छत्तीसगढ़ के मंत्रियों और पुलिस अधिकारियों को नहीं मिलेगा गार्ड ऑफ ऑनर, सरकार ने बदला कोलोनियल सिस्टम

छत्तीसगढ़ सरकार ने गार्ड ऑफ ऑनर की परंपरा को लेकर बड़ा बदलाव किया है। अब सामान्य दौरे और निरीक्षण के दौरान यह सलामी नहीं दी जाएगी। यह कदम औपनिवेशिक परंपरा को समाप्त करने और पुलिस की कार्यक्षमता बढ़ाने के लिए उठाया गया है।

author-image
VINAY VERMA
New Update
chhattisgarh-govt-ends-guard-of-honor-colonial-system
Listen to this article
0.75x1x1.5x
00:00/ 00:00

गार्ड ऑफ ऑनर की खबर पर एक नजर...

  • छत्तीसगढ़ सरकार ने मंत्रियों और पुलिस अधिकारियों को सामान्य दौरे और निरीक्षण के दौरान गार्ड ऑफ ऑनर देने की परंपरा समाप्त की।

  • सरकार ने इसे औपनिवेशिक परंपरा करार देते हुए गार्ड ऑफ ऑनर के नियमों में बदलाव किया।

  • गृह विभाग ने इस परंपरा की समीक्षा कर पुलिस बल की कार्यक्षमता बढ़ाने के लिए संशोधन किया।

  • राष्ट्रीय और राजकीय समारोहों में सलामी की परंपरा पहले जैसी रहेगी, जैसे 26 जनवरी और 15 अगस्त।

  • संवैधानिक पदों पर बैठे लोगों और विशिष्ट अतिथियों के लिए सलामी गार्ड की व्यवस्था यथावत रहेगी।

Raipur. छत्तीसगढ़ सरकार ने मंत्रियों और पुलिस अधिकारियों को गार्ड ऑफ ऑनर देने की परंपरा खत्म कर दी है। इसे सरकार ने औपनिवेशिक परंपरा करार दिया है। गृह विभाग ने गार्ड ऑफ ऑनर के नियमों में बदलाव करने का आदेश जारी किया है।

अब सामान्य दौरे और निरीक्षण के दौरान गार्ड ऑफ ऑनर नहीं दिया जाएगा। सरकार का कहना है कि यह कदम पुराने रिवाज को समाप्त करने के लिए उठाया गया है।

गृह विभाग ने गार्ड ऑफ ऑनर की औपनिवेशिक काल से चली आ रही परंपरा की समीक्षा की। इसके बाद इसमें संशोधन का आदेश जारी किया है। इसका उद्देश्य पुलिस बल की कार्यक्षमता का उपयोग कानून-व्यवस्था को बेहतर बनाने और औपनिवेशिक सोच से जुड़ी परंपराओं को समाप्त करना है।

गृहमंत्री विजय शर्मा ने स्वयं विभाग के अधिकारियों को गार्ड ऑफ ऑनर की वर्तमान व्यवस्था की समीक्षा कर इसमें वर्तमान स्थिति में बदलाव करने के निर्देश दिए थे।

ये खबर भी पढ़िए...छत्तीसगढ़ वोटर लिस्ट से 27 लाख लोगों के नाम कटे, ऐसे चेक करें लिस्ट में अपना नाम, फटाफट करें आवेदन

इन्हें नहीं मिलेगा गार्ड ऑफ ऑनर

जारी आदेश के तहत अब राज्य में सामान्य दौरे, आगमन-प्रस्थान और निरीक्षण के दौरान गार्ड ऑफ ऑनर नहीं मिलेगा। गृहमंत्री, मंत्रीगण और पुलिस अधिकारी अब सलामी नहीं लेंगे। पहले जो सलामी देने की परंपरा थी, वह पूरी तरह खत्म कर दी गई है। इससे पुलिस बल का समय और ऊर्जा का प्रभावी उपयोग सुरक्षा, कानून-व्यवस्था और जनसेवा के कार्यों में हो सकेगा।

ये खबर भी पढ़िए...छत्तीसगढ़ पुलिस में बड़ा फेरबदल: कांकेर हिंसा के बाद 3 IPS समेत 98 अफसरों के तबादले, देर रात आदेश जारी

राष्ट्रीय एवं राजकीय आयोजनों में यथावत व्यवस्था

यह प्रतिबंध राष्ट्रीय और राजकीय समारोहों पर लागू नहीं होगा। 26 जनवरी, 15 अगस्त और शहीद पुलिस स्मृति दिवस जैसे अवसरों पर सलामी दी जाएगी। राष्ट्रीय एकता दिवस, राजकीय समारोह और पुलिस दीक्षांत परेड पर भी सलामी होगी। इन आयोजनों पर औपचारिक सलामी गार्ड की व्यवस्था पहले जैसी ही रहेगी।

ये खबर भी पढ़िए...CG News: रेल यात्रियों की मुसीबत बढ़ी! छत्तीसगढ़ से चलने वाली कई ट्रेनें रद्द, देखें पूरी लिस्ट

संवैधानिक पदों के लिए प्रोटोकॉल जारी

आदेश में यह साफ किया गया है कि संवैधानिक पदों पर बैठे लोगों को सलामी मिलती रहेगी। विशिष्ट अतिथियों के लिए भी सलामी गार्ड की व्यवस्था जैसी थी, वैसी ही रहेगी। यह निर्णय शासन के प्रशासनिक सुधारों की दिशा में एक अहम कदम है। इससे पुलिस बल की कार्यक्षमता में सुधार होगा और जनहित में बदलाव आएगा।

ये खबर भी पढ़िए...छत्तीसगढ़ के महान साहित्यकार और ज्ञानपीठ विजेता विनोद कुमार शुक्ल का निधन, साहित्य जगत में शोक की लहर

छत्तीसगढ़ CG News गार्ड ऑफ ऑनर गृहमंत्री विजय शर्मा
Advertisment