जिस जमीन पर बनना था तालाब, Brijmohan Agarwal की पत्नी का तन गया रिसोर्ट

छत्तीसगढ़ विष्णुदेव सरकार के एक दिग्गज मंत्री पर गंभीर आरोप लगे हैं। इन मंत्रीजी ने अपनी पत्नी के नाम सरकारी जमीन खरीदी। इस जमीन पर पत्नीजी का रिसार्ट भी तन गया, जबकि यह जमीन सरकार ने तालाब बनाने के लिए ली था, फिर क्या हुआ पढ़िए...

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Jitendra Shrivastava
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अरुण तिवारी @ रायपुर

मौका हो और मौके की जमीन हो तो कौन चूकता है भला, फिर छत्तीसगढ़ के कद्दावर मंत्री बृजमोहन अग्रवाल ( Brijmohan Agarwal ) कैसे चूकते! मंत्री थे तो पत्नी के नाम सिरपुर में मौके की सरकारी जमीन खरीद ली। सिरपुर यानी टूरिस्ट हब तो इस जमीन पर रिसॉर्ट खिंचवा दिया। खुद सरकारी विभाग ने इस जमीन को वापस दिलाने कोर्ट में गुहार लगाई, तब जाकर पता चला मंत्रीजी ने क्या खेला किया है… चलिए जानते हैं इस मामले को… 

जो जमीन सरकारी उसे ही खरीद डाला

सुशासन का दावा करने वाली प्रदेश की विष्णुदेव सरकार के एक दिग्गज मंत्री पर ही गंभीर आरोप लगे हैं। स्कूल शिक्षा मंत्री बृजमोहन अग्रवाल ( Brijmohan Agarwal ) ने पत्नी सरिता अग्रवाल ( Sarita Agarwal ) के नाम पर जल संसाधन विभाग की चार हेक्टेयर जमीन खरीदी। यह जमीन महासमुंद जिले के जलकी में है। इस जमीन पर सरिता अग्रवाल का रिसार्ट तन गया। इस जमीन को सरकार ने तालाब बनाने के लिए दानपत्र पर राजस्व की दूसरी जमीन के बदले में ली थी। नामांतरण न होने के कारण जमीन के मालिक किसान के बेटों से बृजमोहन अग्रवाल ने इसे पत्नी सरिता अग्रवाल के नाम खरीद ली। जब ये मामला सामने आया तो जल संसाधन विभाग ने अदालत में अपनी जमीन वापस देने की गुहार लगाई। अदालत ने अपना फैसला सुनाते हुए इस जमीन के सौदे को रद्द कर दिया। अदालत के इस फैसले से ये साफ जाहिर हो गया है कि उस सरकारी जमीन की खरीद फरोख्त पूरी तरह अवैध है। । 

यह है पूरा मामला

मामला 1994 का है। जब मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ एक राज्य थे। यह जमीन ग्राम जलकी, तहसील महासमुंद और जिला रायपुर में थी। खसरा नंबर 117 में 4.124 हेक्टेयर जमीन के मालिक इतवारी साहू थे। यह जमीन जल संसाधन विभाग ने तालाब बनाने के लिए इतवारी से दानपत्र पर ले ली। बदले में इतवारी को दूसरी राजस्व की जमीन दी गई। यह जमीन जल संसाधन विभाग ने दानपत्र पर तो ले ली लेकिन इसका नामांतरण नहीं किया गया। साल 2000 में छत्तीसगढ़ अलग राज्य बन गया। इस जमीन का खसरा नंबर बदलकर 802 हो गया और जमीन महासमुंद जिले में आ गई। इस समय भूमि स्वामी जल संसाधन विभाग महासमुंद के रुप में दर्ज हुआ। जल संसाधन विभाग ने 2003 में यह जमीन फॉरेस्ट को दे दी। नामांतरण न होने का फायदा उठाकर इतवारी के पुत्रों विष्णु, किसन और कृष्णलाल ने राजस्व रिकॉर्ड में अपने को भूमि स्वामी बताकर अलग अलग रिण पुस्तिका तैयार कर ली। साल 2009 में इन लोगों ने गुपचुप तरीके से मंत्री बृजमोहन अग्रवाल की पत्नी सरिता अग्रवाल को यह जमीन बेच दी। साल 2017 में यह मामला कोर्ट पहुंचा। फर्स्ट एडिशनल सेशन कोर्ट ने इस मामले में 23 अप्रैल 2024 को फैसला सुनाया। जिसमें उन्होंने जमीन के इस सौदे को अवैध बताते हुए इस खरीद फरोख्त को शून्य घोषित कर दिया। और इस जमीन का मालिकाना हक जल संसाधन विभाग को दे दिया। साथ ही इस जमीन पर हुए कब्जे को हटाकर विभाग को जमीन देने के निर्देश भी दिए।

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इस तरह हुई मंत्री की मिसेज के नाम जमीन 

और आइए अब आपको बताते हैं किस तरह ये जमीन बृजमोहन अग्रवाल ने पत्नी सरिता अग्रवाल के नाम यह जमीन खरीदी। छत्तीसगढ़ के सबसे सीनियर मिनिस्टर बृजमोहन अग्रवाल की प्रदेश में ताकत का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि उनके पास स्कूल शिक्षा,संसदीय कार्य, पर्यटन और संस्कृति जैसे विभाग हैं। रमन सरकार में ये लगातार मंत्री रहे हैं और उनके आखिरी कार्यकाल में ये जल संसाधन मंत्री भी रहे हैं। वे अब रायपुर से लोकसभा का चुनाव भी लड़ रहे हैं। मंत्री अग्रवाल  ने 2009 में तीन किसानों विष्णु,किसन और कृष्णलाल से जलकी गांव के सिरपुर में 4.12 हेक्टेयर जमीन पत्नी सरिता अग्रवाल के नाम पर खरीद ली। यह जमीन सरिता अग्रवाल ने 5 लाख 30 हजार 600 रुपए में खरीदी थी। यह जमीन सरकारी और फॉरेस्ट लैंड हो गई थी। लेकिन कमाल की बात है कि यह सरकारी जमीन दान देने के बाद भी विष्णु,किसन और कृष्णलाल के नाम दर्ज हो गई। बस फिर क्या था इन तीनों ने बिना किसी झंझट के यह जमीन मंत्री पत्नी सरिता अग्रवाल को बेच दी। इस जमीन पर बृजमोहन अग्रवाल ने पांच सितारा रिसॉर्ट तान दिया। यह रिसॉर्ट सरिता अग्रवाल और उनके पुत्र अभिषेक अग्रवाल के नाम है। 

सिरपुर में ही क्यों खरीदी जमीन 

आखिर क्यों खास है सिरपुर और यहां पर पर बृजमोहन अग्रवाल ने यहां क्यों खरीदी जमीन। आइए इसका आपको कारण भी बताते हैं। श्रीपुर यानी सिरपुर का ऐतिहासिक और पौराणिक महत्व है। सिरपुर महानदी के किनारे बसा है। सिरपुर पांचवीं शताब्दी में दक्षिण कौशल की राजधानी रहा है। 2006 में यहां पर सिरपुर महोत्व शुरु हुआ। और ये महोत्सव मंत्री बृजमोहन अग्रवाल ने ही शुरु करवाया। यह पर्यटन का बड़ा केंद्र बन गया है।

2017 में सामने आया विवाद

साल 2017 में यह विवाद सामने आया जब मामला कोर्ट पहुंचा और तत्कालीन स्कूल शिक्षा मंत्री बृजमोहन अग्रवाल पर अवैध रुप से सरकारी जमीन पर कब्जा करने का आरोप लगा। मामला सीएम रमन सिंह तक पहुंचा। रमन सिंह ने तत्कालीन मुख्य सचिव से इस मामले की जांच करवाने का आदेश दिया। कोर्ट में यह मामला जल संसाधन विभाग ही लेकर गया। यानी इसमें अपीलकर्ता छत्तीसगढ़ शासन और जिनके विरुद्ध था वे तीन किसान और सरिता अग्रवाल थीं। इस मौके पर मंत्री बृजमोहन अग्रवाल ने सफाई भी दी थी। उन्होंने कहा था कि इसमें उनकी कोई गलती नहीं है क्योंकि उन्होंने जिन किसानों के नाम जमीन थी उनसे ही खरीदी। यदि कोई गलती है तो उन लोगों की है जिन्होंने जमीन बेची।

यह कहा अदालत ने

अदालत ने अपने फैसले में कहा कि तीन प्रतिवादियों ने चौथे प्रतिवादी यानी सरिता अग्रवाल को दिए गए पंजीकृत विक्रय पत्र को शून्य घोषित किया जाता है। यह भी कहा कि प्रतिवादी चार यानी सरिता अग्रवाल उस जमीन के कब्जे को खाली कर दो महीने में सौंपेगी। इससे पहले यह मामला प्रथम व्यवहार न्यायाधीश वर्ग एक की अदालत में गया था जिसके फैसले के खिलाफ जल संसाधन विभाग ने एडिशनल सेशन कोर्ट में अपील की थी। अतिरिक्त सत्र न्यायालय ने निचली अदालत के फैसले को निरस्त करते हुए अपना फैसला सुनाया।

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