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CG Principal Posting Dispute: छत्तीसगढ़ स्कूल शिक्षा विभाग में टी संवर्ग के 1335 पदों पर प्राचार्य (Principal) की पोस्टिंग को लेकर विवाद गहराता जा रहा है। संचालक लोक शिक्षण (डीपीआई) द्वारा जारी काउंसलिंग आदेश को लेकर 11 व्याख्याताओं ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। शिक्षकों का आरोप है कि डीपीआई ने काउंसलिंग में दोहरा मापदंड अपनाया है और इससे शिक्षकों के साथ भेदभाव हो रहा है।
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क्यों उठा प्राचार्य पोस्टिंग पर विवाद?
स्कूल शिक्षा विभाग ने 30 अप्रैल 2025 को टी संवर्ग के 1335 व्याख्याता, व्याख्याता एल.बी. और प्रधान पाठक को प्राचार्य पद पर पदोन्नत किया था। प्रमोशन आदेश में स्पष्ट था कि सभी की पदस्थापना काउंसलिंग के जरिए होगी और इस प्रक्रिया की जिम्मेदारी डीपीआई को सौंपी गई थी।
लेकिन 14 अगस्त 2025 को डीपीआई द्वारा जारी सूचना में कहा गया कि केवल 845 पदों के लिए काउंसलिंग होगी, जबकि 491 पदों पर पदोन्नत शिक्षकों को उनके ही वर्तमान स्कूल में सीधे प्राचार्य पद पर पोस्टिंग दे दी जाएगी।
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याचिकाकर्ताओं की आपत्ति
संजय बडेरा सहित 11 शिक्षकों ने अपनी याचिका में कहा:
सभी 1335 शिक्षकों की पोस्टिंग काउंसलिंग से होनी चाहिए। 491 पदों को काउंसलिंग से बाहर रखना नियम विरुद्ध है और इससे प्रक्रिया दूषित हो जाएगी। डीपीआई ने व्याख्याता संवर्ग के साथ भेदभाव किया है। काउंसलिंग प्रक्रिया में व्याख्याता, व्याख्याता एल.बी. और प्रधान पाठक की आनुपातिक सूची 2:1:1 रखी गई है, जो व्याख्याताओं के साथ अन्याय है।
शिक्षकों की मांग
- डीपीआई के आदेश को निरस्त किया जाए।
- सभी 1335 पदोन्नत प्राचार्यों की पोस्टिंग काउंसलिंग से ही हो।
- आनुपातिक सूची में संशोधन कर पहले 670 व्याख्याताओं की काउंसलिंग कराई जाए, उसके बाद एल.बी. व्याख्याता और प्रधान पाठक की।
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क्या है टी संवर्ग प्राचार्य पोस्टिंग विवाद?1. 1335 पदों पर प्रमोशन स्कूल शिक्षा विभाग ने 30 अप्रैल 2025 को टी संवर्ग के 1335 शिक्षकों (व्याख्याता, व्याख्याता एल.बी. और प्रधान पाठक) को प्राचार्य पद पर पदोन्नत किया। 2. काउंसलिंग का आदेश सरकार के निर्देशानुसार सभी की पदस्थापना काउंसलिंग के माध्यम से होनी थी और यह जिम्मेदारी डीपीआई को सौंपी गई। 3. 491 पदों पर सीधे पोस्टिंग डीपीआई ने आदेश जारी कर केवल 845 पदों के लिए काउंसलिंग घोषित की, जबकि 491 शिक्षकों को उनके वर्तमान स्कूल में ही सीधे प्राचार्य पद पर पदस्थापित करने की बात कही। 4. भेदभाव का आरोप शिक्षकों का आरोप है कि यह कदम नियमों के खिलाफ और भेदभावपूर्ण है। इससे पूरी प्रक्रिया दूषित हो जाएगी और व्याख्याता संवर्ग के साथ अन्याय होगा। 5. हाईकोर्ट में मामला 11 शिक्षकों ने डीपीआई के इस आदेश को चुनौती देते हुए हाईकोर्ट में याचिका दायर की और मांग की कि सभी 1335 प्राचार्यों की पदस्थापना केवल काउंसलिंग से ही की जाए। |
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हाईकोर्ट में सुनवाई
याचिकाकर्ताओं का कहना है कि डीपीआई का यह कदम सरकारी आदेश और नियमों के खिलाफ है। अब मामला छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट में पहुंच गया है, जहां अदालत तय करेगी कि प्राचार्यों की पदस्थापना प्रक्रिया किस प्रकार आगे बढ़ेगी।
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