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छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने युक्तियुक्तकरण प्रक्रिया के दौरान निलंबित किए गए जगदलपुर के ब्लॉक शिक्षा अधिकारी (BEO) मानसिंह भारद्वाज के पक्ष में महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि कलेक्टर को क्लास-2 अधिकारी जैसे BEO को निलंबित करने का कोई अधिकार नहीं है। इस फैसले के साथ ही कोर्ट ने मानसिंह भारद्वाज के निलंबन आदेश को तत्काल प्रभाव से निरस्त कर दिया। यह निर्णय शिक्षाकर्मियों के अधिकारों की रक्षा के लिए मील का पत्थर माना जा रहा है।
क्या था मामला?
जगदलपुर में पदस्थ BEO मानसिंह भारद्वाज ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर बताया कि युक्तियुक्तकरण प्रक्रिया के दौरान वे अवकाश पर थे। इसके बावजूद, उनकी छुट्टी को बिना किसी ठोस कारण के रद्द कर दिया गया और उन्हें बिना पूर्व सूचना, स्पष्टीकरण या सुनवाई के अवसर के निलंबित कर दिया गया। उन्होंने इस कार्रवाई को मनमाना और गैरकानूनी बताते हुए कोर्ट से राहत की मांग की थी।
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हाईकोर्ट ने जताई कड़ी नाराजगी
मुख्य न्यायाधीश रमेश सिन्हा और न्यायमूर्ति बीडी गुरु की खंडपीठ ने इस मामले की सुनवाई के दौरान कलेक्टर की कार्रवाई पर सख्त नाराजगी जताई। कोर्ट ने कहा कि BEO जैसे क्लास-2 अधिकारी को निलंबित करना कलेक्टर के अधिकार क्षेत्र से बाहर है। यह कार्रवाई प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों और कानूनी प्रक्रिया का उल्लंघन है। कोर्ट ने निलंबन आदेश को असंवैधानिक करार देते हुए इसे तुरंत रद्द कर दिया।
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कलेक्टर का अधिकार क्षेत्र सीमित
हाईकोर्ट ने अपने फैसले में स्पष्ट किया कि BEO का पद छत्तीसगढ़ राज्य शिक्षा सेवा के अंतर्गत आता है। ऐसे अधिकारियों का निलंबन केवल सक्षम प्राधिकारी, जैसे सामान्य प्रशासन विभाग या शिक्षा विभाग के वरिष्ठ अधिकारी, ही कर सकते हैं। कलेक्टर के पास इस तरह की कार्रवाई का कोई वैधानिक अधिकार नहीं है।
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शिक्षाकर्मियों के लिए राहत
यह फैसला शिक्षा विभाग के कर्मचारियों और अधिकारियों के लिए बड़ी राहत लेकर आया है। शिक्षाकर्मी संगठनों ने इस निर्णय का स्वागत करते हुए इसे अधिकारों की रक्षा में महत्वपूर्ण कदम बताया है। यह फैसला भविष्य में मनमानी प्रशासनिक कार्रवाइयों पर भी अंकुश लगाने में मददगार साबित हो सकता है।
अधिकारियों के लिए एक नजीर
हाईकोर्ट के इस फैसले के बाद मानसिंह भारद्वाज की बहाली की प्रक्रिया शुरू हो सकती है। साथ ही, यह मामला प्रशासनिक अधिकारियों के लिए एक नजीर बन सकता है कि क्लास-2 अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई से पहले कानूनी प्रक्रियाओं का पालन जरूरी है।
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