ED की जांच:
इस घोटाले की जांच में ED (Enforcement Directorate) ने मनी लॉन्ड्रिंग का मामला दर्ज किया है। 29 अक्टूबर को हुई छापेमारी में करीब 76.50 लाख रुपए नकद, 35 लाख रुपए के बैंक खाते और कई आपत्तिजनक दस्तावेज बरामद किए गए हैं।
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कमीशन का खेल: क्या हुआ था?
ED की रिपोर्ट के मुताबिक, ठेकेदारों ने अधिकारियों और राजनीतिक नेताओं को भारी कमीशन का भुगतान किया। यह कमीशन 25% से 40% तक था और यह रकम झूठी एंट्री के रूप में दिखाई गई थी। इसके साथ ही कई फर्जी कंपनियां और डिजिटल डिवाइस भी जब्त किए गए हैं।
कुर्क की गई संपत्ति:
ED ने इस घोटाले में 23.79 करोड़ रुपये की संपत्ति कुर्क की है। यह संपत्ति उन आरोपियों की है, जो इस घोटाले में शामिल थे, जिसमें निलंबित IAS अधिकारी रानू साहू भी शामिल हैं।
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