Chhattisgarh : क्या नहीं पिघली टीएस और भूपेश के बीच जमी बर्फ, ये क्या बोल गए सिंहदेव

छत्तीसगढ़ के पूर्व डिप्टी सीएम टीएस सिंहदेव ने मीडिया को दिए इंटरव्यू में कहा कि उनके खिलाफ हमेशा सरकारी तंत्र काम करता रहा है। हमारी सरकार में भी अफसर उनके खिलाफ रहे हैं। विधानसभा चुनाव हारने के पीछे भी यही बड़ा कारण रहा।

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Vikram Jain
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Chhattisgarh former CM Bhupesh Baghel TS Singhdev Mahadev Satta App
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RAIPUR. छत्तीसगढ़ में कांग्रेस सरकार बनने के बाद 5 साल तक तत्कालीन मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ( Bhupesh Baghel) और डिप्टी सीएम टीएस सिंहदेव ( TS Singhdev) के रिश्ते में खटास ही नजर आई है। ढाई-ढाई साल सीएम बनने के फॉर्मूले पर टीएस सिंहदेव हमेशा मुखर होकर बोलते रहे हैं। चुनाव के आखिरी समय में जरुर दोनों की गलबहियां करती तस्वीर सामने आईं लेकिन लगता है कि भूपेश बघेल और टीएस सिंहदेव के रिश्तों पर जमी बर्फ नहीं पिघली है। टीएस सिंहदेव ने हाल ही में मीडिया को दिए इंटरव्यू (TS Singhdev Interview) में कहा कि उनके खिलाफ हमेशा सरकारी तंत्र काम करता रहा है। हमारी सरकार में भी अफसर उनके खिलाफ रहे हैं। विधानसभा चुनाव हारने के पीछे भी यही बड़ा कारण रहा। जाहिर है उनका इशारा तत्कालीन मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की तरफ ही था।

मैं चुनाव नहीं लड़ना चाहता था : सिंहदेव

टीएस सिंहदेव ने कहा कि मैने चुनाव नहीं लड़ने का फैसला किया था।  मेरे और कांग्रेस से जुड़े लोगों के खिलाफ प्रशासन काम कर रहा था। तत्कालीन कलेक्टर संजीव झा ने प्रशासनिक सेवाओं के अधिकारियों की तय सीमाओं को लांघ कर यह कहा कि इनके खिलाफ रिपोर्ट आई है, जांच करेंगे, कार्रवाई करेंगे। सिंहदेव ने कहा कि कैबिनेट में नाम के लिए ही मान लीजिए कि जो नंबर टू का मंत्री, मुख्यमंत्री के बाद जिनका नाम प्रोटोकॉल में लिखा रहता था। उस परिस्थिति में प्रशासन का प्रमुख अधिकारी, कलेक्टर ऐसा बयान दे रहे थे, वह अनुकूल नहीं था। इन सब परिस्थितियों के कारण ही मैंने चुनाव न लड़ने का फैसला लिया था। सीतापुर के वरिष्ठ साथी ने एक उदाहरण बताया कि, उनके एक साथ के अधिकारी-कर्मचारी का काम था। वे बोले कि बाबा से बोलते तो हो जाता, तो उन्होंने कहा कि बाबा से कहलवाएंगे तो उल्टा हो जाएगा, किसी और से बोलवाइए। वातावरण ऐसा बना था। उन परिस्थितियों को भांप कर मेरी सोच थी कि मुझे कॉटीन्यू नहीं करना चाहिए। किसी और को जगह देनी चाहिए।

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विधायकों को तोड़ने के लिए किया गया संपर्क

सिंहदेव ने कहा कि उनसे जुड़े विधायकों को तोड़ने के लिए एक व्यक्ति ने संपर्क किया था। वे चिंतामणि महाराज ( Chintamani Maharaj) को टिकट देने के पक्ष में थे। 2013 में उनको टिकट भी दिया गया। लेकिन फिर बाद में परिस्थितियां बदल गईं। चिंतामणि महाराज आज बीजेपी के लोकसभा उम्मीदवार हैं। सिंहदेव ने कहा कि महादेव सट्टा एप की व्यापकता के बारे में बिल्कुल भी अंदाजा नहीं था। सरकार ने इस तरह के एप को बंद करने के लिए विधानसभा में कानून भी पारित किया था।

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