बासमती को टक्कर दे रहा हेल्दी जीराफूल चावल, विदेश में डिमांड, इसकी खेती से मिलेगा लाभ!

छत्तीसगढ़ को धान के कटोरे (Rice Bowl) के नाम से जाना जाता है। यहां की अनोखी किस्में न केवल भारत में, बल्कि विदेशों में भी काफी लोकप्रिय हैं। इन सब में सबसे ज्यादा पसंदीदा है वह है जीराफूल चावल।

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Sanjeet kumar dhurwey
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Photograph: (the sootr)

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CG News: छत्तीसगढ़ को धान के कटोरे (Rice Bowl) के नाम से जाना जाता है। यहां की अनोखी किस्में न केवल भारत में, बल्कि विदेशों में भी काफी लोकप्रिय हैं। इन सब में सबसे ज्यादा पसंदीदा है वह है जीराफूल चावल। इस चावल को 14 मार्च, 2019 को जीआई टैग (Geographical Indication) भी मिला है।

छत्तीसगढ़ में जीराफूल चावल की खेती उत्तरी क्षेत्र, सरगुजा संभाग में की जाती है। बाजार में इसकी कीमत अच्छी है और इसकी खेती करने वाले किसानों को बाजार में धान और चावल दोनों के अच्छे दाम मिलते हैं। इतना ही नहीं यह चावल भारतीय बासमती चावल को टक्कर दे रहा है।

छत्तीसगढ़ का सबसे महंगा चावल 

जीराफूल चावल का नाम ही इसकी विशेषता को दर्शाता है। इसका आकार पतला और छोटा होता है, लेकिन इसकी खुशबू और स्वाद अविश्वसनीय है। इसकी सुगंध इतनी ही इसकी पहचान है। इसको पकाते समय, इसकी महक आसपास के घरो तक पहुंच जाती है। जो कि लोगों को आकर्षित भी करती है।  

इस चावल को पकाने के बाद उसकी मिठास और स्वाद बिल्कुल अद्भुत होता है, जो इसे छत्तीसगढ़ का सबसे महंगा चावल बनाता है। इन सब विशेषताओं के चलते इसकी डिमांड विदेश में भी सबसे ज्यादा है। जीराफूल चावल को अंतरराष्ट्रीय बाजार में खूब पसंद किया जा रहा है। 

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हेल्थ के लिए भी फायदेमंद है जीराफूल 

जीराफूल चावल न केवल स्वाद में लाजवाब है, बल्कि स्वास्थ्य के लिए भी फायदेमंद है। यह चावल अन्य किस्मों के मुकाबले जल्दी और आसानी से पचता है, जिससे इसका सेवन अधिक आरामदायक होता है। इस चावल की मांग केवल भारत में ही नहीं, बल्कि विदेशों में भी है, क्योंकि यह पारंपरिक और स्वच्छ तरीके से उगाया जाता है।

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जैविक खेती के कारण बाजार में डिमांड 

जो भी किसान इस जीराफूल धान की फसल लगाता है। उसकी यह फसल करीब 120 से 130 दिनों में तैयार हो जाती है। इसकी खासियत यह है कि यह दूसरी धान की किस्मों से ज्यादा समय लेकर पकती है। इसी के साथ ही जीराफूल धान को पानी सबसे ज्यादा लगता है। खेत में पानी की आपूर्ति होना जरूरी है। 

इस फसल को गहरे खेतों में उगाया जाता है, ताकि पानी अधिक मात्रा में स्टोर हो सके। इस चावल की खेती पूरी तरह से जैविक (organic) होती है, जिसमें केवल जैविक खाद का उपयोग किया जाता है। रासायनिक खाद का इस्तेमाल जीराफूल के स्वाद और सुगंध को प्रभावित कर सकता है, इसलिए यह चावल पूरी तरह से रासायनिक मुक्त है।

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जीराफूल चावल की कीमत

छत्तीसगढ़ में उगाई जाने वाली धान में सबसे ज्यादा महंगी धान जीराफूल की किस्म ही है। जीराफूल चावल की बाजार में औसत कीमत 100 रुपये से लेकर 120 रुपये प्रति किलो तक रहती है। यह चावल स्थानीय बाजारों में तो अपनी विशिष्ट पहचान रखता ही है, जबकि अंतरराष्ट्रीय बाजार में भी यह अपने नाम से जाना जाता है, जिसकी डिमांड अब और बढ़ती जा रही है।

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