पॉलिसी पैरालिसिस का शिकार छत्तीसगढ़ का सबसे बड़ा डॉ. अंबेडकर अस्पताल, कैंसर-हार्ट की एक तिहाई मशीनें बंद

छत्तीसगढ़ के डॉ भीमराव अंबेडकर अस्पताल में एक तिहाई मशीनें एक्सपायर होकर बंद पड़ी हैं। इनमें कैंसर,हार्ट और महिला रोग समेत दर्जनभर विभाग शामिल हैं। दवा और उपकरण खरीदी में घोटाले की कई खबरें सामने हैं लेकिन इस अस्पताल पर किसी का ध्यान नहीं है्।

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Arun Tiwari
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Chhattisgarh's biggest hospital is a victim of policy paralysis, one third of cancer and heart machines are not working
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रायपुर : छत्तीसगढ़ का सबसे बड़ा डॉ बीआर अंबेडकर अस्पताल ही गंभीर रुप से बीमार है। इसकी बीमारी का कारण स्वास्थ्य महकमें को पॉलिसी पैरालिसिस होना है। वो भी तब जबकि यह प्रदेश के सबसे बड़े अस्पताल के साथ ही मेडिकल कॉलेज भी है। आज की तारीख में अस्पताल में एक तिहाई मशीनें एक्सपायर होकर बंद पड़ी हैं। इनमें कैंसर,हार्ट और महिला रोग समेत दर्जनभर विभाग शामिल हैं।

दवा और उपकरण खरीदी में घोटाले की कई खबरें सामने हैं लेकिन इस अस्पताल पर किसी का ध्यान नहीं है, ना सरकार का और ना ही मेडिकल कार्पोरेशन का। हम स्वास्थ्य महकमें के पॉलिसी पैरालिसिस की बात इसलिए कह रहे हैं क्योंकि इन मशीनों के लिए अस्पताल की तरफ से प्रस्ताव पर प्रस्ताव भेजे जा रहे हैं लेकिन उस पर कोई फैसला नहीं हो पा रहा। 

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सबसे बड़ा अस्पताल ही सबसे ज्यादा बीमार 

छत्तीसगढ़ का सबसे बड़ा अस्पताल और मेडिकल कॉलेज डॉ भीमराव अंबेडकर अस्पताल ही सबसे ज्यादा बीमार है। लोगों के स्वास्थ्य के प्रमुख केंद्र इस अस्पताल में मशीनें ही एक्सपायर होकर बंद पड़ी हुई हैं। जून 2025 की स्थिति में 50 मशीनें बंद हैं। अस्पताल में छोटी,बड़ी और मध्यम कुल 161 मशीनें हैँ जिनमें से 111 ही चालू हालत में हैं बाकी 50 मशीनें बंद हैँ जिनमें से कई एक्सपायर हो गई हैं। यानी अस्पताल की एक तिहाई मशीनें काम ही नहीं कर रही हैं। इसका सबसे बड़ा कारण स्वास्थ्य विभाग को पॉलिसी पैरालिसिस हो जाना है।

मशीनें एक्सपायर हो चुकी हैं और स्वास्थ्य विभाग इसके बारे में कोई ठोस नीति पर काम नहीं कर पा रहा है। छत्तीसगढ़ मेडिकल कार्पोरेशन दवाएं और उपकरण खरीदने की एजेंसी है लेकिन इस एजेंसी के अधिकारी और दवा सप्लायर ही खरीदी घोटाले में फंसे हुए हैं। इस कार्पोरेशन पर दवा खरीदी घोटाले की कई जांच भी बैठी हुई हैं। लेकिन न इस एजेंसी को और न ही स्वास्थ्य विभाग को इसकी चिंता है। इस अस्पताल की हालत देखकर तो यही लगता है। अस्पताल कई बार इन मशीनों की खरीदी और मरम्मत का प्रस्ताव सरकार को भेज चुका है लेकिन इस पर कोई फैसला नहीं हो पा रहा है।  

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इन विभागों की इतनी मशीनें बंद 

रेडिएशन आंकोलॉजी विभाग : 
कुल मशीनें 7 हैं जिनमें से 3 मशीनें बंद पड़ी हुई हैं। 
2024 और 2025 में खरीदी के लिए प्रस्ताव भेजे जा चुके हैं। 
मरम्मत करने के लिए कंपनी सर्विस करने को ही तैयार नहीं है। 
कैंसर विभाग की इन मशीनों को भी कैंसर हो गया है यानी इनके खराब होने का कारण आंतरिक ट्यूब में क्रिस्टल जमना है। 

स्त्री रोग विभाग : 
इसमें 17 मशीनों में से 10 मशीनें खराब हैं। 
इनमें से कुछ एक्सपायर हो चुकी हैं और कुछ मरम्मत के लायक भी नहीं हैं। 
नई मशीन खरीदने के लिए 2022, 2004 और 2025 में प्रस्ताव भेजा जा चुका है। 

कार्डियोलॉजी विभाग : 
ईसीजी मशीन की आयु समाप्त हो गई है। 
एसीटी मशीन में आंतरिक खराबी आ गई है। 
ईको मशीन का हार्डवेयर खराब
टीएमटी मशीन की आयु समाप्त
आई स्टेट मशीन में आंतरिक खराबी
विभाग की पांच मशीनें बंद पड़ी हुई हैं जिनके लिए प्रस्ताव भेजा जा चुका है। 

एनेस्थीसिया डिपार्टमेंट : 
एनेस्थीसिया डिपार्टमेंट खुद ही बेहोश पड़ा है। 
16 मशीनों में से 11 मशीनें खराब पड़ी हैं। 
कुछ एक्सपायर हो चुकी हैं तो कुछ खराब पड़ी हैं। 

नेत्र रोग विभाग : 
इस विभाग की 39 में से 15 मशीनें बंद पड़ी हैं। 
इन सभी मशीनें एक्सपायर हो चुकी हैं। 
इन मशीनों की खरीदी के लिए 2022,2024 और 2025 में प्रस्ताव भेजा जा चुका है। 

नाक,कान,गला विभाग : 
इस विभाग में पांच मशीनें एक्सपायर हो चुकी हैं। 
इसके लिए तीन साल से प्रस्ताव भेजा जा रहा है। 


सर्जरी विभाग : 
सर्जरी जैसे अहम विभाग की दो मशीनें खराब पड़ी हैं। 
मेडिसिन विभाग की ईको मशीन की भी एक्सपायर हो गई है। 

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मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय शिक्षा और स्वास्थ्य पर फोकस कर रहे हैं और उनका स्वास्थ्य महकमा का ध्यान प्रदेश के सबसे बड़े अस्पताल पर ही नहीं है। यह स्थिति तो आम आदमी के स्वास्थ्य और उसकी जान के साथ खिलवाड़ है। इन मशीनों की कीमत 2 से 5 करोड़ रुपए की है। एक तरफ सरकार किराए की गाड़ियों में, गाड़ियों की मरम्मत में,अनावश्यक दवाएं खरीदने में फिजूलखर्ची कर रही है तो दूसरी तरफ अस्पताल जैसी आम आदमी की बुनियादी जरुरत पर कुछ करोड़ भी खर्च नहीं किए जा रहे। हाल ही में स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल ने अंबेडकर अस्पताल का दौरा किया। इस अस्पताल पर 48 करोड़ रुपए खर्च करने की बात भी कही। लेकिन मशीनें खराब हैं यह किसी को नजर नहीं आया। 

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