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Photograph: (the sootr)
छत्तीसगढ़ में गौण खनिजों विशेषकर रेत के अवैध उत्खनन के मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं। रेत माफिया चोरी-छिपे नदियों से जमकर रेत का अवैध उत्खनन कर राज्य सरकार को नुकसान पहुंचा रहा है। इस अवैध उत्खनन के कारण प्रकृति को भी काफी नुकसान हो रहा है।
इन अवैध गतिविधियों की समय पर जानकारी नहीं मिल पाने के कारण अवैध उत्खनन में लगे लोगों पर ठोस कार्रवाई नहीं हो पाती है। अब राज्य सरकार ने इन अवैध उत्खनन पर लगाम लगाने के लिए तकनीक का सहारा लेने की योजना बनाई है। राज्य सरकार अब प्रदेश की प्रमुख रेत खदानों की निगरानी के लिए ड्रोन तकनीक का इस्तेमाल करने जा रही है।
राज्य खनिज अन्वेषण न्यास का गठन
इस नई पहल के तहत, राज्य सरकार ने गौण खनिज संसाधनों के खोज, व्यवस्थित विकास और बुनियादी ढांचे के विकास को बढ़ावा देने के लिए राज्य खनिज अन्वेषण न्यास (State Mineral Exploration Trust) का गठन किया है। मुख्यमंत्री विष्णु देव साय को इसके अध्यक्ष के रूप में नियुक्त किया गया है।
यह न्यास न केवल खनन गतिविधियों की निगरानी करेगा, बल्कि ड्रोन जैसी आधुनिक तकनीक के माध्यम से अवैध खनन छत्तीसगढ़ और संबंधित गतिविधियों की समीक्षा भी करेगा। इसके जरिए खनन पर कड़ी नजर रखी जाएगी, ताकि अवैध गतिविधियों को रोका जा सके।
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न्यास को मिलेगा रॉयल्टी का दो प्रतिशत हिस्सा
राज्य सरकार ने अपनी अधिसूचना जारी कर दी है, जिसके अनुसार इस न्यास को गौण खनिजों से प्राप्त रॉयल्टी का दो प्रतिशत हिस्सा मिलेगा। इस राशि का उपयोग नए खनिज क्षेत्रों की खोज और खनन से प्रभावित लोगों के विकास कार्यों के लिए किया जाएगा।
प्रदेश में गौण खनिजों का उत्पादन लगभग 190 लाख टन है, जिससे राज्य सरकार को ₹125 करोड़ का राजस्व प्राप्त होता है। इन प्रयासों से न्यास को हर साल ₹3 करोड़ की राशि मिलने की उम्मीद है। यह राशि बढ़ने की संभावना है, जिससे खनन क्षेत्रों में विकास कार्यों को बढ़ावा मिलेगा।
डीएमएफ का गठन और लाभ
राज्य सरकार ने खनन गतिविधियों से प्रभावित क्षेत्रों के पर्यावरण, स्वास्थ्य और सामाजिक-आर्थिक कल्याण को ध्यान में रखते हुए जिला खनिज न्यास निधि (DMF) का गठन किया है। यह निधि अब केवल खनन प्रभावित क्षेत्रों में ही खर्च होती थी, जिससे अन्य क्षेत्रों के लोग इससे लाभान्वित नहीं हो पाते थे।
लेकिन राज्य खनिज अन्वेषण न्यास के गठन के बाद, इस निधि के दायरे का विस्तार किया गया है। अब यह निधि अन्य गांवों में भी विकास कार्यों के लिए उपयोग की जा सकती है, चाहे वे खनन प्रभावित क्षेत्र हों या नहीं। यह कदम लोगों के लिए समग्र विकास की दिशा में महत्वपूर्ण साबित होगा।
ड्रोन से रेत खदानों की निगरानी की नई योजना को ऐसे समझेंराज्य खनिज अन्वेषण न्यास का गठन: छत्तीसगढ़ सरकार ने अवैध खनन पर नियंत्रण के लिए छत्तीसगढ़ राज्य खनिज अन्वेषण न्यास का गठन किया है, जिसका उद्देश्य खनिज संसाधनों का व्यवस्थित विकास और अन्वेषण करना है। ड्रोन से निगरानी: इस न्यास के माध्यम से ड्रोन जैसी आधुनिक तकनीकों का उपयोग करके खनन और संबंधित गतिविधियों की निगरानी की जाएगी, जिससे अवैध खनन पर कड़ी नजर रखी जा सके। सरकारी राजस्व में वृद्धि: गौण खनिजों से राज्य सरकार को ₹125 करोड़ का राजस्व प्राप्त होता है, और न्यास को इस रॉयल्टी का दो प्रतिशत हिस्सा मिलेगा, जो खनिज क्षेत्रों की खोज और विकास में उपयोग होगा। डीएमएफ का विस्तार: अब, जिला खनिज न्यास निधि (DMF) का दायरा बढ़ाया जाएगा, जिससे विकास कार्यों का लाभ केवल खनन प्रभावित क्षेत्रों तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि अन्य क्षेत्रों को भी इसका फायदा मिलेगा। खनिज संसाधनों का सतत विकास: न्यास द्वारा खनिज संसाधनों के लिए अल्प, मध्य और दीर्घकालिक योजनाएं तैयार की जाएंगी, और भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण और खनिज निष्कर्षण में नई तकनीकों का उपयोग किया जाएगा। |
शॉर्ट, मीडियम और लॉन्ग टर्म टारगेट
इस न्यास का उद्देश्य राज्य में खनिज संसाधनों के नियोजित विकास और उनके अन्वेषण के लिए कार्य योजनाएं तैयार करना है। न्यास को अपने काम के लिए शॉर्ट, मीडियम और लॉन्ग टर्म टारगेट के हिसाब से योजना बनानी होगी।
इसके तहत वन क्षेत्रों में खनन की अनुमति प्राप्त करने की जिम्मेदारी भी न्यास की होगी। साथ ही, भूवैज्ञानिक संभावित क्षेत्रों के सर्वेक्षण और खनिज निष्कर्षण धातु विज्ञान के अध्ययन और क्रियान्वयन का कार्य भी न्यास करेगा।
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छत्तीसगढ़ में खनिज संसाधन और उनके योगदान
छत्तीसगढ़ राज्य में 37 प्रकार के लघु खनिज पाए जाते हैं, जिनमें से 50 से अधिक रेत खदानों का संचालन हो रहा है। राज्य के खनिजों का उत्पादन लगभग 13.7 मिलियन टन है, जिससे सरकार को ₹125 करोड़ का राजस्व प्राप्त होता है। इस तरह से, खनिज संसाधन न केवल राज्य के आर्थिक विकास में महत्वपूर्ण योगदान देते हैं, बल्कि नए खनिज क्षेत्रों की खोज और उनकी सही तरीके से देखरेख करने के प्रयास भी राज्य सरकार की प्राथमिकता हैं।