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छत्तीसगढ़ में मानसून के दौरान रेत खनन पर प्रतिबंध के बावजूद रेत माफिया बेलगाम होकर नदियों को लूट रहा है। साय सरकार ने 10 जून से 10 अक्टूबर तक रेत खनन पर पूरी तरह रोक लगा रखी है और कई रेत घाटों को बंद कराया गया है, लेकिन माफिया रात के अंधेरे में अवैध उत्खनन और परिवहन कर रहा है।
स्थानीय लोगों का आरोप है कि चंपारण और अभनपुर क्षेत्र के कई गांवों में रात 6 बजे से सुबह 5:30 बजे तक मशीनों से रेत निकाली जा रही है, और सुबह होते ही ये मशीनें गायब कर दी जाती हैं। इस गोरखधंधे में न केवल नदियों का पर्यावरणीय नुकसान हो रहा है, बल्कि प्रशासन की नाकामी भी उजागर हो रही है।
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रात के अंधेरे में रेत की लूट
मानसून के दौरान नदियों में पानी का स्तर बढ़ने और पर्यावरण संरक्षण के लिए छत्तीसगढ़ सरकार ने रेत खनन पर सख्त प्रतिबंध लगाया था। कई जिलों में खनिज और राजस्व विभाग की संयुक्त कार्रवाइयों से अवैध खनन पर कुछ हद तक लगाम लगी, लेकिन रेत माफिया ने प्रशासन को चकमा देने का नया तरीका अपना लिया है।
स्थानीय लोगों के अनुसार, चंपारण क्षेत्र के ग्राम टीला, कुम्हारी, लखना, और सेमरा जैसे रेत घाटों में रात के समय मशीनों से रेत निकाली जा रही है। रात 6 बजे से शुरू होने वाला यह अवैध खनन सुबह 5:30 बजे तक चलता है, और इसके बाद मशीनें और उपकरण गायब कर दिए जाते हैं। सुबह 7 बजे तक कुछ गाड़ियां रेत लेकर निकलती दिख जाती हैं, लेकिन दिन के उजाले में सारा काम ठप हो जाता है।
एक स्थानीय निवासी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि मनीष ठाकुर नाम का एक व्यक्ति इस अवैध कारोबार को संचालित कर रहा है। उन्होंने कहा, “रात में ट्रैक्टर, हाइवा, और पोकलेन मशीनें नदी में उतरती हैं, और सुबह होते ही सब गायब हो जाता है। प्रशासन को इसकी भनक तक नहीं लगती।”
कुम्हारी और टीला में रेत का “पहाड़”
चंपारण के ग्राम कुम्हारी और टीला में अवैध रेत भंडारण की स्थिति और भी चिंताजनक है। कुम्हारी घाट तक पहुंचने वाला रास्ता इतना खराब है कि वहां भारी वाहनों का आना-जाना मुश्किल है, फिर भी रेत माफिया ने घाट पर रेत का “पहाड़” खड़ा कर दिया है। स्थानीय लोगों का दावा है कि इस भंडारण के लिए कोई आधिकारिक अनुमति नहीं ली गई है।
इसी तरह, ग्राम टीला में भी कई जगहों पर रेत के अवैध ढेर लगाए गए हैं। नदी के किनारे खुले मैदानों और रास्तों पर बिखरी रेत इस बात का सबूत है कि रात के समय भारी मात्रा में उत्खनन और परिवहन हो रहा है। स्थानीय निवासियों ने बताया कि इन गतिविधियों ने नदियों के किनारों को नष्ट कर दिया है और गहरे गड्ढों के कारण नदी का प्राकृतिक प्रवाह भी प्रभावित हो रहा है।
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फिर भी नहीं रुक रहा खेल
कुछ समय पहले गोबरानवापारा के पारागांव में रेत माफिया के खिलाफ बड़ी कार्रवाई हुई थी। खनिज और राजस्व विभाग की संयुक्त टीम ने वहां छापा मारकर पनडुब्बीनुमा मशीन, पोकलेन, पानी खींचने की मशीन, पीवीसी पाइप, और बिजली के तार जब्त किए थे। इस कार्रवाई के बाद लगा था कि रेत माफिया पर लगाम लग जाएगी, लेकिन यह केवल एक अस्थायी झटका साबित हुआ।
ग्राम सेमरा के नदी घाट में अभी भी अवैध उत्खनन बदस्तूर जारी है। नदी के बीच में गहरे गड्ढे बन गए हैं, जो पर्यावरणीय नुकसान का स्पष्ट संकेत हैं। इसके अलावा, नदी के किनारे रेत के अवैध ढेर और परिवहन के रास्तों पर बिखरी रेत इस बात की पुष्टि करती है कि माफिया रात के अंधेरे में पूरी तरह सक्रिय है।
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प्रशासन का जांच का दावा, लेकिन नतीजा सिफर
अभनपुर के एसडीएम रवि सिंह ने इस मामले पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा, “हमें ग्राम सेमरा और लखना घाट से अवैध रेत खनन की शिकायत मिली है। पहले भी ऐसी शिकायतों की जांच की गई थी, लेकिन तब कुछ नहीं मिला। फिर भी, हम इस मामले की दोबारा जांच करेंगे और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। मनीष ठाकुर के नाम से भी जानकारी मिली है, जिसकी तहकीकात की जाएगी।”
हालांकि, स्थानीय लोग प्रशासन की इस प्रतिक्रिया से संतुष्ट नहीं हैं। उनका कहना है कि रेत माफिया को स्थानीय स्तर पर कुछ अधिकारियों का संरक्षण प्राप्त है, जिसके कारण बार-बार कार्रवाई के बावजूद यह गोरखधंधा रुक नहीं रहा। एक ग्रामीण ने बताया, “जब तक रात में छापेमारी नहीं होगी, माफिया को पकड़ना मुश्किल है। दिन में तो सब कुछ सामान्य दिखता है।”
पर्यावरण और अर्थव्यवस्था पर प्रभाव
अवैध रेत खनन का न केवल पर्यावरण पर गहरा असर पड़ रहा है, बल्कि यह सरकार को राजस्व के नुकसान का कारण भी बन रहा है। नदियों में गहरे गड्ढों के कारण जल प्रवाह बाधित हो रहा है, जिससे बाढ़ और कटाव का खतरा बढ़ गया है।
इसके अलावा, अवैध भंडारण और परिवहन से सड़कों को भी नुकसान पहुंच रहा है। स्थानीय लोगों का कहना है कि रेत माफिया की वजह से गांवों की सड़कें और बुनियादी ढांचा खराब हो रहा है, जिसका खामियाजा आम जनता को भुगतना पड़ रहा है।
आम लोगों की मांग और सुझाव
स्थानीय निवासियों ने प्रशासन से मांग की है कि रात के समय नियमित छापेमारी की जाए और रेत माफिया के खिलाफ कठोर कार्रवाई हो। कुछ लोगों ने सुझाव दिया है कि रेत घाटों पर सीसीटीवी कैमरे और चौकीदार तैनात किए जाएं, ताकि अवैध गतिविधियों पर नजर रखी जा सके। इसके अलावा, माफिया के साथ कथित तौर पर शामिल स्थानीय अधिकारियों की जांच की भी मांग उठ रही है।
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