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छत्तीसगढ़ में 3200 करोड़ रुपये के कथित शराब घोटाले में आर्थिक अपराध शाखा (EOW) ने बड़ी कार्रवाई करते हुए चार्टर्ड अकाउंटेंट संजय कुमार मिश्रा, उनके भाई मनीष मिश्रा, और अभिषेक सिंह को गिरफ्तार किया है। यह कार्रवाई 21 जुलाई 2025 को की गई, और तीनों आरोपियों को EOW की विशेष अदालत में पेश किया जाएगा, जहां से उन्हें रिमांड पर लेकर पूछताछ की जाएगी।
इस घोटाले में अब तक 13 लोग गिरफ्तार हो चुके हैं, और 22 आबकारी अधिकारियों को निलंबित किया गया है। जांच में सामने आया है कि यह घोटाला 2019 से 2023 के बीच एक सुनियोजित सिंडिकेट के जरिए संचालित हुआ, जिसमें अवैध शराब की बिक्री से सरकार को भारी राजस्व नुकसान हुआ।
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क्या है छत्तीसगढ़ शराब घोटाला?
2019 से 2023 के बीच, छत्तीसगढ़ के 15 प्रमुख जिलों में आबकारी अधिकारियों, प्रशासनिक पदाधिकारियों, और निजी ठेकेदारों ने मिलकर एक समानांतर अवैध शराब बिक्री नेटवर्क चलाया। इस नेटवर्क में बिना ड्यूटी चुकाए देसी शराब, जिसे 'बी-पार्ट शराब' कहा गया, को सरकारी दुकानों में वैध शराब के साथ बेचा गया।
बस्तर और सरगुजा संभाग को छोड़कर, चयनित जिलों की उच्च खपत वाली दुकानों में डिस्टलरी से सीधे अवैध शराब भेजी जाती थी। इस पूरे खेल में डिस्टलरी, ट्रांसपोर्टर, सेल्समैन, सुपरवाइजर, और आबकारी विभाग के जिला व मंडल प्रभारी शामिल थे। इस अवैध शराब से होने वाली कमाई सीधे सिंडिकेट को पहुंचाई जाती थी, जिससे सरकार को 3200 करोड़ रुपये से अधिक का नुकसान हुआ।
नवीनतम गिरफ्तारियां: चार्टर्ड अकाउंटेंट की भूमिका
EOW ने हाल ही में मनीष मिश्रा, संजय कुमार मिश्रा, और अभिषेक सिंह को गिरफ्तार किया। संजय और मनीष, जो सगे भाई हैं, ने नेक्सजेन पॉवर कंपनी बनाकर FL-10 लाइसेंस के तहत महंगी ब्रांडेड अंग्रेजी शराब की सप्लाई की। संजय कुमार पेशे से चार्टर्ड अकाउंटेंट हैं, और उनकी विशेषज्ञता का उपयोग इस अवैध नेटवर्क को वित्तीय रूप से व्यवस्थित करने में किया गया। अभिषेक सिंह इस घोटाले के एक अन्य आरोपी अरविंद सिंह का भतीजा है। इन तीनों की गिरफ्तारी से EOW को सिंडिकेट के वित्तीय लेनदेन और मनी लॉन्ड्रिंग की परतें खोलने में मदद मिलने की उम्मीद है।
समानांतर अवैध बिक्री का जाल
2019 से 2023 के बीच, छत्तीसगढ़ के 15 प्रमुख जिलों में आबकारी अधिकारियों, प्रशासनिक पदाधिकारियों, और निजी ठेकेदारों ने मिलकर एक समानांतर अवैध शराब बिक्री नेटवर्क संचालित किया। बस्तर और सरगुजा संभाग को छोड़कर, चयनित जिलों की उच्च खपत वाली सरकारी शराब दुकानों में डिस्टलरी से सीधे बिना ड्यूटी चुकाए देसी शराब, जिसे 'बी-पार्ट शराब' कहा गया, भेजी जाती थी।
इस शराब को वैध शराब के साथ बेचा जाता था, और इससे होने वाली कमाई एक संगठित सिंडिकेट को पहुंचाई जाती थी। इस नेटवर्क में डिस्टलरी, ट्रांसपोर्टर, सेल्समैन, सुपरवाइजर, और आबकारी विभाग के जिला व मंडल प्रभारी शामिल थे, जिससे सरकार को 3200 करोड़ रुपये से अधिक का नुकसान हुआ।
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वित्तीय जाल में चार्टर्ड अकाउंटेंट की भूमिका
EOW ने हाल ही में मनीष मिश्रा, संजय कुमार मिश्रा, और अभिषेक सिंह को हिरासत में लिया। मनीष और संजय, जो सगे भाई हैं, ने नेक्सजेन पॉवर कंपनी बनाकर FL-10 लाइसेंस के तहत महंगी ब्रांडेड अंग्रेजी शराब की आपूर्ति की। संजय, एक चार्टर्ड अकाउंटेंट, ने इस अवैध नेटवर्क को वित्तीय रूप से व्यवस्थित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। अभिषेक सिंह घोटाले के एक अन्य आरोपी अरविंद सिंह का भतीजा है। इन गिरफ्तारियों से सिंडिकेट के वित्तीय लेनदेन और मनी लॉन्ड्रिंग की परतें खुलने की उम्मीद है।
घोटाला 2174 करोड़ से बढ़कर 3200 करोड़
EOW और भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (ACB) की जांच में 200 से अधिक लोगों के बयान और डिजिटल साक्ष्यों के आधार पर अनुमान लगाया गया कि 60,50,950 पेटी बी-पार्ट शराब की अवैध बिक्री हुई, जिसकी कीमत 2174 करोड़ रुपये से अधिक थी। नवीनतम जांच में घोटाले का आकार 3200 करोड़ रुपये से अधिक होने का खुलासा हुआ है। इस सिंडिकेट ने नकली होलोग्राम का उपयोग कर अवैध शराब की बिक्री की, जिससे सरकार को भारी राजस्व नुकसान हुआ।
अब तक 13 गिरफ्तार, 22 निलंबित
इस मामले में अब तक पूर्व आबकारी मंत्री कवासी लखमा, रिटायर्ड IAS अनिल टुटेजा, अनवर ढेबर, अरुणपति त्रिपाठी, और विजय भाटिया समेत 13 लोगों को गिरफ्तार किया गया है। FIR में 70 लोगों को नामजद किया गया है, और चार पूरक चालान दाखिल किए जा चुके हैं। 11 जुलाई 2025 को, छत्तीसगढ़ सरकार ने 22 आबकारी अधिकारियों को निलंबित किया, जिन्होंने अवैध कमाई से 88 करोड़ रुपये की संपत्ति अर्जित की थी।
पूर्व मंत्री की भूमिका, 64 करोड़ की अवैध कमाई
जांच में सामने आया कि पूर्व आबकारी मंत्री कवासी लखमा के संरक्षण में यह घोटाला संचालित हुआ। लखमा ने अपने पद का दुरुपयोग कर टेंडर प्रक्रिया में हेरफेर किया और 64 करोड़ रुपये की अवैध कमाई प्राप्त की। इस राशि का उपयोग व्यक्तिगत और पारिवारिक हितों के लिए किया गया। EOW ने इस मामले में 5000 पेज की चालान पत्रिका दाखिल की है, जिसमें 227 गवाहों का उल्लेख है।
मनी लॉन्ड्रिंग और कमीशन की पड़ताल
EOW और ACB की जांच अभी भी जारी है, जिसमें विदेशी शराब पर सिंडिकेट द्वारा लिए गए कमीशन, मनी लॉन्ड्रिंग नेटवर्क, और राज्य-स्तरीय समन्वय तंत्र की गहन पड़ताल की जा रही है। जांच में सामने आया कि 319 करोड़ रुपये की राशि शराब आपूर्तिकर्ताओं से वसूली गई, जिसमें से 280 करोड़ रुपये अप्रैल 2019 से जून 2022 के बीच जमा किए गए। यह राशि व्यक्तिगत लाभ और राजनीतिक फंडिंग के लिए उपयोग की गई।
भ्रष्टाचार पर सख्ती
मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टॉलरेंस नीति की बात दोहराई है। उन्होंने कहा, "पिछली सरकार के दौरान हुए घोटालों का सच सामने आ रहा है। किसी भी दोषी को बख्शा नहीं जाएगा।" इस मामले में अब तक की कार्रवाई से सरकार की पारदर्शी और जवाबदेह प्रशासन की प्रतिबद्धता झलकती है। हालांकि, घोटाले का दायरा और राजनीतिक संलिप्तता के आरोप इसे राज्य की सियासत में चर्चा का विषय बनाए हुए हैं।
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