हाईकोर्ट ने रद्द किया स्टाइफंड नियम; अब 14,580 शिक्षकों को ज्वाइनिंग डेट से मिलेगा पूरा वेतन

छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने शिक्षा विभाग में वर्ष 2019 में भर्ती किए गए 14,580 शिक्षकों को बड़ी राहत दी है। कोर्ट ने राज्य सरकार के सर्कुलर को रद्द कर दिया, जिसके तहत शिक्षकों को पूर्ण वेतन के बजाय 70%, 80% और 90% स्टाइफंड देने का प्रावधान था।

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Harrison Masih
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Raipur. छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने शिक्षा विभाग के अंतर्गत वर्ष 2019 में भर्ती किए गए 14,580 शिक्षकों को एक बड़ी राहत दी है। कोर्ट ने तीन साल की परिवीक्षा अवधि के दौरान स्टाइफंड (मानदेय) देने के राज्य शासन के नियम को अवैधानिक मानते हुए रद्द कर दिया है। इस फैसले के बाद, इन सभी शिक्षकों को उनकी जॉइनिंग तिथि से पूर्ण वेतन प्रदान किया जाएगा।

हाई कोर्ट का फैसला: विज्ञापन के बाद नियम लागू करना गलत

यह मामला 2019 की बहुप्रतीक्षित शिक्षक भर्ती से जुड़ा है, जिसके विज्ञापन की शर्तों को बाद में एक सर्कुलर जारी करके बदल दिया गया था।

भर्ती विज्ञापन: शिक्षा विभाग ने 9 मार्च 2019 को सहायक शिक्षक, शिक्षक, सहायक शिक्षक विज्ञान और लेक्चरर के कुल 14,580 पदों पर भर्ती के लिए विज्ञापन जारी किया था।

परीक्षा और जॉइनिंग: भर्ती परीक्षा 14 जुलाई 2019 से 25 अगस्त 2025 तक आयोजित की गई थी, और सफल उम्मीदवारों को वर्ष 2020 में जॉइनिंग दी गई।

विवादित सर्कुलर: जॉइनिंग के समय, सरकार ने 28-29 जुलाई 2020 को एक नया सर्कुलर जारी किया। इस सर्कुलर के तहत, शिक्षकों को पूर्ण वेतन के बजाय, 3 साल की परिवीक्षा अवधि में क्रमशः पहले साल 70%, दूसरे साल 80% और तीसरे साल 90% स्टाइफंड देने का प्रावधान किया गया।

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ऐसे समझें पूरा मामला:

1.शिक्षा विभाग ने मार्च शिक्षक भर्ती 2019 के लिए विज्ञापन जारी किया था, जिसमें परिवीक्षा अवधि में स्टाइपंड का कोई नियम नहीं था।

2. जॉइनिंग के समय, सरकार ने जुलाई 2020 में नया सर्कुलर जारी किया, 3 साल की परिवीक्षा अवधि में शिक्षकों को पूर्ण वेतन के बजाय 70%, 80% और 90% स्टाइपंड देने का नियम लागू किया गया।

3. प्रभावित शिक्षकों ने इस नियम को हाई कोर्ट में चुनौती दी, यह तर्क देते हुए कि भर्ती विज्ञापन जारी होने के बाद सेवा शर्तों में बदलाव करना गलत है।

4. हाई कोर्ट ने शिक्षकों की याचिका को सही मानते हुए 2020 के सर्कुलर को अवैधानिक घोषित करते हुए स्टाइफंड नियम रद्द कर दिया।

5. अब सभी 14,580 शिक्षकों को उनकी जॉइनिंग तिथि से ही पूर्ण वेतन मिलेगा और वे पिछले तीन सालों की वेतन कटौती (एरियर) के हकदार होंगे।

शिक्षकों ने दी थी नियम को चुनौती

इस नए नियम से प्रभावित शिक्षकों ने हाई कोर्ट में याचिका दायर की। याचिकाकर्ताओं की मुख्य दलील यह थी कि "जब भर्ती का विज्ञापन (2019 में) जारी किया गया था, तब उसमें स्टाइफंड का कोई उल्लेख नहीं था। सरकार ने यह नियम वर्ष 2020 में बनाया, इसलिए इसे पिछली भर्ती (2019 वैकेंसी) पर लागू नहीं किया जा सकता।"

हाई कोर्ट ने इस दलील को स्वीकार करते हुए पाया कि भर्ती विज्ञापन जारी होने के बाद सेवा शर्तों में बदलाव करना अवैधानिक है। कोर्ट के इस ऐतिहासिक फैसले से उन 14,000 से अधिक शिक्षकों को लाभ मिलेगा जिन्हें कोविड-काल के दौरान इस कटौती का सामना करना पड़ा था।

अब एरियर भुगतान का रास्ता साफ

कोर्ट के इस फैसले से अब इन सभी 14,580 शिक्षकों को उस अंतर राशि (एरियर) का भुगतान भी किया जाएगा जो उन्हें स्टाइफंड नियम के कारण नहीं मिल पाई थी। यह फैसला उन कर्मचारियों के लिए भी महत्वपूर्ण है जो पूर्व में अन्य शासकीय सेवाओं में थे और पूर्ण वेतन की उम्मीद में इस नई भर्ती में शामिल हुए थे। यह फैसला छत्तीसगढ़ में भर्ती प्रक्रिया और सेवा शर्तों के मामले में एक महत्वपूर्ण नजीर स्थापित करता है।

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