हाईकोर्ट ने शिक्षकों के प्रमोशन पर लगाई मुहर, अब ई संवर्ग के 1378 शिक्षक बनेंगे प्रिंसिपल

पांच साल से अटकी प्राचार्य पदोन्नति की लड़ाई आखिर खत्म हुई। हाईकोर्ट ने सरकार के नियमों को सही ठहराते हुए शिक्षकों को राहत दी, जबकि याचिकाकर्ता के सारे तर्क धराशायी हो गए। अब 1378 व्याख्याताओं के लिए प्रमोशन का रास्ता पूरी तरह खुल चुका है।

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Harrison Masih
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Bilaspur. छत्तीसगढ़ में लंबे समय से चल रहे प्राचार्य पदोन्नति विवाद पर हाईकोर्ट ने अहम फैसला सुनाया है। कोर्ट ने राज्य सरकार के नियमों और मापदंडों को पूरी तरह वैध ठहराते हुए याचिकाकर्ता नारायण प्रकाश तिवारी की याचिका को खारिज कर दिया है। इस फैसले से ई संवर्ग के 1,378 व्याख्याताओं के लिए प्राचार्य बनने का रास्ता साफ हो गया है। अब ई संवर्ग के शिक्षक बनेंगे प्राचार्य।

फैसला सुरक्षित रखने के बाद आया आदेश

इस मामले में छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट की सिंगल बेंच ने 5 अगस्त 2025 को फैसला सुरक्षित रख लिया था, जिसका परिणाम अब सामने आया है। जस्टिस रविंद्र कुमार अग्रवाल की अदालत ने फैसला सुनाते हुए कहा कि राज्य सरकार द्वारा तय किए गए कैडर और पदोन्नति मापदंड पूरी तरह न्यायोचित हैं।

अप्रैल में जारी हुई थी पदोन्नति सूची

30 अप्रैल 2025 को स्कूल शिक्षा विभाग ने प्राचार्य पदोन्नति की बड़ी सूची जारी की थी। इस सूची में ई संवर्ग और टी संवर्ग के कुल 2,925 शिक्षकों को प्राचार्य बनाया गया था, जिनमें स्कूल शिक्षा और आदिम जाति कल्याण विभाग के व्याख्याता (नियमित और एलबी) तथा प्रधान पाठक शामिल थे। हालांकि, उसी आदेश को लेकर कई शिक्षकों ने कोर्ट में याचिकाएं दाखिल कीं, यह कहते हुए कि पदों का वितरण असमान और नियमविरुद्ध है।

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कोर्ट ने माना राज्य सरकार के नियम सही

राज्य शासन की ओर से अतिरिक्त महाधिवक्ता ने कोर्ट को बताया कि पदोन्नति नियमों को लेकर पहले ही डिवीजन बेंच में विस्तृत सुनवाई हो चुकी है। 9 जून से 17 जून तक चली सुनवाई में कोर्ट ने सभी याचिकाओं को खारिज करते हुए सरकार के नियमों को वैध ठहराया था। हाईकोर्ट ने अब कहा है कि 30 अप्रैल को जारी की गई प्राचार्य सूची पर लगी रोक हटाई जाती है, और पदोन्नति प्रक्रिया बहाल की जाती है।

कैडर वितरण में सरकार को मिली वैधता

डिवीजन बेंच ने अपने आदेश में स्पष्ट किया है कि प्राचार्य पद पर पदोन्नति के लिए कैडर अनुपात निम्नानुसार रहेगा-

  • 65% ई संवर्ग (स्कूल शिक्षा विभाग)
  • 25% लोकल बॉडी संवर्ग (टी संवर्ग)
  • 10% सीधी भर्ती के लिए आरक्षित

इस नियम को कोर्ट ने संवैधानिक और संतुलित बताया।

याचिकाकर्ता की दलील और कोर्ट का जवाब

याचिकाकर्ता नारायण प्रकाश तिवारी ने दलील दी थी कि प्राचार्य पदों में 100% हिस्सा ई संवर्ग को दिया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि अधिकांश स्कूलों का संचालन ई संवर्ग के शिक्षकों द्वारा किया जाता है, इसलिए टी संवर्ग और सीधी भर्ती कोटा हटाया जाए। हालांकि, कोर्ट ने इसे असंवैधानिक और भेदभावपूर्ण ठहराते हुए खारिज कर दिया।

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पूर्व में लगी रोक भी हटाई गई

गौरतलब है कि 28 मार्च की सुनवाई में सरकार ने कोर्ट को भरोसा दिया था कि अंतिम सुनवाई तक पदोन्नति आदेश जारी नहीं किया जाएगा। लेकिन 30 अप्रैल को सरकार ने सूची जारी कर दी, जिस पर अगले दिन हाईकोर्ट ने रोक लगा दी थी। अब इस ताजा फैसले से उस रोक को समाप्त कर दिया गया है और सभी पदोन्नति आदेशों को वैध घोषित कर दिया गया है।

फैसले का प्रभाव

इस आदेश से राज्यभर के 1,378 ई संवर्ग व्याख्याताओं को पदोन्नति की राहत मिलेगी। वहीं, टी संवर्ग और सीधी भर्ती वाले कोटे में आने वाले शिक्षकों के लिए भी प्रक्रिया को आगे बढ़ाने का मार्ग प्रशस्त हो गया है।

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