लोगों को सस्ती रेत मुहैया कराने सरकार की नई योजना, तीन खदानें बढ़ाकर 200 करोड़ की कमाई

कर्ज के बोझ तले दबी छत्तीसगढ़ सरकार अपनी कमाई के नए नए साधन तलाश रही है। सरकार ने लोगों को सस्ती रेत मुहैया कराने और अवैध उत्खनन पर रोक लगाने के साथ ही अपनी कमाई बढ़ाने की नई स्कीम तैयार कर ली है।

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Arun Tiwari
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Raipur. कर्ज के बोझ तले दबी छत्तीसगढ़ सरकार अपनी कमाई के नए नए साधन तलाश रही है। सरकार ने लोगों को सस्ती रेत मुहैया कराने और अवैध उत्खनन पर रोक लगाने के साथ ही अपनी कमाई बढ़ाने की नई स्कीम तैयार कर ली है। अब सरकार रेत से सोना निकालेगी। यानी रेत की खदानों की संख्या अगले दो साल में तीन गुना तक बढ़ जाएगी। इससे सरकार की कमाई सात गुना तक बढ़ जाएगी। जिन खदानों से अवैध उत्खनन होता है उन खदानों को भी सरकारी कर दिया जाएगा। सरकार ठेकेदारों से अच्छी कीमत वसूलेगी और जनता को सस्ती रेत मुहैया कराएगी। वहीं सरकार प्रधानमंत्री आवास के तहत बनने वाले घरों को भी मुफ्त में रेत उपलब्ध करा रही है।  

रेत उगलेगी सोना : 

छत्तीसगढ़ सरकार अब रेत खदानों को घाटे का सौदा नहीं रहने देने वाली। सरकार की नई रणनीति के तहत आने वाले दो सालों में प्रदेश की रेत खदानों से होने वाली सालाना कमाई को कई गुना बढ़ाने की तैयारी चल रही है। फिलहाल राज्य को रेत और गौण खनिजों से महज 30 करोड़ रुपए का ही सालाना राजस्व मिलता है, लेकिन सरकार का लक्ष्य इसे बढ़ाकर सीधे 200 करोड़ तक पहुँचाने का है। वर्तमान में राज्य की 120 रेत खदानें संचालित हो रही हैं, जिनकी संख्या को बढ़ाकर दो साल के भीतर 400 तक पहुंचाने की योजना है। इसके लिए प्रदेश भर में खनिज साधन विभाग ने तेज़ी से कवायद शुरू कर दी है।

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रेत खदानों का इंडस्ट्री मॉडल : 

नई रेत नीति के तहत राज्य भर में नई खदानों की ऑनलाइन नीलामी प्रक्रिया की जा रही है। विभाग का दावा है कि अगले दो महीनों में 120–150 खदानों का आवंटन पूरा कर दिया जाएगा। बाकी बची खदानें अगले एक साल में नीलाम कर दी जाएंगी। यानी जिस राज्य में पहले पंचायतों के भरोसे रेत खदानें चलती थीं और सरकार को नाममात्र की कमाई होती थी, अब वही काम औद्योगिक मॉडल पर किया जाएगा। कांग्रेस सरकार की रेत नीति-2019 में पंचायतों को संचालन का अधिकार दिया गया था।

इसका परिणाम ये था कि सरकार की कमाई बेहद कम और अवैध उत्खनन के ढेरों आरोप लगते थे। अब नई सरकार इस ढांचे को पूरी तरह बदलने जा रही है। नदी और नालों में मशीनों से रेत उत्खनन की अनुमति 1 मीटर गहराई और 2 मीटर चौड़ाई तक दी जाएगी। सरकार का मानना है कि इससे रेत की कमी खत्म होगी और बाजार में उपलब्धता बढ़ेगी। खान संचालकों को ही रेत उठाने, परिवहन और व्यवस्था की जिम्मेदारी दी जाएगी। दावा है कि खदानें बढ़ेंगी तो किल्लत खत्म होगी, और कीमतें भी नियंत्रण में आएंगी।

अवैध रेत खनन पर अंकुश : 

अवैध रेत उत्खनन रोकने के लिए राज्य सरकार रिवर्स ऑक्शन पोर्टल भी शुरू कर रही है। इस पोर्टल के माध्यम से सभी खदानों की नीलामी ऑनलाइन और पारदर्शी तरीके से होगी। इससे न केवल गलत तरीके से खनन पर रोक लगेगी बल्कि सरकार को मिलने वाला राजस्व भी बढ़ेगा। अवैध उत्खनन रोकने के लिए नियमों को और सख्त बनाया जा रहा है। अब अवैध उत्खनन पर भारी जुर्माना, खदानों पर सीसीटीवी कैमरे, वाहनों की डिजिटल मॉनिटरिंग और रेत ढुलाई पर कड़ी निगरानी रखी जाएगी। राजधानी रायपुर सहित कई जिलों में रेत के बढ़ते दामों से लोग परेशान हैं। निर्माण कार्य प्रभावित हो रहे हैं। सरकार का कहना है कि नई खदानें खुलते ही कीमतें नियंत्रण में आ जाएंगी। मशीनों से खनन और सप्लाई बढ़ने से रेत सस्ती मिलने का दावा किया जा रहा है।

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