छत्तीसगढ़ के भिलाई शहर से एक चौंकाने वाली लेकिन राहतभरी खबर सामने आई है, जहाँ स्कूल खुलने के बाद डांट से नाराज़ होकर तीन नाबालिग बच्चे घर से बिना बताए फरार हो गए। ये बच्चे रेलवे स्टेशन पहुंचकर सीधे ट्रेन में बैठकर नागपुर निकल गए। दो दिन बाद पैसे खत्म होने पर वे स्वेच्छा से वापस घर लौट आए, जिससे परिजनों और पुलिस दोनों ने राहत की सांस ली है।
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पुलिस कर रही थी लगातार तलाश
घटना सुपेला थाना क्षेत्र की है, जहाँ तीन अलग-अलग परिजनों ने तीन दिन पहले अपने बच्चों के लापता होने की रिपोर्ट दर्ज कराई थी। परिजनों ने बताया था कि स्कूल खुलने के बावजूद बच्चे स्कूल नहीं जा रहे थे, इस पर डांटा गया, जिससे नाराज होकर वे बिना बताए घर छोड़कर चले गए।
मोबाइल नहीं होने से खड़ी हुई थी चुनौती
सुपेला पुलिस ने तीनों मामलों में गुमशुदगी का केस दर्ज कर तुरंत तलाश अभियान शुरू किया। पुलिस ने आसपास के सीसीटीवी फुटेज खंगाले, रेलवे स्टेशन और बस अड्डों में पूछताछ की लेकिन बच्चों के पास मोबाइल नहीं होने से उनकी लोकेशन ट्रेस नहीं की जा सकी, जिससे तलाश में काफी मुश्किलें आईं।
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नागपुर पहुंचकर खत्म हुए पैसे, फिर घर लौट आए बच्चे
बच्चे ट्रेन से नागपुर पहुंचे, लेकिन दो दिन घूमने के बाद उनके पास के पैसे खत्म हो गए। खाने-पीने की दिक्कतें और अनजान शहर में असहजता महसूस होने के कारण वे सीधे घर लौट आए।
परिजनों ने बच्चों के वापस आने की सूचना सुपेला पुलिस को दी। पुलिस ने बच्चों से पूछताछ की, जिसमें उन्होंने नागपुर जाने की बात स्वीकार की और कहा कि स्कूल और डांट से बचने के लिए घर छोड़कर निकल गए थे।
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पुलिस ने दी चेतावनी, परिजनों को भी दी गई समझाइश
पुलिस ने बच्चों को परिजनों के हवाले करते हुए चेतावनी दी कि आगे से इस तरह की हरकत दोहराई न जाए। साथ ही परिजनों को भी समझाइश दी गई कि बच्चों के साथ सकारात्मक संवाद बनाए रखें ताकि मानसिक दबाव में आकर वे गलत कदम न उठाएं।
यह घटना एक ओर जहाँ बच्चों की भावनात्मक संवेदनशीलता को उजागर करती है, वहीं अभिभावकों को यह सोचने पर मजबूर करती है कि डांट और दबाव की बजाय संवाद और समझ ज़रूरी है। भिलाई पुलिस की सक्रियता और सतर्कता के चलते यह मामला सुखद अंत तक पहुंचा, लेकिन यह एक सामाजिक चेतावनी भी है कि बच्चों की छोटी बातों को भी हल्के में न लिया जाए।
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