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स्कूल सचिव सिध्दार्थ कोमल परदेशी के छुट्टी पर जाने के कारण प्रदेश के टी संवर्ग के 1335 प्राचार्य की पद स्थापना रुकी है। टी संवर्ग वर्क यानी आदिवासी क्षेत्र के स्कूल ... जबकि इनकी पदस्थापना के लिए मुख्यमंत्री भी सहमति दे चुके हैं। लेकिन, प्रभारी स्कूल शिक्षा सचिव एस भारतीदासन इस पर निर्णय नहीं ले पा रहे हैं।हालांकि निर्णय लोक शिक्षण संचालक ऋतुराज रघुवंशी को ही करना था। लेकिन उन्होंने फाइल मंत्रालय भेज अपना पीछा छुड़ा लिया। ऐसे में फाइल संचालनालय से मंत्रालय, मंत्रालय से मुख्यमंत्री सचिवालय के बीच घूम रही है। इससे न केवल प्राचार्य परेशान है बल्कि, इसका असर स्कूलों और लाखों छात्रों पर भी पड़ रहा है।
13 साल बाद हुई पदोन्नति
प्रभावित प्राचार्य बता रहे हैं कि यह पदोन्नति 13 साल बाद हुई है। इस दौरान पूरी व्यवस्था प्रभारी प्राचार्य के भरोसे चल रही थी। 30 अप्रैल को मिली पदोन्नति से उन्हें उम्मीद जगी कि उन्हें अपनी इंतजार का फल मिलेगा साथ में स्कूलों की व्यवस्था भी सुधरेगी। लेकिन, उनकी उम्मीद बीते 4 महीने से केवल सरकारी फाइलों के बीच में घूम रही है।
कोर्ट ने 1 महीने पहले दे दिया था निर्णय
30 अप्रैल को हुई पदोन्नति के बाद ट्राइबल विभाग के एक अधिकारी ने पदोन्नति आदेश को चुनौती देते हुए हाईकोर्ट का रूख किया। हालांकि, कोर्ट ने नए शैक्षणिक क्षेत्र शुरू होने कारण फैसले में देरी नहीं की। 2 महीने में निर्णय दे दिया आदेश में लोक शिक्षण संचालक ऋतुराज रघुवंशी को जल्द पदस्थापना के लिए कहा गया। लेकिन, उन्होंने फाइल मंत्रालय भेज दी।
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छात्रों की समस्या नहीं समझ रहे IAS अधिकारी
आंकड़ों के मुताबिक आदिवासी क्षेत्र के 80% स्कूल बिना प्राचार्य के ही संचालित हो रहे हैं। ऐसे में सरकार उन्हें के बीच के लोगों को प्रभार देकर काम चल रही है। प्रभारी होने के कारण से प्राचार्य ना तो शासन से किसी संसाधन की मांग कर पाते हैं। और ना ही अपने साथी लेक्चर पर ही उनका कंट्रोल रहता है। ऐसे में कामचलाऊ व्यवस्था के बीच सत्र पूरा हो जाता है। जिसका असर बस्तर, सरगुजा और दुर्ग सम्भाग के छात्रों पर पड़ता है। उन्हें अधिकतर खेलकूद सहित अन्य गतिविधियों का लाभ नहीं मिल पाता।
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मुख्यमंत्री से भी मिल चुकी है हरी झंडी
कोर्ट से फैसला आने के बाद लोक शिक्षण संचालक ऋतुराज रघुवंशी को प्रक्रिया शुरू करनी थी। लेकिन उन्होंने फाइल बनाकर मंत्रालय भेज अनुमति मांग ली। स्कूल शिक्षा सचिव सिद्धार्थ कोमल परदेशी ने भी निर्णय नहीं लेकर फाइल मुख्यमंत्री सचिवालय को भेज दी और छुट्टी पर चले गए। गंभीर विषय को देखते हुए मुख्यमंत्री ने इस पर तुरंत हरी झंडी दे दी। उसके बावजूद अधिकारी प्रक्रिया नहीं शुरू कर रहे हैं।
प्रभारी को स्कूल शिक्षा सचिव का इंतजार
प्रक्रिया में हो रही देरी के कारण से शिक्षक संघ का एक प्रतिनिधिमंडल अधिकारियों से मिला। प्रभारी स्कूल शिक्षा सचिव एस भारतीदासन ने मुख्यमंत्री से स्वीकृति मिलने की बात तो स्वीकारी लेकिन उन्होंने स्कूल शिक्षा सचिव सिद्धार्थ कोमल परदेशी का इंतजार करने का कह मामला टाल दिया। प्राचार्यो का कहना है कि अगर उन्हें जल्द पदस्थापना नहीं मिलती तो वे मामले को कोर्ट ले जाएंगे और संज्ञान लेने के लिए निवेदन करेंगे।
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