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नीति आयोग के 24 जनवरी 2025 को जारी वित्तीय स्वास्थ्य सूचकांक (Fiscal Health Index - FHI) 2025 में छत्तीसगढ़ ने देशभर में दूसरा स्थान हासिल कर अपनी वित्तीय प्रबंधन क्षमता का लोहा मनवाया है। ओडिशा के बाद छत्तीसगढ़ ने 55.2 अंकों के साथ यह उपलब्धि हासिल की, जो राज्य के संतुलित बजट प्रबंधन, टिकाऊ खर्च, और प्रभावी राजस्व संग्रहण की रणनीति का प्रमाण है। इस सूचकांक में गोवा तीसरे स्थान पर रहा, जबकि झारखंड और गुजरात ने भी उल्लेखनीय प्रदर्शन किया।
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छत्तीसगढ़ का शानदार प्रदर्शन
छत्तीसगढ़ ने वित्तीय अनुशासन और संसाधनों के कुशल उपयोग के बल पर यह उपलब्धि हासिल की है। नीति आयोग की रिपोर्ट के अनुसार, राज्य ने अपने कुल खर्च का लगभग 73% हिस्सा सड़कों, अस्पतालों, स्कूलों, और अन्य विकास कार्यों पर केंद्रित किया, जिससे सामाजिक सेवाओं और अवसंरचना विकास में बेहतर परिणाम देखने को मिले।
इसके अलावा, छत्तीसगढ़ ने कर संग्रह के साथ-साथ गैर-कर राजस्व में भी उल्लेखनीय वृद्धि दर्ज की, जिसमें खनिज और वन संसाधनों से होने वाली आय का बड़ा योगदान रहा। वित्तीय वर्ष 2023-24 में खनिज उत्पादन से 6756.97 करोड़ रुपये और गौण खनिजों से 256.91 करोड़ रुपये की आय ने राज्य की आर्थिक स्थिति को और मजबूत किया।
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छत्तीसगढ़ ने ऋण प्रबंधन में भी सराहनीय कार्य किया, जहां इसका कर्ज-से-GSDP अनुपात अन्य राज्यों की तुलना में बेहतर रहा। नीति आयोग ने राज्य की कम ब्याज दर (लगभग 7%) पर कर्ज चुकाने की क्षमता और राजस्व में निरंतर वृद्धि की प्रशंसा की। यह प्रदर्शन छत्तीसगढ़ को "विकसित भारत @2047 " के राष्ट्रीय दृष्टिकोण के अनुरूप एक प्रगतिशील राज्य के रूप में स्थापित करता है।
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फिस्कल हेल्थ इंडेक्स एक व्यापक मापदंड
नीति आयोग का फिस्कल हेल्थ इंडेक्स 2025 भारत के 18 प्रमुख राज्यों के वित्तीय स्वास्थ्य का मूल्यांकन करता है, जो देश के सकल घरेलू उत्पाद (GDP), जनसांख्यिकी, और सार्वजनिक व्यय में महत्वपूर्ण योगदान देते हैं। यह सूचकांक पांच प्रमुख उप-सूचकांकों पर आधारित है।
व्यय की गुणवत्ता (Quality of Expenditure): विकास कार्यों और सामाजिक सेवाओं पर केंद्रित खर्च।
राजस्व संग्रहण (Revenue Mobilisation): कर और गैर-कर राजस्व में वृद्धि।
वित्तीय विवेक (Fiscal Prudence): बजट घाटे का प्रभावी प्रबंधन।
ऋण सूचकांक (Debt Index): कर्ज-से-GSDP अनुपात।
ऋण स्थिरता (Debt Sustainability): कर्ज चुकाने की दीर्घकालिक क्षमता।
रिपोर्ट भारत के नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (CAG) के वित्तीय वर्ष 2022-23 के आंकड़ों पर आधारित है और राज्यों के बीच स्वस्थ प्रतिस्पर्धा को प्रोत्साहित करती है।
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शीर्ष प्रदर्शन करने वाले राज्य
ओडिशा ने 67.8 अंकों के साथ पहला स्थान हासिल किया, जो अपने उत्कृष्ट कर्ज प्रबंधन (ऋण सूचकांक 99.0 और ऋण स्थिरता 64.0) और राजस्व संग्रहण में औसत से बेहतर प्रदर्शन के लिए जाना गया। छत्तीसगढ़ और गोवा ने क्रमशः 55.2 और 53.6 अंकों के साथ दूसरा और तीसरा स्थान प्राप्त किया। झारखंड और गुजरात ने भी मजबूत वित्तीय प्रबंधन के साथ शीर्ष पांच में जगह बनाई।
महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, तेलंगाना, मध्य प्रदेश, और कर्नाटक को "अग्रणी" श्रेणी में रखा गया, जो अपने खर्च का 73% हिस्सा विकास कार्यों पर लगाते हैं और कर्ज-से-GSDP अनुपात को 24% के निचले स्तर पर बनाए रखते हैं। दूसरी ओर, पंजाब, केरल, पश्चिम बंगाल, और आंध्र प्रदेश जैसे राज्यों को खराब व्यय गुणवत्ता, उच्च राजकोषीय घाटा, और कमजोर ऋण प्रबंधन के कारण सबसे निचले पायदान पर रखा गया।
छत्तीसगढ़ की उपलब्धि का महत्व
छत्तीसगढ़ का दूसरा स्थान हासिल करना कई मायनों में महत्वपूर्ण है। राज्य ने खेती, गरीबी उन्मूलन, मानव विकास, और अवसंरचना जैसे क्षेत्रों में संसाधनों का प्रभावी आवंटन किया है। "औद्योगिक विकास नीति 2024-30" के तहत, छत्तीसगढ़ अपनी प्राकृतिक संसाधनों और खनिज संपदा का उपयोग कर औद्योगिक नवाचार को बढ़ावा दे रहा है। बस्तर के ग्राम धूड़मारस को संयुक्त राष्ट्र विश्व पर्यटन संगठन (UNWTO) द्वारा विश्व के सर्वश्रेष्ठ पर्यटन ग्रामों में शामिल किया जाना भी राज्य की प्रगति का प्रतीक है।
राज्य ने वित्तीय वर्ष 2024-25 में राजस्व प्राप्तियों में 13.07% की वृद्धि का अनुमान लगाया है, जिसमें गैर-कर राजस्व का योगदान 58.07% है। यह दर्शाता है कि छत्तीसगढ़ न केवल अपनी आर्थिक स्थिति को मजबूत कर रहा है, बल्कि दीर्घकालिक विकास के लिए एक टिकाऊ मॉडल भी स्थापित कर रहा है।
राज्य सरकार की प्रतिक्रिया
छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री कार्यालय ने इस उपलब्धि पर गर्व व्यक्त करते हुए कहा कि यह राज्य सरकार की पारदर्शी और जिम्मेदार वित्तीय नीतियों का परिणाम है। सरकार ने विकास कार्यों पर केंद्रित खर्च, कर संग्रह में सुधार, और कर्ज प्रबंधन को प्राथमिकता दी है, जिसके परिणामस्वरूप राज्य की आर्थिक स्थिरता बढ़ी है। आगे की राहनीति आयोग की यह रिपोर्ट न केवल छत्तीसगढ़ के लिए गर्व का क्षण है, बल्कि अन्य राज्यों के लिए भी एक प्रेरणा है कि वे वित्तीय अनुशासन और संसाधन प्रबंधन पर ध्यान दें। छत्तीसगढ़ अब अपने मॉडल को और मजबूत करने की दिशा में काम कर रहा है, ताकि वह राष्ट्रीय आर्थिक स्थिरता और "विकसित भारत @2047
" के लक्ष्य में और अधिक योगदान दे सके।
आर्थिक नीतियों और शासन की मजबूती का असर
छत्तीसगढ़ का फिस्कल हेल्थ इंडेक्स 2025 में दूसरा स्थान हासिल करना राज्य की आर्थिक नीतियों और शासन की मजबूती को दर्शाता है। यह उपलब्धि न केवल राज्य के लिए गर्व का विषय है, बल्कि यह भी दिखाती है कि संतुलित बजट प्रबंधन और विकास पर केंद्रित खर्च से दीर्घकालिक आर्थिक स्थिरता हासिल की जा सकती है। छत्तीसगढ़ का यह प्रदर्शन अन्य राज्यों के लिए एक मिसाल है और राष्ट्रीय स्तर पर वित्तीय सुधारों को प्रोत्साहित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।
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