भोपाल. छत्तीसगढ़ी ( Chhattisgarhi ) भाषा के डिग्रीधारी स्टूडेंट्स के लिए अच्छी खबर है। उच्च शिक्षा विभाग ने प्रदेश के सभी सरकारी और प्राइवेट यूनिवर्सिटी से कहा है कि वे गेस्ट लेक्चरर ( lecturer ) यानी अतिथि व्याख्याता के तौर पर छत्तीसगढ़ में एमए कर चुके युवाओं को नियुक्त करें, ताकि वे छत्तीसगढ़ी पढ़ा सकें। अब तक होता ये था कि हिंदी से एमए करने वाले अतिथि व्याख्याता ही छत्तीसगढ़ी पढ़ाते थे।
पीएससी में पिछड़ रहे थे
ज्ञात हो कि अगले महीने प्रदेश में पीएससी मेन्स के एग्जाम होने वाले हैं। इसमें छत्तीसगढ़ी के 50 नंबर के प्रश्न आते हैं। ये प्रश्न सब्जेक्टिव टाइप रहते हैं। इसमें 25-30 नंबर के आब्जेक्टिव टाइप प्रश्न छत्तीसगढ़ी के रहते हैं। चूंकि छत्तीसगढ़ी का मानकीकरण नहीं हुआ है, इसलिए ये प्रश्न अब छत्तीसगढ़ के बच्चों को ही परेशान कर रहे हैं। प्रतियोगी परीक्षाओं में स्थानीय लोगों के अच्छे नंबर आएं, इसलिए छत्तीसगढ़ी को शामिल किया गया था। इसी भाषा में स्थानीय उम्मीदवार ही काफी संख्या में गलत जवाब देकर नंबर कम करवा लेते हैं। इसकी एक और वजह भी है। छत्तीसगढ़ी की पढ़ाई अगर कहीं हो भी रही है, तो इसे हिंदी के ऐसे प्रोफसर-लेक्चरर ही पढ़ा रहे हैं, जिन्हें केवल छत्तीसगढ़ी आती है, डिग्री नहीं है।
विश्वविद्यालय के भर्ती नियमों में संशोधन के आदेश
उच्च शिक्षा विभाग की आयुक्त शारदा वर्मा की ओर से जारी आदेश में कहा गया है कि छात्र संगठनों ने शिकायत की थी कि अगर यूनिवर्सिटीज में छत्तीसगढ़ी पढ़ाई भी जा रही है, तो उसके लिए अतिथि व्याख्याता के रूप में हिंदी में पीजी करने वालों को नियुक्त किया जा रहा है। इसके बजाय पढ़ाने के लिए ऐसे युवाओं को गेस्ट लेक्चरर के रूप में नियुक्त किया जाए, जिन्होंने छत्तीसगढ़ी में ही एमए किया हो। आयुक्त ने आदेश में कहा कि इसके लिए आवश्यकतानुसार विश्वविद्यालय के भर्ती नियमों में संशोधन की कार्रवाई भी की जाए।
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