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छत्तीसगढ़ में चल रहे 2,000 करोड़ रुपए से अधिक के शराब घोटाले में राज्य आर्थिक अपराध अन्वेषण शाखा (EOW) और प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने बड़ी कार्रवाई की है। हाल ही में चार्टर्ड अकाउंटेंट संजय मिश्रा, उनके भाई मनीष मिश्रा और अभिषेक सिंह को गिरफ्तार किया गया है। अभिषेक, इस घोटाले में पहले से आरोपी अरविंद सिंह का भतीजा है। रायपुर की स्पेशल कोर्ट ने इन तीनों को 5 दिन की पुलिस रिमांड पर भेजा है।
घोटाले में अब तक की बड़ी बातें:
फर्जी कंपनियों और महंगी शराब की सप्लाई
संजय और मनीष मिश्रा ने "नेक्स्टजेन पावर कंपनी" बनाई और FL-10 लाइसेंस के जरिए महंगी ब्रांडेड अंग्रेजी शराब की सप्लाई शुरू की। इन्हीं रास्तों से शराब घोटाले का जाल फैला।
चैतन्य बघेल की गिरफ्तारी
ED ने पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के बेटे चैतन्य बघेल को भी गिरफ्तार किया है। चैतन्य पर घोटाले की रकम के हैंडलिंग और इन्वेस्टमेंट का आरोप है। उनसे लगातार पूछताछ हो रही है और 22 जुलाई को फिर कोर्ट में पेश किया जाएगा।
1000 करोड़ से ज्यादा ब्लैक मनी का लेनदेन
शराब कारोबारी लक्ष्मी नारायण उर्फ पप्पू बंसल ने कबूला है कि उसने और चैतन्य ने मिलकर करीब 1000 करोड़ की ब्लैक मनी को अलग-अलग लोगों और कंपनियों के जरिए चलाया। इस पैसे से कई रियल एस्टेट प्रोजेक्ट, फर्जी फ्लैट खरीदी, और कैश ट्रांसफर की व्यवस्था की गई।
प्रोजेक्ट में पैसे की हेराफेरी
चैतन्य बघेल के "विट्ठल ग्रीन प्रोजेक्ट" में 13-15 करोड़ की असल लागत को रिकॉर्ड में सिर्फ 7.14 करोड़ दिखाया गया। एक ठेकेदार को 4.2 करोड़ कैश में भुगतान किया गया, जो कहीं दर्ज नहीं है।
फर्जी फ्लैट डील्स और फ्रंट कंपनियों का खेल
त्रिलोक ढिल्लन ने 19 फ्लैट अपने कर्मचारियों के नाम से खरीदे लेकिन भुगतान खुद किया। एक ज्वेलर से 5 करोड़ कैश लेकर, उसे लोन और प्रॉपर्टी डील के रूप में दर्शाया गया। सभी लेनदेन कागजों में लीगल दिखाए गए लेकिन ED की जांच में इनका कच्चा-चिट्ठा खुल गया।
शराब घोटाले की योजना कैसे बनी?
IAS अफसर अनिल टुटेजा, आबकारी विभाग के MD AP त्रिपाठी, और कारोबारी अनवर ढेबर ने मिलकर सिंडिकेट बनाया।
शराब को तीन श्रेणियों – A, B, C में बांटकर घोटाला किया गया।
A: डिस्टलरी संचालकों से कमीशन वसूलना
B: नकली होलोग्राम वाली शराब को सरकारी दुकानों से बिकवाना
C: नकली शराब की बिक्री का रिकॉर्ड सिस्टम में नहीं चढ़ाना
शराब की बिक्री और गड़बड़ी
सरकारी दुकानों के माध्यम से नकली होलोग्राम वाली शराब बेची गई। 40 लाख पेटियों की बिना रसीद बिक्री का खुलासा हुआ है। शुरू में हर पेटी पर 560 रुपए कमीशन, बाद में 600 रुपए लिया गया।
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ED की ACB में दर्ज FIR
ED ने ACB के जरिए FIR दर्ज की है, जिसमें 2000 करोड़ से ज्यादा के घोटाले का अनुमान है। अब तक कई अफसर, कारोबारी और राजनेताओं की संलिप्तता सामने आ चुकी है।
छत्तीसगढ़ का शराब घोटाला एक बहुस्तरीय भ्रष्टाचार मॉडल का उदाहरण बन चुका है, जिसमें सत्ता, प्रशासन और कारोबार की मिलीभगत से जनता के पैसे का दुरुपयोग हुआ। ED और EOW की जांच अब तेज हो गई है और आने वाले दिनों में और भी बड़े नाम सामने आ सकते हैं।
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