Chhattisgarh : घाटबर्रा, परसा केते एक्सटेंशन कोयला खंड के लिए हुई ग्रामसभा, क्या सही में सीएम साय को कुछ मालूम नहीं?

छत्तीसगढ़ के सरगुजा केते एक्सटेंशन कोयला खंड के लिए ग्राम सभा सपन्न हुई। आरोप है कि बंदूक की नोक पर यह सब कुछ हुआ। लोगों का कहना है कि सब खड़े उद्योगपति के साथ हैं, प्रभावितों के साथ कोई नहीं।

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Shiv Shankar Sarthi
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RAIPUR. सरकार किसी भी पार्टी की हो, अडानी के काम में अड़चन आई हो ऐसा उदाहरण कहीं देखने को नहीं मिलता। इधर छत्तीसगढ़ के सरगुजा में बंदूक के दम पर ग्राम सभा संपन्न करवा लिए जाने का आरोप है।

प्रभावित होने वाले ग्रामीणों ने कलेक्टर सरगुजा से मिलकर आने वाले दो अगस्त को प्रस्तावित जन सुनवाई को निरस्त करने की मांग है। सिर्फ सरगुजा ही नहीं छत्तीसगढ़ के आधा दर्जन जिलों में नए उद्योगों के खिलाफ आम लोग सड़कों पर हैं। वही दूसरी नई उद्योग नीति का फाइनल ड्राफ्ट आने वाला है।

राजस्थान के सीएम की पोस्ट तथ्यों पर आधारित

मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने बेरोजगारी को दूर करने के लिए हम उद्योगों के पक्षधर हैं, यह मान लिया है। मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय राजस्थान के मुख्यमंत्री के ट्वीट का जवाब देते हुए पलटी मार गए हैं। लेकिन the sootr के पास मौजूद तथ्य यह साबित करते हैं, राजस्थान के मुख्यमंत्री द्वारा की एक्स पोस्ट तथ्यों पर आधारित है।

राजस्थान के मुख्यमंत्री भजन लाल शर्मा के ट्वीट के तीसरे बिंदू में लिखा है कि केते एक्सटेंशन कोयला खंड की पर्यावरण स्वीकृति हेतु आवश्यक जन सुनवाई एवं वन विभाग की अनुमति का पंजीकरण छत्तीसगढ़ शासन से अविलंब करवाने की व्यवस्था सुनिश्चित करें।

the sootr  के पास ग्रामीणों की लिखी चिट्ठी

the sootr के पास केते और केते के आसपास के ग्रामीणों की लिखी चिट्ठी और बयान (साउंड बाइट) उपलब्ध है। घाटबर्रा, परसा केते एक्सटेंशन कोयला खंड दूसरे चरण के लिए जरुरी ग्राम सभा एसडीएम और तहसीलदार ने खड़े होकर संपन्न करवा दी है।जन सुनवाई को तत्काल निरस्त किए जाने की मांग ग्रामीणों ने की है। देखना होगा, बदली परिस्थिति और मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के बयान के बाद सरगुजा कलेक्टर का क्या रुख रहता है।

खनन क्षेत्र का 90 प्रतिशत क्षेत्र वन भूमि

इसी साल सरगुजा के कलेक्टर को ग्राम केते, चकेरी, बालन एवं परोभीया के ग्रामीणों ने सरगुजा कलेक्टर से मिलकर अपनी भावनाओं से अवगत करवाया था। ग्रामीणों ने कलेक्टर को बताया कि ईआईए रिपोर्ट बनाने में तथ्यों के साथ तोड़मरोड़ करके भ्रामक जानकारी प्रस्तुत की गई है। खनन क्षेत्र का 90 प्रतिशत क्षेत्र वन भूमि है। ग्रामीणों ने तत्काल प्रभाव से प्रस्तावित जन सुनवाई को निरस्त किए जाने की मांग की है।

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क्या सीएम विष्णुदेव साय सच कह रहे हैं ?

राजनेता ट्वीट वॉर में भिड़े हैं और आम लोग दफ्तरों में आकर सच्चाई बयां कर रहे हैं। 
कलेक्टर से मिले लोगों का कहना है कि बीजेपी की सरकार आते ही बंदूक की नोक पर ग्राम सभा हुई, और जनसुनवाई करने के लिए भी प्रशासनिक स्तर पर तेजी दिखाई दे रही है, जबकि कांग्रेस ने राज्य में आबंटित सभी कोल ब्लॉक्स को रद्द करने का प्रस्ताव सर्वसमत्ति से विधानसभा में पारित किया है।

नेता प्रतिपक्ष ने राज्यपाल को लिखी चिट्ठी

आम लोग जिस पारित प्रस्ताव और प्रशासनिक दादागिरी की बात कह रहे हैं। लगभग वहीं बातें नेता प्रतिपक्ष चरणदास महंत ने भी राज्यपाल को चिट्ठी लिखकर कही है। नेता प्रतिपक्ष की लिखी चिट्ठी में सबसे खास बात ये कि वो अनुसूचित जनजाति आयोग की जांच रिपोर्ट के साथ हैं। आयोग की जांच में संपन्न ग्राम सभा को फर्जी तरीके से बनाई गई रिपोर्ट माना गया है। (अडानी की कंपनी यहां कोयला खनन का काम पूरा कर चुकी है, तय समय से कापी पहले अडानी कंपनी ने टारगेटेड कोयला निकाल लिया है)

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