मिड-डे मील को बांटने से पहले करना होगा टेस्ट, रोजाना चखेंगे मास्टर-हेडमास्टर और वॉर्डन

छत्तीसगढ़ सरकार ने आदेश दिया है कि स्कूलों में मिडडे मील की गुणवत्ता रोजाना चेक की जाएगी। शिक्षक या वार्डन भोजन को चखकर जांचेंगे और इसका रिकॉर्ड रखा जाएगा। यह आदेश हाईकोर्ट के निर्देशों के बाद आया है, ताकि बच्चों के स्वास्थ्य से कोई समझौता न हो सके।

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Arun Tiwari
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Photograph: (The Sootr)

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RAIPUR. स्कूलों में बच्चों को परोसे जाने वाले मध्याह्न भोजन की गुणवत्ता अब रोज जांची जाएगी। राज्य सरकार ने निर्देश दिया है कि भोजन बच्चों को देने से पहले स्कूल के शिक्षक या वार्डन स्वयं चखकर देखेंगे। किसने भोजन चखा, उसका नाम और समय अलग रजिस्टर में दर्ज करना अनिवार्य होगा।

मुख्य सचिव अमिताभ जैन ने यह आदेश हाईकोर्ट के निर्देशों के बाद जारी किया। हाल ही में कुछ जिलों में भोजन से बच्चों के बीमार पड़ने की शिकायतें मिली थीं। इसके बाद खाद्य सुरक्षा और स्वच्छता को लेकर सरकार ने सतर्कता बढ़ाई है।

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खराब भोजन पर तय होगी जिम्मेदारी : 

खराब भोजन पर अब जिम्मेदारी और जवाबदेह तय की जाएगी। हर स्कूल, हॉस्टल और आंगनबाड़ी केंद्र में भोजन परोसने से पहले शिक्षक या वार्ड प्रतिनिधि की जिम्मेदारी तय की गई है। वे सुनिश्चित करेंगे कि खाना सुरक्षित, ताजा और मानक के अनुरूप हो।

निरीक्षण अधिकारियों को भी समय-समय पर भोजन की जांच और रसोईघर की सफाई देखने के लिए कहा गया है। आदेश में कहा गया है कि भोजन में कीटाणु, डिटर्जेंट या अन्य हानिकारक तत्व न हों। भोजन दूषित होने की जानकारी मिलते ही स्थानीय प्रशासन और उच्चाधिकारियों को सूचित करना होगा।

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4 पॉइंट्स में समझें मिड-डे मील से जुड़ी यह खबर... 

मिड-डे मील की गुणवत्ता की जांच: राज्य सरकार ने आदेश दिया है कि स्कूलों में बच्चों को परोसे जाने वाले मिड-डे मील की गुणवत्ता अब रोजाना चेक की जाएगी। स्कूल के शिक्षक, हेडमास्टर और वार्डन भोजन को बच्चों को देने से पहले खुद चखेंगे, और इसका रिकॉर्ड अलग रजिस्टर में दर्ज किया जाएगा।

खराब भोजन पर जिम्मेदारी तय: खराब भोजन पर जिम्मेदारी तय की जाएगी। शिक्षक या वार्डन यह सुनिश्चित करेंगे कि भोजन सुरक्षित, ताजगी से भरा और मानक के अनुरूप हो। निरीक्षण अधिकारियों को भी भोजन की जांच करने और रसोईघर की सफाई की निगरानी करने के लिए निर्देशित किया गया है।

बीमार होने की घटनाएं: पिछले दिनों कुछ स्कूलों में बच्चों के भोजन खाने के बाद बीमार होने की घटनाएं सामने आई थीं। इस पर सरकार ने खाद्य सुरक्षा और स्वच्छता की निगरानी बढ़ाने का निर्णय लिया है। अब ज़िला स्तर पर मॉडल समितियां बनाई जाएंगी, जो खाद्य सुरक्षा की निगरानी करेंगी।

साफ-सफाई और सुरक्षा मानक: सरकार ने साफ किया है कि बच्चों के स्वास्थ्य से समझौता नहीं किया जा सकता। मिडडे मील में साफ-सफाई, पोषण और सुरक्षा मानकों का पालन अनिवार्य होगा। आदेश का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ कार्रवाई की चेतावनी दी गई है।

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हो चुकी है कई घटनाएं : 

पिछले दिनों एक स्कूल में भोजन खाने के बाद कई छात्रों के बीमार होने की घटना ने प्रशासन को सचेत किया। अब जिला स्तर पर मॉडल समिति बनाई जाएगी जो खाद्य सुरक्षा की निगरानी करेगी। इसके अलावा कुत्ते के जूठा करने के बाद भी मध्यान्ह भोजन को बच्चों में बांट दिया गया था।

सरकार ने स्पष्ट किया है कि बच्चों के स्वास्थ्य से समझौता नहीं किया जा सकता। साफ-सफाई, पोषण और सुरक्षा मानकों का पालन अनिवार्य होगा। आदेश का उल्लंघन करने वाले जिम्मेदारों पर कार्रवाई की चेतावनी भी दी गई है।

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