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Photograph: (the sootr)
छत्तीसगढ़ के भिलाई जिले में अंजोरा चौकी क्षेत्र में एक बड़े धोखाधड़ी का मामला सामने आया है, जिसमें आरोपियों ने मंत्रालय में चपरासी और बाबू की नौकरी दिलाने का झांसा देकर 12 लोगों से कुल 70 लाख रुपए की ठगी कर ली। इस घोटाले में शामिल मुख्य आरोपी भेषराम देशमुख और उसके पुत्र रविकांत देशमुख को गिरफ्तार किया गया है, जबकि एक अन्य आरोपी अरुण मेश्राम फरार है।
ठगी के इस मामले की शुरुआत 2022 में हुई, जब बालोद जिले के ग्राम चिरचार निवासी संतराम देशमुख ने अंजोरा चौकी में शिकायत दर्ज करवाई। उनके मुताबिक,बाप-बेटा भेषराम और रविकांत ने उन्हें मंत्रालय में चपरासी की नौकरी दिलाने का झांसा दिया और इसके लिए 5 लाख रुपए की राशि ली।
ऐसे देते थे ठगी को अंजाम
बताया जा रहा है कि यह लोग नाैकरी के लिए परेशान लोगों की पहचान करने के बाद उन्हें अपनी बातों में फंसाकर यह भरोसा जीतते थे। एक बार भरोसा जीतने के बाद यह लोग इन लोगों को कभी मंत्रालय तो कभी किसी दूसरे सरकारी भवन बुलाते थे। यहां उन्हें फर्जी लेटर और दूसरे कागज दिखाकर उनसे पैसे ऐंठे जाते थे।
इन बाप-बेटे ने मिलकर कई लोगों को चूना लगाया है, इनमें से 12 लोग अबतक सामने भी आ चुके है। जिनकी शिकायत पर पुलिस ने मामले दर्ज कर लिए है।
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आरोपियों ने कुल कितनी रकम ठगी की?
आरोपियों ने इस तरीके से 12 लोगों से 2.5 लाख से 4 लाख रुपए तक ठगे, जिससे उनकी कुल ठगी की रकम 70 लाख रुपए तक पहुँच गई। सभी आरोपियों ने इन पैसों का इस्तेमाल अपनी निजी ज़रूरतों को पूरा करने के लिए किया। पुलिस ने आरोपियों के पास से धोखाधड़ी से प्राप्त रकम से खरीदी गई सम्पत्ति के दस्तावेज़, बैंक पासबुक और डायरी भी बरामद की हैं।
भागने की फिराक में थे बाप-बेटा
धोखाधड़ी के आरोपियों को यह भनक लग गई थी कि पुलिस इन्हें गिरफ्तार करने जा रही है। दोनों भागने की फिराक में थे उसी समय पुलिस ने आरोपी भेषराम और रविकांत को दुर्ग बस स्टैंड से गिरफ्तार कर लिया। दोनों के खिलाफ धोखाधड़ी का मामला दर्ज कर न्यायिक रिमांड पर जेल भेजा गया। वहीं, फरार आरोपी अरुण मेश्राम की तलाश जारी है।
नाैकरी का सपना दिखाकर ठगी के इस मामले को ऐसे समझेंठगी का मामला: भिलाई जिले के अंजोरा चौकी क्षेत्र में मंत्रालय में चपरासी की नौकरी दिलाने का झांसा देकर 12 लोगों से 70 लाख रुपए की ठगी की गई। आरोपी: मुख्य आरोपी भेषराम देशमुख और उसके पुत्र रविकांत देशमुख को गिरफ्तार किया गया, जबकि एक अन्य आरोपी अरुण मेश्राम फरार है। ठगी का तरीका: आरोपियों ने नौकरी दिलाने का वादा किया और इसके बदले में 2.5 लाख से 4 लाख रुपए तक लिए, लेकिन न नौकरी दी, न पैसे लौटाए। धोखाधड़ी से खरीदी संपत्ति: ठगी से मिली रकम से आरोपियों ने कुथरेल में एक प्लॉट खरीदा और उसके दस्तावेज़ पुलिस ने जब्त किए। पुलिस कार्रवाई:छत्तीसगढ़ पुलिस ने दोनों आरोपियों को गिरफ्तार कर जेल भेजा और फरार आरोपी की तलाश जारी है। |
धोखाधड़ी की रकम से खरीदी कई सम्पत्ति
आरोपियों ने इस ठगी से प्राप्त रकम से कुथरेल में एक प्लॉट खरीदा था। भेषराम और रविकांत ने स्वीकार किया कि उन्होंने ठगी से 20 लाख रुपए कमाए, जिसमें से 12 लाख रुपए से प्लॉट खरीदा। पुलिस ने इस प्लॉट से संबंधित रजिस्ट्री पेपर और अन्य दस्तावेज़ भी जब्त किए हैं।
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पुलिस ने की सतर्कता बरतने की अपील
धोखाधड़ी के इस प्रकार के मामलों की संख्या में लगातार वृद्धि हो रही है, और पुलिस प्रशासन ने ऐसे मामलों में सतर्कता बरतने की अपील की है। खासकर मंत्रालय और सरकारी नौकरी देने का झांसा देने वाले ठगों से सावधान रहने की जरूरत है।