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छत्तीसगढ़ लोक सेवा आयोग (सीजीपीएससी) भर्ती घोटाले में हाई कोर्ट ने सख्त रुख अपनाते हुए तीन आरोपियों की जमानत याचिकाएं खारिज कर दी हैं। कोर्ट ने प्रश्नपत्र लीक को लाखों युवाओं के भविष्य के साथ खिलवाड़ और हत्या से भी गंभीर अपराध करार दिया। सीबीआई द्वारा गिरफ्तार किए गए इन आरोपियों में एक सीजीपीएससी के तत्कालीन परीक्षा नियंत्रक और दो गलत तरीके से चयनित उम्मीदवार शामिल हैं। कोर्ट ने कहा, "प्रश्नपत्र लीक कर पीएससी जैसी प्रतिष्ठित संस्था को शर्मसार किया गया है। यह ऐसा है जैसे बाड़ ही फसल को खा जाए।"
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क्या है सीजीपीएससी घोटाला?
सीजीपीएससी में 2020 से 2022 के बीच हुई भर्ती परीक्षाओं में बड़े पैमाने पर अनियमितताएं सामने आई थीं। भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) और आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्ल्यू) ने इस मामले में दो अलग-अलग प्राथमिकी (एफआईआर) दर्ज की थीं। बाद में जांच सीबीआई को सौंप दी गई। सीबीआई की जांच में चौंकाने वाला खुलासा हुआ कि सीजीपीएससी के तत्कालीन अध्यक्ष टामन सिंह के इशारे पर प्रश्नपत्र लीक किए गए थे।
कैसे हुआ घोटाला?
सीबीआई के अनुसार, टामन सिंह ने अपने दो भतीजों, नितेश सोनवानी और साहिल सोनवानी, को प्रश्नपत्र उपलब्ध कराए। इसके बाद तत्कालीन परीक्षा नियंत्रक ललित गणवीर ने इन पेपर्स को बजरंग पावर एंड इस्पात के निदेशक श्रवण गोयल तक पहुंचाया। श्रवण गोयल ने यह प्रश्नपत्र अपने बेटे शशांक गोयल और बहू भूमिका कटियार को दिए, जिसके आधार पर दोनों ने डिप्टी कलेक्टर और डीएसपी जैसे प्रतिष्ठित पद हासिल किए। यह पूरी साजिश न केवल भर्ती प्रक्रिया की निष्पक्षता को तार-तार करती है, बल्कि लाखों मेहनती उम्मीदवारों के साथ विश्वासघात भी है।
आरोपियों का तर्क और कोर्ट का जवाब
जमानत याचिकाओं में आरोपियों ने दावा किया कि उन्हें झूठे मामले में फंसाया गया है। उन्होंने यह भी तर्क दिया कि सीजीपीएससी के नियमों के अनुसार भतीजा 'परिवार' की परिभाषा में शामिल नहीं है, इसलिए उनके खिलाफ कार्रवाई गलत है। हालांकि, हाई कोर्ट ने इन तर्कों को सिरे से खारिज करते हुए कहा कि प्रश्नपत्र लीक का मामला बेहद गंभीर है और यह न केवल संस्था की साख को ठेस पहुंचाता है, बल्कि लाखों युवाओं के भविष्य को भी खतरे में डालता है। कोर्ट ने इस अपराध की तुलना हत्या से भी बदतर बताते हुए जमानत देने से इनकार कर दिया।
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मामले की गंभीरता और सामाजिक प्रभाव
सीजीपीएससी घोटाले ने छत्तीसगढ़ में भर्ती प्रक्रियाओं की पारदर्शिता पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं। यह घोटाला उन लाखों युवाओं के लिए एक झटका है, जो मेहनत और लगन से ऐसी प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करते हैं। कोर्ट की टिप्पणी, "बाड़ द्वारा फसल खाने" जैसी स्थिति, इस बात को रेखांकित करती है कि जिन लोगों पर निष्पक्षता सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी थी, वही इस घोटाले के मुख्य सूत्रधार बन गए।
कड़े कदम उठाने की मांग
सीबीआई इस मामले में अपनी जांच को और गहरा कर रही है। सूत्रों के अनुसार, अन्य संदिग्धों और इस साजिश में शामिल लोगों की भी जांच की जा रही है। हाई कोर्ट के इस फैसले ने स्पष्ट संदेश दिया है कि भ्रष्टाचार और अनियमितताओं को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। इस बीच, नागरिकों और छात्र संगठनों ने मांग की है कि भर्ती प्रक्रियाओं में पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए कड़े कदम उठाए जाएं।
युवाओं के लिए उम्मीद की किरण
सीजीपीएससी भर्ती घोटाला छत्तीसगढ़ के प्रशासनिक तंत्र में गहरी सेंध का प्रतीक है। हाई कोर्ट का यह फैसला न केवल आरोपियों के लिए सबक है, बल्कि भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए एक मिसाल भी बन सकता है। यह मामला उन सभी युवाओं के लिए एक उम्मीद की किरण है, जो निष्पक्ष और पारदर्शी भर्ती प्रक्रिया की मांग कर रहे हैं।
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